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3. चन्द्रघंटा :- शक्ति के इस स्वरूप की उपासना तीसरे दिन की जाती है. देवी के मस्तक में घंटाकार चंद्रमा होता है. इससे सांसारिक बाधाओं से मुक्ति मिलती है. पूजन व ध्यान का समय सूर्योदय से पूर्व का है जो भक्त नवरात्रि में 4 वर्ष की सुन्दर निरोगी कन्या का पूजन करता है उसे शीघ्र फल की प्राप्ति होती है. इस साधना के लिये निम्न मंत्र है-
पिण्डजप्रवरारुढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता ।
प्रसादं तनुते मह्यां चन्द्रघण्टेति विश्रुता ॥
4. कूष्मांडा :- नवरात्र-पूजन के चौथे दिन कूष्मांडा देवी के स्वरूप की ही उपासना की जाती है. इस दिन साधक का मन ‘अदाहत’ चक्र में अवस्थित होता है. अतः इस दिन उसे अत्यंत पवित्र और अचंचल मन से कूष्मांडा देवी के स्वरूप को ध्यान में रखकर पूजा-उपासना के कार्य में लगना चाहिए. मां जगदम्बे की भक्ति पाने के लिए निम्न मंत्र को कंठस्थ कर नवरात्रि में चतुर्थ दिन इसका जाप करना चाहिए :
सुरासम्पूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च ।
दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे ॥
5. स्कंदमाता :- शक्ति के इस स्वरूप की उपासना पांचवे दिन की जाती है . देवासुर संग्राम के सेनापति भगवान स्कन्द की माता होने के कारण इन्हें स्कंदमाता के नाम से जानते हैं. यह शक्ति वा सुख का एहसास कराती हैं . नवरात्रि में पांचवें दिन मंत्र का जाप करना चाहिए:
सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया ।
शुभदास्तु सदा देवी स्कंदमाता यशस्विनी ॥
6. कात्यायिनी :- महर्षि कात्यान के कठोर के बाद देवी ने पुत्री स्वरूप जन्म लिया और कत्यायिनी नाम से जानी गई . इस शक्ति की उपासना से मोछ की प्राप्ति हो जाती है. इस दिन मां के इस मंत्र का जाप उपयोगी होगा :
चन्द्रहासोज्वलकरा शार्दूलवरवाहना ।
कात्यायनी शुभं दघाद्देवी दानवघातिनी ॥
जिन कन्याओं के विवाह मे विलम्ब हो रहा हो,उन्हे इस दिन मां कात्यायिनी की उपासना अवश्य करनी चाहिए, जिससे उन्हें मनोवान्छित वर की प्राप्ति होती है.
7. कालरात्रि :- मां दुर्गा की सातवी शक्ति कालरात्रि तीन आखें , बिखरे बाल , कृष्ण वर्ण , विकराल स्वरूप में हैं. इस देवी की उपासना से समस्त पापों का नाश होता है और मां हमें भय-मुक्त कर के अनंत पुण्यफल का आशीष प्रदान करती है. इस दिन निम्न मंत्र का जाप करें:
एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता ।
लम्बोष्टी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी ॥
वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा ।
वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयङ्करी ॥
8. महागौरी :- आठवें दिन मां के महागौरी रुप की उपासना की जाती है . इसकी उपासना से पूर्व में किए हुए पापों का नाश होता है और साथ ही भविष्य को सफलता का आर्शीवाद प्राप्त होता है. इस दिन निम्न मंत्र का जाप करें:
श्वेते वृषे समारुढा श्वेताम्बरधरा शुचिः ।
महागौरी शुभं दघान्महादेवप्रमोददा ॥
9. सिद्धिदात्री :- नवरात्री का अंतिम व सबसे अहम दिन क्योकि यह माता की नो विभूति है. सभी प्रकार की सिद्धि देने वाली और इस शक्ति की उपासना से सभी प्रकार की समस्त सिद्धिया प्राप्त होती है और कोई मनोकामना शेष नहीं रहती है. इस दिन निम्न मंत्र का जाप करें:
सिद्धगन्धर्वयक्षाघैरसुरैरमरैरपि ।
सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी ॥
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