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मुंबई के आदर्श नगर सोसाइटी में कथित घोटाले से जुड़े विवाद के बाद मुख्यमंत्री पद पर काबिज अशोक चव्हाण के स्थान पर महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री बनने जा रहे पृथ्वीराज चव्हाण एक साफ-सुथरी छवि वाले इंसान हैं जिन्होंने इंजीनियर से राजनीतिज्ञ तक का लंबा सफर तय किया है. राहुल गांधी ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि केवल स्वच्छ छवि के व्यक्ति को मुख्यमंत्री बनाया जाएगा और शायद इसीलिए पार्टी हाई कमान ने उनको महाराष्ट्र की कमान सौंपने का फैसला किया. चव्हाण का जन्म मध्य प्रदेश के इंदौर में एक मराठी परिवार में 17 मार्च, 1946 को हुआ था.
पृथ्वीराज के पिता प्रख्यात कांग्रेसी डी आर उर्फ आंदेराव चव्हाण इंदौर रियासत में ‘दीवान’ थे और कानूनी मामलों के जाने-माने विशेषज्ञ थे. आंदेराव चव्हाण जवाहरलाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री और इंदिरा गांधी के मंत्रिमंडल के सदस्य भी थे. जबकि पृथ्वीराज 1991 के बाद से तीन बार सांसद रह चुके हैं. पृथ्वीराज दो बार 1991 और 1996 में महाराष्ट्र की कराड लोकसभा सीट से चुनाव जीते चुके हैं. फिलहाल वे महाराष्ट्र से राज्यसभा सदस्य हैं. उनका राजनीतिक आधार पश्चिमी महाराष्ट्र में है. अमेरिका में बर्कले से पोस्ट ग्रेजुएट पृथ्वीराज चव्हाण ने पिलानी के बिट्स इंस्टीट्यूट से इंजीनियरिंग की हुई है.
पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने पृथ्वीराज को राजनीति में शामिल होने का आमंत्रण दिया और फिर उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा. सबसे पहले 1991 में पृथ्वीराज पश्चिमी महाराष्ट्र के सतारा से लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए. वर्ष 2002 में वह राज्यसभा के लिए चुने गए और वर्तमान में भी वह इसी सदन के सदस्य हैं. प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री होने के साथ ही उनके पास कई महत्वपूर्ण विभागों की जिम्मेदारी भी थी.
पृथ्वीराज राजनीतिक परिवार से आते हैं. उनके पिता जवाहर लाल नेहरू मंत्रिमंडल में मंत्री थे. पृथ्वीराज ने सत्वशीला से विवाह किया और उनका एक पुत्र व एक पुत्री हैं. लोकसभा सदस्य बनने के बाद से पार्टी में चव्हाण की हैसियत बढ़ती चली गई. यूपीए सरकार में उन्होंने पांच विभागों का प्रभार संभाला. इनमें विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी व कार्मिक मामलों का मंत्रालय शामिल है.
लेकिन पृथ्वीराज के लिए आगे का सफर इतना आसान नहीं है. उन्हें कई मुश्किले पेश आ सकती हैं. हालांकि वे करीब दो दशकों से राजनीति में हैं लेकिन वे महाराष्ट्र की राजनीति में ज्यादा भागीदार नहीं रहे. उन्हें गुटबाजी से ग्रस्त पार्टी को संभालने में समस्याएं आ सकती हैं. इसी तरह उन्हें महाराष्ट्र सरकार में सहयोगी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के साथ चलने में भी कठिनाई आ सकती है क्योंकि पार्टी अध्यक्ष शरद पवार से उनके संबंध मधुर नहीं हैं.
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