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प्रसिद्धि और सफलता के बीच अंतर

संपादकीय ब्लॉग
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दुनिया आज प्रसिद्धि के पीछे भाग रही है और उसे प्रसिद्धि और सफलता के बीच का अंतर कर पाने से कोई मतलब नहीं. ज्यादातर लोग बस एक निश्चित लय के साथ इसी चाल से चले जा रहे हैं. जाने-माने फिल्म निर्माता-निर्देशक महेश भट्ट कहते हैं कि एक सेलिब्रिटी जो प्रसिद्धि है और एक हीरो जो नैतिकता की मिसाल है, हमें इन दोनों के बीच फर्क करना सीखना चाहिए.

हाल ही में जब भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ने अपना कोड़ा फटकारते हुए भारतीय टी-20 टीम के सात खिलाड़ियों को सेंट लूसिया के एक पब में उपद्रव करने के आरोप में कारण बताओ नोटिस जारी किया तो मुझे लगा कि निश्चित तौर पर जीवन की सबसे बेहतरीन चीजें स्वतंत्र नहीं हैं. कोई आश्चर्य नहीं अगर एक पुरानी कहावत में कहा गया है कि अगर आप लंबी आयु जीना चाहते हैं तो प्रसिद्ध होने की जरूरत नहीं है.

मीडिया सेलिब्रिटीज से जुड़ी हुई छोटी सी कमी को वैश्विक मनोरंजन बनाने में कोई कोताही नहीं बरतती. हाल ही में किसी ने टिप्पणी की थी कि सेलिब्रिटी होना किसी जाल से कम नहीं है. प्रसिद्धि पाने के बाद आपकी स्थिति उस मक्खी जैसी हो जाती है जो तलवार की धार पर बैठकर शहद की एक बूंद पीने की कोशिश कर रही हो.

क्रिकेट, मूवी या राजनीति से जुड़े विशिष्ट लोग मीडिया के लिए मोटा पैसा कमाने का बड़ा जरिया बनते जा रहे हैं. केबल और सेटेलाइट टेलीविजन ने बड़ी तादाद में भारतीय मध्यम वर्ग के लोगों को सिल्वर स्क्रीन से दूर कर दिया है. टेलीविजन के बड़े चैनल अपने दर्शकों को उनके पसंदीदा स्टारों की वास्तविक जिंदगी से जुड़ी कहानियां परोस रहे हैं. अब तक दर्शक सिल्वर स्क्रीन पर काल्पनिक कहानियों में स्टारों को देखकर खुश होते थे. अब वही दर्शक उनकी जिंदगी से जुड़ी हर अच्छी और बुरी बात जानने के लिए उत्सुकता के साथ टीवी चैनलों की ओर निहारने लगे हैं. भारतीय टेनिस सनसनी सानिया मिर्जा और पाकिस्तानी क्रिकेटर शोएब मलिक की शादी की उहापोह से टीवी न्यूज चैनलों ने अच्छा पैसा कमाया.

खुद को अपनी जिंदगी की नीरसता से बचाने के लिए हम धनाढ्य और प्रसिद्ध लोगों की जिंदगी की परेशानियों को देखकर अपने जीवन की परेशानियों से थोड़ी देर के लिए मुंह मोड़ लेते हैं. धीरे-धीरे हम दूसरों के जीवन की वास्तविक परेशानियों को देखने के आदी हो जाते हैं. हालांकि सेलीब्रिटीज के नजरिये से कहानी कुछ जुदा है. मैंने अनुभव किया है कि जैसे-जैसे करियर आगे बढ़ा, कई सेलिब्रिटीज अपनी प्रसिद्धि से ही चिढ़ने लगे थे. अपने क्षेत्र के बड़े स्टार अनुपम खेर ने एक बार मेरे सामने स्वीकार किया था कि उन्हें महान अभिनेता संजीव कुमार बहुत पसंद थे, लेकिन वह उनकी प्रसिद्धि से नफरत करते हैं.

मेरे भांजे इमरान हाशमी ने एक बार मुझसे कहा था कि जब आप एक बार आगे बढ़ जाते हैं तो आप कभी भी प्रसिद्धि की कीमत के बारे में नहीं सोचते. आप हमेशा अपनी लाइन को याद करने में व्यस्त रहते हैं. फिर अचानक जब आपकी फिल्म सफल हो जाती है तो आपको एक विशेष प्रकार का किरदार निभाने के कारण सीरियल किसर नाम से पहचाना जाने लगता है. वास्तविकता में आपकी इस छवि बनने में आपका कहीं से कहीं तक कोई हाथ नहीं होता. हो सकता है कि इन दिनों बालीवुड गुणवत्तापूर्ण फिल्में बनाने में विश्व में पिछड़ रहा हो, लेकिन निश्चित तौर पर यह बड़ी तादाद में सेलिब्रिटीज तैयार कर रहा है. बालीवुड राखी सावंत जैसी अनजान लड़की को सेलिब्रिटी बनाता है. इसके बाद उसका इस्तेमाल होता है टीवी शो, उपभोक्ता वस्तुएं बेचने और राजनीतिक प्रचार के लिए.

इसमें कोई दोराय या मनाही नहीं है कि सेलिब्रिटी इंडस्ट्री अस्तित्व में है और इसकी कार्यप्रणाली भी किसी सी छुपी नहीं है. यह इंडस्ट्री बाजार केंद्रित है और यह बाजार के लिए चीजें तैयार करती है. हर क्षेत्र का प्रत्येक व्यक्ति एक ऐसी सेलिब्रिटी की तलाश में है जिसकी सफलता की पीठ पर सवार होकर वह ऊंची उड़ान भर सके. आज के समय की सबसे अहम समस्या यह है कि हम प्रसिद्धि पाने की चाहत में प्रसिद्धि और सफलता के बीच अंतर कर पाने की अपनी क्षमता को खो चुके हैं. मेरे मुताबिक प्रसिद्धि का मतलब अमिताभ बच्चन हैं और सफलता का मतलब महात्मा गांधी हैं. एक सेलिब्रिटी जो प्रसिद्धि है और एक हीरो जो नैतिकता की मिसाल है. हमें एक समाज के तौर इन दोनों के बीच फर्क करना सीखकर बाकी सभी को सिखाना चाहिए.

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