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जब भी हम शिक्षा पर वार्तालाप शुरू करते हैं तो सबसे पहले जो बात जेहन में उठती है, वह यह कि शिक्षा क्या है? इस बात को साफ़ कर दें कि मेरी दृष्टि में शिक्षा का अभिप्राय केवल गिनती सीख लेना और अक्षर को जान लेना ही नहीं है. शिक्षा वह उपकरण है जो मनुष्य को जीवन के प्रत्येक परिस्थिति का सामना करने में सक्षम बनाती है, मनुष्य के सोच को अभिव्यक्ति प्रदान करती है तथा सही ढंग से कार्यों को करने में सक्षम बनाती है. हम प्रत्येक साक्षर व्यक्ति को शिक्षित नहीं कह सकते. तब तक किसी व्यक्ति को शक्षित नहीं कह सकते जब तक कि वह संवेदनशील, घर, बाहर और दफ्तर में महिलाओं का सम्मान करने, अन्याय के विरुद्ध आवाज उठाने में सक्षम नहीं हो और लोगों के साथ उनके अधिकारों के लिए आवाज उठाना नहीं सीख लिया हो.
हमारे देश में शिक्षा के महत्व को व्यक्ति की कमाई से आंका जाता है. विद्यार्थियों को बताया जाता है कि वे एकाग्रचित होकर अपने लक्ष्य पर ध्यान लगाएं. यह लक्ष्य सिविल सेवा या ऐसी ही कोई बड़ी नौकरी हो सकती है. छात्रों को पर्याप्त विकल्प नहीं उपलब्ध कराया जाता है. यदि कोई प्रशासक नहीं बनना चाहता तब उसे क्या करना चाहिए, इस सम्बन्ध में उसके पास जानकारी नहीं होती अर्थात विकल्प का अभाव होता है. वर्तमान में विद्यार्थियों के पास उनके सामने उपलब्ध विकल्पों का पर्याप्त खाका नहीं होता है.
एक बड़ी समस्या है, विद्यार्थियों के द्वारा सूचनाओं के मांग और आपूर्ति में विशाल अंतर का होना. एक ऐसे देश में जहाँ सरकारी स्कूलों की स्थिति बहुत ही दयनीय है और प्राइवेट/पब्लिक स्कूल केवल पैसे वालों के लिये आरक्षित हैं, विद्यार्थियों को सही मार्गदर्शन की आवश्यकता बहुत ही बढ़ जाती है. हम एक ऐसे उन्नत तकनीकी युग में जीने का दावा करते हैं, जहाँ कि सूचनाएँ उँगलियों के संकेत पर उपलब्ध हैं. तब सवाल उठता है कि ऐसे तकनीक का उपयोग हम अपने बच्चों को शिक्षित करने, करियर संबंधी उनकी उत्सुकताओं को पूरा करने तथा उन्हें दुनिया का जानकार नागरिक बनाने में क्यों नहीं करते हैं?
मैंने बच्चों के बीच और शिक्षा के क्षेत्र में एक दशक से ज्यादा समय दिया है. इस अनुभव के आधार पर मैं यह कह सकती हूँ कि सभी बच्चों—अच्छे स्कूलों के हों, नगर या गावं के हों या फिर झुग्गियों में रहने वाले हों—में आगे बढ़ने की प्रतिभा होती है. यह जिम्मेवारी हम शिक्षा क्षेत्र से जुड़े लोगों पर आ जाती है कि प्रतिभाओं को पहचानें और उसे एक रूप प्रदान करें.
इस ब्लॉग का उद्देश्य शिक्षा क्षेत्र से जुड़े लोगों—शिक्षकों, विचारकों, बुध्धिजीवियों और छात्रों के बीच एक बहस की शुरुआत करना है. बहस अनिवार्य रूप से आदान-प्रदान से जुड़ा है. इसके तहत इस बात की जरूरत होती है कि प्रत्येक पाठक मेरे और अन्य लोगों द्वारा उठाये गए मुद्दों पर टिप्पणी करें और अपने विचार लिखें. हमें इस मंच का एक दूसरे को जानने और बच्चों के भविष्य तथा शिक्षा पर साथ-साथ वार्तालाप करने के रूप में लाभ उठाना चाहिए.
संपादक, एम. एम. आई ऑनलाइन
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