Menu
blogid : 147 postid : 943

क्या यही वो भारत है जिसकी कल्पना आजादी के उन मतवालों ने की थी?

Jagran Junction Blog
Jagran Junction Blog
  • 158 Posts
  • 1211 Comments

जागरण जंक्शन मंच की ओर से आप सभी सम्मानित ब्लॉगरों को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।


प्रिय पाठकों,

15 अगस्त 1947, यह वह दिन है जिस दिन गुलामी और परतंत्रता की बेड़ियों में जकड़े भारतवर्ष को खुद को स्वतंत्र कहने का सम्मान प्राप्त हुआ था। दो शताब्दियों से भी अधिक समय से चली आ रही अंग्रेजी हुकूमत को समाप्त कर भारत को एक प्रभुत्व संपन्न देश घोषित करवाने के लिए ना जाने कितने ही स्वतंत्रता सेनानियों ने अपनी जान की बाजी लगा दी। आजादी के उन्हीं मतवालों के अतुलनीय प्रयासों और बलिदानों का ही नतीजा है जो आज हमें खुद को स्वतंत्र कहने का गौरव प्राप्त है।


इस वर्ष भारत अपना 66वां स्वतंत्रता दिवस मनाने जा रहा है। निश्चित रूप से यह हम सभी भारतवासियों के लिए गर्व की बात है। लेकिन आजादी के समय जिस स्वतंत्र और संप्रभु राष्ट्र की कल्पना की गई थी क्या आज का भारत वही हकीकत है? क्योंकि दुनिया के नक्शे में अखंडित दिखने वाले भारत देश के अंदरूनी हालात दो भागों में विभाजित हो चुके हैं। जिसका एक भाग अति समृद्ध और संपन्न है, चारों ओर जहां केवल खुशहाली ही खुशहाली नजर आती है। विज्ञान, प्रौद्योगिकी, शिक्षा और जीवन यापन के उत्तम साधनों का प्रयोग करने वाले यह लोग धन-धान्य युक्त और विपन्नता से बहुत दूर हैं।


लेकिन हमारे प्रगतिशील भारत की कड़वी हकीकत उसका शेष भाग है। जिसकी ओर ध्यान देना शायद कभी किसी ने जरूरी नहीं समझा। मौलिक सुविधाओं से कोसों दूर हमारी आधी से ज्यादा आबादी अशिक्षा, कुपोषण, गरीबी, भुखमरी, बेरोजगारी का दंश सह रही है।


हैरानी तो तब होती है जब दिनोंदिन तरक्की करने वाले भारत देश की एक-तिहाई आबादी आज भी दो वक्त की रोटी की जुगत में अपना पूरा जीवन व्यतीत कर देती है। उल्लेखनीय है कि आजाद भारत के इन बिगड़ते हालातों का सबसे बड़ा और शायद एकमात्र कारण ही भ्रष्टाचार रूपी दानव है, जो समय के साथ-साथ अपने पैर पसारता जा रहा है। यही वजह है कि जहां अमीरों की झोली में धन बरसता जा रहा है वहीं निर्धन व्यक्ति खाने के लिए भी तरस रहा है। कहते हैं उस व्यक्ति के लिए आजादी का कोई मतलब नहीं रह जाता जिसके पास जीवन यापन करने के लिए जरूरी साधन ही ना हो। इसीलिए ऐसे हालातों में आजादी की बात करना एक विडंबना ही है।


भूख, भय और भ्रष्टाचार से त्रस्त भारत को आज अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। टीम अन्ना द्वारा भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन की असफलता, असम में हुई हिंसा, देश की सीमा के भीतर पैर पसारता आतंकवाद और महिलाओं के प्रति बढ़ते अपराध, निश्चित ही आजाद भारत का यह चेहरा बेहद खौफनाक और दहला देने वाला है। इन परिस्थितियों को देखते हुए स्वत: ही यह विचार आ जाता है कि क्या वाकई हम खुद को स्वतंत्र कह सकते हैं? क्या यह वही भारत है जिसका सपना सजाए हजारों देश प्रेमियों ने अपना सर्वोच्च बलिदान दिया था?


स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य में जागरण जंक्शन अपने सभी सम्मानित ब्लॉगरों को “वर्तमान परिदृश्य में आजादी के मायने” जैसे मुद्दे पर अपने विचार लिखने के लिए आमंत्रित कर रहा है। आप अपने स्वतंत्र ब्लॉग के माध्यम से अपने विचारों को अन्य पाठकों के साथ साझा कर सकते हैं। अपने परिपक्व और बहुमूल्य विचार दूसरों तक पहुंचाने का आपके पास यह सुनहरा अवसर है।


धन्यवाद

जागरण जंक्शन परिवार


Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh