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दिवाली आते ही चारों ओर का वातावरण आनंदित और प्रफुल्लित दिखने लगता है. हल्की-हल्की ठंड बदलते मौसम की दस्तक देने लगती है. दिवाली के करीब आते ही इससे जुड़ी हुई यादें भी मन में ताजा होने लगती है. अधिकतर लोग अब की दिवाली की बजाय बचपन की दिवाली को ज्यादा आनंदायक मानते हैं. तो कुछ लोग किसी यादगार अनुभव से जुड़ी हुई दिवाली को हमेशा दिल में संजोय रखते हैं.
जैसे अधिकतर युवा आज भी अपने बचपन के दिनों की उस दिवाली को याद करते हैं, जब दिवाली से कई दिन पहले ही ईट-मिट्टी का छोटा-सा मंदिर बनाकर, सारे बच्चे उस मंदिर में गणेश-लक्ष्मी की मूर्ति रखकर, रोज सुबह-शाम पूजा किया करते थे. सच में उस दिवाली का मजा ही कुछ और था. आज तो भागती-दौड़ती जिंदगी में लोगों को दिवाली के दिन भी मुश्किल से ही वक्त मिल पाता है. आज आधुनिकता और सुविधाओं से भरे दौर ने, दिवाली को बेशक हाई-टेक और चकाचौंध से भर दिया हो लेकिन हम सभी के जीवन में ऐसी दिवाली जरूर बीती होगी, जिससे हमारी ढेर सारी यादें जुड़ी होंगी.
जीवन के उस सुखद और यादगार अनुभव की याद हमें दिवाली के आगमन पर जरूर आती है. अगर आपके पास भी दिवाली से जुड़ा हुआ ऐसा ही कोई यादगार, रोचक अनुभव है जो आपके मन में आज तक ताजा है, तो दिल के करीब इस सुखद अनुभव को आप हमारे साथ सांझा कर सकते हैं. जागरण मंच आपके दिवाली से जुड़े हुए यादगार अनुभवों को अन्य ब्लॉगरों के साथ बांटने का मौका दे रहा है. आप अपने अनुभवों को हमारे साथ साझा कर सकते हैं.
नोट: अपना ब्लॉग लिखते समय इतना अवश्य ध्यान रखें कि आपके शब्द और विचार अभद्र, अश्लील और अशोभनीय ना हों तथा किसी की भावनाओं को चोट ना पहुंचाते हों.
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