Menu
blogid : 147 postid : 1334176

बरगद की छांव से हैं ‘पिता’… अपने अनुभव शेयर करें हमारे साथ

Jagran Junction Blog
Jagran Junction Blog
  • 158 Posts
  • 1211 Comments

‘भुला के नींद अपनी सुलाया हमको, गिराकर आंसू खुद हंसाया हमको,  जिसने सिखाया भीड़ मे अलग पहचान बनाना वो थे मेरे पापा’


fathers day

इंसान जब सबसे पहले इस दुनिया में आता है तो सबसे पहले अपनी मां को पहचानता है लेकिन गुजरते वक्त के साथ उसका रिश्ता अपने पिता के साथ भी जुड़ता जाता है. दुनिया का हर पिता चाहता है कि उसका बच्चा मजबूत बने. साथ ही जिदंगी के हर उतार-चढ़ाव को झेलता हुआ जिदंगी जीने का हुनर सीखें. ऐसे में हम सभी के जीवन में ऐसे पल भी आये होंगे जब पिता ने हमें किसी बात पर डांटा या फटकारा होगा.


उस समय तो हमें पिता का ये व्यवहार बहुत ही बुरा लगा होगा लेकिन उम्र बीतने के साथ आज उस डांट-फटकार की प्रासंगिकता समझ आती होगी. देखा जाए तो सभी लोगों का अपने पिता से अलग तरह का रिश्ता होता है. किसी के लिए पिता एक दोस्त है तो किसी के लिए बड़ा भाई, किसी के लिए पिता एक मार्गदर्शक की तरह है जो हर तरह की परेशानियों के समय संतान को याद आता है.



इसी तरह पिता आपके जीवन में क्या महत्व रखते हैं और आपका उनके साथ किस तरह का रिश्ता है? साथ ही आपके पिता के बिताए हुए यादगार लम्हे और खट्टी-मीठी यादें आज आपके जीवन में क्या महत्व रखती है. बेशक इन सभी सवालों का जवाब सिर्फ आप जानते होंगे, जिन्हें शब्दों में बयां कर पाना बेहद मुश्किल है. जीवन में पिता से जुड़ी हुई कोई ऐसी घटना भी होगी जो आपके लिए मील का पत्थर साबित हुई होगी.



अगर आपके पास भी अपने पिता से जुड़ा ऐसा ही कोई यादगार अनुभव  है तो आप इस ‘फादर्स डे’ अपने अनुभव ‘जागरण जक्शंन’ मंच के साथ शेयर कर सकते हैं.



नोट : अपना ब्लॉग लिखते समय इतना अवश्य ध्यान रखें कि आपके शब्द और विचार अभद्र, अश्लील और अशोभनीय न हो तथा किसी की भावनाओं को चोट न पहुंचाते हो.

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh