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उल्लू बनाया बड़ा मजा आया…………….यह पंक्ति सुनकर जरूर आपके बचपन की कुछ शैतानी भरी यादें ताजा हो गई होंगी। ऐसी यादें जो आपके लिए वो ख़ास लम्हा बन गईं जिन्हें भूल पाना आपके लिए बिल्कुल संभव नहीं है। बस कुछ ही दिनों में उन मस्ती भरी शरारती यादों को फिर से एक बार जी उठने का मौका आने वाला है।
जी हां, सही सोचा आपने। अप्रैल की पहली तारीख मतलब अप्रैल फूल डे। यह वो दिन है जब आपके भीतर छिपा बच्चा बाहर आकर शैतानी करता है, आस-पड़ोस के लोगों के साथ हँसी-मजाक करता है और दूसरों के चेहरे पर खुशी देखकर उस बच्चे का चेहरा भी खुशी से खिल उठता है। वह बच्चा इस बात से संतुष्ट हो जाता है कि उसका छोटा-सा मजाक सफल हुआ।
लेकिन कभी-कभी ऐसी स्थितियाँ भी उत्पन्न हो जाती है जब आपका छोटा-सा मजाक किसी दूसरे के लिए परेशानी का सबब बन जाता है। उस मजाक को आप तो हल्के में लेते हैं लेकिन जिसके साथ वो मजाक किया गया उस पर वह बहुत भारी पड़ जाता है।
यूँ तो अप्रैल फूल डे पर बुरा मानने का रिवाज़ नहीं है लेकिन कभी-कभार वह मजाक जाने-अंजाने सारी हदें पार कर पीड़ित के लिए गले की फांस बन जाता है। परिणामस्वरूप आपका दांव उलटा पड़ जाता है। माहौल को हल्की बनाने की चाह अत्याधिक संगीन बन जाती है और जिन करीबियों के साथ आपने वो मजाक किया है वह खुद को आपसे बहुत दूर कर लेते हैं।
कुछ ही दिनों में आने वाला अप्रैल फूल डे फिर उन्हीं यादों को अपने साथ लेकर आने वाला है और इस अवसर पर जागरण जंक्शन मंच अपने सभी सम्मानीय ब्लॉगर को इस ख़ास दिन से जुड़ी उन खट्टी-मीठी यादों को बयां करने का अवसर प्रदान कर रहा है।
आप चाहें तो अपने स्वतंत्र ब्लॉग के माध्यम से अन्य ब्लॉगरों सहित सारी दुनिया को अपने उन संस्मरणों से अवगत करवा सकते हैं और उन लोगों से अपनी गलती की माफ़ी भी माँग सकते हैं जो आपसे ख़फा हैं। इससे बेहतर क्या होगा कि जिस दिन वो आपसे रूठे थे उसी दिन फिर आपको गले लगा लें। तो फिर देर किस बात की, आने वाले अप्रैल फूल डे का स्वागत करें और वो भी पूरे उत्साह के साथ।
नोट: उपर्युक्त मुद्दे पर आप कमेंट या स्वतंत्र ब्लॉग लिखकर अपनी राय व्यक्त कर सकते हैं। किंतु इतना अवश्य ध्यान रखें कि आपके शब्द और विचार अभद्र, अश्लील और अशोभनीय ना हों तथा किसी की भावनाओं को चोट ना पहुँचाते हों।
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