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आज से करीब 20 दशक पहले लोग सुनसान जगह की बजाय भीड़-भाड़ वाला इलाका चुनते थे क्योंकि उन्हें सन्नाटा डराता था लेकिन अब उन्हें भीड़ से डर लगता है. बीते दिनों ऐसी कितनी ही वारदातें हुई जिसे भीड़ ने अंजाम दिया या किसी घटना को भीड़ ने रोकने की कोशिश नहीं की बल्कि चुपचाप जुल्म को होती देखती रही.
आज वो समाज हो चला है, जहां पर सड़क पर जिंदगी-मौत से जूझते इंसान को अस्पताल ले जाने के बजाय घटना की तस्वीरें और वीडियो बनाई जाती है. पिछले काफी वक्त से भीड़ के उग्र और असंवेदनशील होने की घटनाएं बढ़ रही है, जिसकी वजह से एक छोटी-सी बात पर इंसान को अपनी जिंदगी से हाथ धोना पड़ रहा है.
वहीं आए दिन पालतू जानवरों खासकर कुत्तों पर अत्याचार की घटनाएं बढ़ती जा रही है. जरा सोचिए, इंसान की मानसिकता कितनी पिछड़ती जा रही है, जहां पहले कुत्ते को इंसान का सबसे अच्छा दोस्त कहा जाता था, अब उन्हें क्रूरता से मारने और जिंदा जलाने की खबरें आए दिन सुनने को मिलती है.
ऐसे में आपके मन में भी विचार आया होगा कि आखिर बढ़ती आधुनिकता हम पर किस तरह का असर डाल रही है या फिर ये कहें कि हम जितनी आधुनिक युग की ओर बढ़ते जा रहे हैं, उतने पिछड़ते जा रहे हैं. आपको क्या लगता है? आज की भागती-दौड़ती जिंदगी में इंसान क्यों हो रहा है क्रोध, अंसवेदनशीलता का शिकार? आप अपनी राय ‘जागरण जंक्शन मंच’ के साथ शेयर कर सकते हैं?
नोट :अपना ब्लॉग लिखते समय इतना अवश्य ध्यान रखें कि आपके शब्द और विचार अभद्र, अश्लील और अशोभनीय न हो तथा किसी की भावनाओं को चोट न पहुंचाते हो.
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