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इस बार 26 जनवरी को जब ऊषा की पहली किरण निकलेगी तब शायद समूचे भारत में गणतंत्र दिवस समारोह खत्म हो रहा होगा। लेकिन उस किरण के निकलने के साथ ही भारत अपने अब तक के इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ चुका होगा। एक ऐसा अध्याय जिसमें आज़ादी के बाद योजना आयोग की जरूरत दर्ज़ थी और अब नीति आयोग की।
इन 65 वर्षों के सफर में हमने अच्छे पलों को मिलकर जीया और कई कड़वे पलों में हमारी एकजुटता ने समूची दुनिया को अचम्भित कर दिया। इस दौरान हमने धीमे रफ्तार से ही सही लेकिन काफी भौतिक प्रगति की। एक समय ऐसा भी आया जब पिछले सरकार के घोटालों, नेताओं और मंत्रियों का जनता से संवाद टूटने से एक घुटन और असंतोष भरा माहौल बना जिसने लोगों के दिलो-दिमाग में संसदीय प्रणाली के प्रति बढ़ रहे उनके अविश्वास को ताव दी।
लेकिन मई 2014 में जनता ने करीब 30 वर्षों बाद भाजपा को बहुमत देकर देश की बागडोर उनके हाथों में सौंप दी। इसी के साथ जनसंघ की स्थापना और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के उनके स्थापना के समय से किये जा रहे अथक प्रयासों का सुखद परिणाम उन्हें देखने को मिला।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पद सम्भालते ही वैश्विक जगत और विशेष रूप से पड़ोसी देशों से कूटनीतिक संबंधों को नया आयाम दिया। कई पुराने और गैर-जरूरी कानूनों को बदलने की इच्छा और जनता से सीधे संवाद करने के लिए ‘आकाशवाणी’ और ‘दूरदर्शन’ का प्रयोग लोगों के दिलों में लोकतंत्र की पुर्नबहाली की दिशा में एक महत्तवपूर्ण कदम साबित होते दिख रही है। लेकिन इसके साथ ही ‘घर-वापसी’ और ‘लव-जेहाद’ जैसे मुद्दों पर भाजपा सरकार की भूमिका पर भी सवाल उठे हैं।
इन सब के बावजूद हर भारतीय एक ‘सशक्त भारत’ को बनते और बढ़ते देखना चाहता है। एक ऐसा भारत जो हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर हो, सामरिक और कूटनीतिक रूप से सशक्त हो! यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि ऐसे मज़बूत भारत का सपना हर भारतीय के दिलों में होगा।
और अगर आपके मन-मस्तिष्क में भी ‘भविष्य के भारत’ को लेकर कोई विचार, सुझाव या सपना है जिसे आप पूरी दुनिया को बताना चाहते हों तो जागरण जंक्शन दे रहा है आपको ये मौका!
नोट: अपना ब्लॉग लिखते समय इतना अवश्य ध्यान रखें कि आपके शब्द और विचार अभद्र, अश्लील और अशोभनीय ना हों तथा किसी की भावनाओं को चोट ना पहुँचाते हों।
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