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बचपन में जब स्कूल में राष्ट्रगान होता था, तो सभी बच्चे सावधान होकर प्रार्थना सभा में भाग लेते थे और अगर कोई बच्चा किसी वजह से इस प्रार्थना सभा में हिस्सा नहीं ले पाता था, तो राष्ट्रगान की आवाज सुनते ही वो वहीं अपनी जगह पर सावधान होकर खड़ा हो जाया करता था. ऐसा इसलिए क्योंकि ये अनुशासन का हिस्सा था और हमारे बड़ों ने हमें सिखाया था कि राष्ट्रगान से देश का सम्मान जुड़ा है.
लेकिन अब हालात बदल गए हैं अगर आप राष्ट्रगान को सिनेमा हॉल में चलाए जाने के विरोध में एक शब्द भी कह देते हैं, तो तुंरत आपको देशद्रोही कहकर आलोचना होनी शुरू हो जाती है. कुछ लोगों पर तो लाठी-डंडे और चाकू भी चल जाते हैं.
गौर करने की बात ये है कि बचपन में कोई राष्ट्रगान के सम्मान के लिए हमारे सिर पर डंडा लेकर खड़ा नहीं होता था बल्कि ये तो एक भावना है, जो बिना जोर-जबर्दस्ती के हमारे मन में रहती है. अब भला किसी को आप देशभक्ति कैसे साबित कर सकते हैं? महज राष्ट्रगान पर खड़े होकर कोई देशभक्त बन सकता है, जबकि असल में वो कितने ही घोटाले क्यों ना कर रहा हो? पिछले दिनों देशद्रोह बनाम देशभक्त का मुद्दा उफान पर था. सिनेमाघरों में फिल्म शुरू होने से पहले और बाद में राष्ट्रगान चलाए जाने के फैसले पर भी जमकर बवाल हुआ.
देश के संविधान को लागू हुए 65 साल से ज्यादा का समय हो चुका है लेकिन देशभक्ति के नाम पर कुछ मुट्ठीभर लोग कानून व्यवस्था को तांक पर रख देते हैं. जबकि संविधान की प्रस्तावना पर गौर करें तो प्रस्तावना के अनुसार संविधान के अधीन समस्त शक्तियों का केंद्रबिंदु अथवा स्त्रोत ‘भारत के लोग’ ही हैं. लोग मिलकर ही किसी राष्ट्र का निर्माण करते हैं, संविधान लोगों के लिए बनाया गया है.
ऐसे में कानून या संविधान के नाम पर लोगों पर बढ़ती मनमानियों को किसी तरह से जायज ठहराया जा सकता. आपको भी किसी कानून को देखकर महसूस हुआ होगा कि वक्त के साथ उसमें बदलाव किए जाने चाहिए.
साथ ही देशभक्ति की फर्जी लड़ाई लड़ने वाले लोग खुद आतंक मचाकर कानून व्यवस्था का किस प्रकार उल्लघंन करके देश का अपमान कर रहे हैं. ये भी चर्चा का विषय है. इसके अलावा इन सवालों पर आपकी क्या राय है?
1. आप देशभक्ति और देशद्रोह के मुद्दे पर क्या सोचते हैं?
2. आपकी नजर में असली देशभक्ति क्या है?
3. देश की कानून व्यवस्था पर क्या सोचते हैं?
4. आपके विचार से समय के साथ किस कानून में संशोधन होना चाहिए?
5. आप किस विषय पर एक नया कानून बनवाना चाहेंगे?
आप अपने विचार ‘जागरण जंक्शन’ के मंच के साथ सांझा कर सकते हैं. हमें आपके लेखों का बेसब्री से इंतजार है.
नोट : अपना ब्लॉग लिखते समय इतना अवश्य ध्यान रखें कि आपके शब्द और विचार अभद्र, अश्लील और अशोभनीय न हो तथा किसी की भावनाओं को चोट न पहुंचाते हो.
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