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यूपी चुनाव का बिगुल बज चुका है. ऐसे में सभी पार्टियां अपने-अपने सियासी दांवपेंच में लग गए हैं और अपनी कमर कसकर जनता के बीच जाकर जीत की संभावनाओं को तलाश रहे हैं.
दूसरी तरफ वंशवाद से त्रस्त भारतीय राजनीति में घर के पुराने झगड़ों को भुलाकर चुनाव प्रचार में सभी लोग मिलकर उतर रहे हैं. कहीं गठबंधन की राजनीति खेली जा रही है, तो कोई स्टार प्रचारकों को मैदान में उतारकर वोटर्स को लुभाने की कोशिश कर रहा है.
इन सब बातों से परे जरा सोचिए, पांच राज्यों में होने वाले इन विधानसभा चुनावों में जीत किसी भी पार्टी की हो, सरकार किसी की भी बने, लेकिन आम जनता को अपने वोट के बदले क्या मिलेगा. लम्बे-लम्बे चुनावी वादों और घोषणा पत्र को क्या अमली जामा पहनाया जाता है? ऐसे में एक वोटर या फिर एक नागरिक के नाते आप चुनाव और इससे जुड़े हुए पहलुओं पर क्या सोचते हैं? निम्नलिखित मुद्दों पर आपकी क्या राय है?
1. चुनाव में जाति और धर्म को वोट बैंक मानकर राजनीति करना?2
2. जीत के लिए पार्टी विचारधारा को भुलाकर किसी के साथ गठबंधन करना?
3. एक-दूसरे पर अभद्र टिप्पणियां या बयानबाजी करना?
4. चुनाव आयोग के नियमों और आचार संहिता को तांक पर रखकर पार्टी की मनमानी?
5. महिला उम्मीदवारों की चुनाव में कम भागीदारी?
6.विकास की राह को छोड़कर वोटर को लुभाने के लिए लैपटॉप, टीवी और साइकिल आदि बांटना?
7. पारिवारिक मुद्दे या व्यक्तिगत मामलों को उठाकर जनता को गुमराह करना?
8. बाहुबल या पैसों को पानी की तरह बहाकर जनता को प्रभावित करने की कोशिश करना?
इन 8 सवालों में से आप अपने पसंदीदा विषय पर अपनी राय रख सकते हैं. इसके अलावा भी अगर भारतीय चुनाव प्रणाली से जुड़ी किसी व्यवस्था के बारे में आप कुछ कहना चाहते हैं, तो ‘जागरण जंक्शन मंच’ पर बेबाकी से अपनी राय रख सकते हैं.
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