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प्रिय पाठक,
किसी भी बच्चे के जीवन में उसके माता-पिता का स्थान कोई नहीं ले सकता। आपके पहले दोस्त, पहले अध्यापक और एकमात्र सच्चे संरक्षक सिर्फ और सिर्फ माता-पिता ही होते हैं। मां जहां अपने लाड़-प्यार से आपको दुनिया की हर खुशियां देने की कोशिश करती है वहीं पिता का अपने बच्चों में खुशियां बांटने का तरीका थोड़ा अलग होता है। वह आपको प्यार से कम, डांट से ज्यादा समझाते हैं। लेकिन इसका अर्थ यह कतई नहीं होता कि वह आपसे प्यार नहीं करते। उनके गुस्से में स्नेह, दुलार और आपके प्रति सहानुभूति का भाव छिपा होता है। वह डांट तो सबके सामने देते हैं लेकिन प्यार वो बस अकेले में ही करना जानते हैं। क्योंकि वह ना सिर्फ आपसे प्यार करते हैं बल्कि एक वट वृक्ष की भांति आपको और आपके पूरे परिवार को अपनी छाया में रखकर संरक्षण भी प्रदान करते हैं।
बचपन में दोस्तों के सामने पिता डांटते तो जरूर हैं लेकिन यह भी सच है कि वह डांट आप ही के फायदे के लिए होती है। आप भले ही अनदेखा कर दें लेकिन सच यही है कि आज भी वह आपकी हर छोटी-छोटी जरूरतों को पूरा करने के लिए अपनी बड़ी-बड़ी जरूरतें दरकिनार कर देते हैं।
वैसे तो किसी भी संतान के लिए अपने पिता के अनमोल ऋण को चुका पाना संभव नहीं है लेकिन अगर फिर भी आप उनके लिए कुछ करना चाहते हैं तो कुछ ही दिनों में आपके जीवन में शामिल सबसे महत्वपूर्ण शख्स को समर्पित दिन “फादर्स डे” आने वाला है और अब आपकी बारी है कि आप उनके प्यार, दुलार और डांट से जुड़ी अपनी भावनाओं को उन तक पहुंचाएं। अगर आप अपनी भावनाओं को शब्द देना चाहते हैं तो जागरण जंक्शन मंच आपकी कुछ सहायता जरूर कर सकता है। आप चाहे तो अपना स्वतंत्र ब्लॉग लिखकर अपने पिता को थैंक्यू कहने के साथ-साथ उनके साथ बिताए उन अनमोल पलों को भी अन्य पाठकों के साथ साझा कर सकते हैं। तो फिर देर किस बात की! लिखिए अपना ब्लॉग और बयां कीजिए अपने पिता के खट्टे-मीठे स्वभाव को।
नोट: अपना ब्लॉग लिखते समय इतना अवश्य ध्यान रखें कि आपके शब्द और विचार अभद्र, अश्लील और अशोभनीय ना हों तथा किसी की भावनाओं को चोट ना पहुंचाते हों।
धन्यवाद
जागरण जंक्शन परिवार
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