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सिर पर पिता का हाथ होना अपने आप में एक बहुत बड़ी राहत है. बड़ी से बड़ी मुश्किल भी आसानी से सुलझ जाती है अगर पिता का साथ हो. भारतीय परिवारों की बात करें तो यहां पिता की भूमिका एक संरक्षक की होती है, अपने बच्चों के सुखद भविष्य और परिवार की आर्थिक जरूरतों को पूरा करने का दायित्व पिता के ही कंधों पर होता है. लेकिन आधुनिक जीवन की विडंबना तो देखिए, जीवनशैली इतनी भागदौड़ भरी हो गई है कि जीवन में शामिल सबसे महत्वपूर्ण शख्सियत के लिए ही हमारे पास वक्त नहीं है.
मां का आंचल हर बच्चे के लिए खास होता है लेकिन पिता के महत्व और उनके प्रति कर्तव्यों को भी किसी हाल में कम कर के आंका नहीं जा सकता. बचपन की यादें ऐसी होती हैं जिन्हें आप चाह कर भी नहीं भुला सकते और उन्हीं यादों में से कुछ पिता के साथ बिताए हुए पल भी होंगे जिन्हें फिर से एक बार जी उठने का समय है. कुछ ही दिनों में, यानि 15 जून को फादर्स डे आने वाला है और पिता को उनकी अहमियत का एहसास करवाने के लिए इससे बेहतर दिन और हो भी क्या हो सकता है.
पापा, पिता, डैडी, नाम चाहे कोई भी दें लेकिन आपके हर सपने को अपना समझने वाले, आपकी हर इच्छा को अपनी जरूरत समझने वाले पिता पर तो अगर जीवन का एक-एक क्षण भी न्यौछावर कर दिया जाए तो ज्यादा नहीं है. लेकिन आजकल सभी की लाइफ इतनी ज्यादा जटिल और अप्रबंधित हो गई है कि ऐसा कर पाना मुश्किल ही है. चलिए कितना ही मुश्किल क्यों ना हो, हम एक दिन तो उनके नाम कर ही सकते हैं और हमारे लिए उन्होंने जो भी किया उसके लिए ‘थैंक्स’ तो कह ही सकते हैं.
“तो फिर देर किस बात की! लिखिए अपना ब्लॉग और साझा कीजिए मंच पर मौजूद अन्य पाठकों के साथ पिता से जुड़े अपनी मजेदार, भावुक और कुछ खट्टी-मीठी यादों को”
नोट: अपना ब्लॉग लिखते समय इतना अवश्य ध्यान रखें कि आपके शब्द और विचार अभद्र, अश्लील और अशोभनीय ना हों तथा किसी की भावनाओं को चोट ना पहुंचाते हों।
धन्यवाद
जागरण जंक्शन परिवार
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