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प्रिय पाठकों,
सर्वप्रथम आप सभी को होली की हार्दिक शुभकामनाएं। बचपन में “होली है भई होली है, बुरा ना मानो होली है”तो आपने बहुत बार कही होगी, सुनी होगी। अरे भई होली का त्यौहार है, बुरा मानने का तो अवसर ही कहां है किसी के पास। कुछ ही दिनों में फिर वही रंगों से भरा, हर्षोल्लास से परिपूर्ण होली का पर्व आने को है और जाहिर है आपने इस त्यौहार से जुड़ी तैयारियां भी कर ली होंगी। होली का नाम आते ही मस्ती, हंसी-ठिठोली, मेल-मिलाप की भावनाएं जाग जाती हैं और होता भी कुछ ऐसा ही है क्योंकि आप इस दिन रंगों का बहाना बनाकर अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ अच्छा समय व्यतीत करते हैं। लेकिन कभी-कभार जाने-अनजाने कुछ घटनाएं ऐसी हो जाती हैं जब आपका मजाक किसी को बहुत बुरा लग जाता है जिसकी वजह से उल्लास का वातावरण गंभीर बन जाता है। दोस्ती करने की चाह दुश्मनी में तब्दील हो जाती है।
उदारीकरण के बाद तो वैसे भी होली के स्वरूप और उसके महत्व में कई परिवर्तन देखे जा सकते हैं। पहले जिस तरीके और जिस उद्देश्य के साथ होली का त्यौहार मनाया जाता था आज उसके औचित्य में थोड़ा बहुत नहीं बल्कि काफी हद तक अंतर आया है। ऐसे में हर किसी के पास होली की रंगीनियत और इस उत्सव से जुड़े अनेक स्वानुभव या दूसरों के गुदगुदाते पलों का स्मरण होता ही है। कई घटनाएं भी इस दिन ऐसी घटी होती हैं जो ताउम्र याद रहती हैं।
इसीलिए कुछ ही समय में मनाई जाने वाली होली के उपलक्ष्य में जागरण जंक्शन आप सभी सम्मानित ब्लॉगरों को होली से जुड़े अपने वृतांत, अनुभव, घटनाएं अन्य ब्लॉगरों के साथ-साथ पूरी दुनिया के साथ साझा करने का अवसर प्रदान कर रहा है। आप चाहें तो अपने किसी परिचित या करीबी व्यक्ति के अनुभव भी ब्लॉग के माध्यम से जंक्शन मंच के अन्य ब्लॉगरों के साथ बांट सकते हैं।
नोट: उपरोक्त मुद्दे पर आप कमेंट या स्वतंत्र ब्लॉग लिखकर अपनी राय व्यक्त कर सकते हैं। किंतु इतना अवश्य ध्यान रखें कि आपके शब्द और विचार अभद्र, अश्लील और अशोभनीय ना हों तथा किसी की भावनाओं को चोट ना पहुंचाते हों।
धन्यवाद
जागरण जंक्शन परिवार
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