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प्रिय पाठकों,
हर बार की तरह इस बार भी हम आपके समक्ष आजाद भारत से जुड़े अपने-अपने अनुभव बांटने का सुनहरा अवसर लेकर प्रस्तुत हैं। जैसा कि आप जानते हैं कि कुछ ही दिनों में भारत अपने स्वतंत्रता दिवस की 67वीं वर्षगांठ मनाने जा रहा है और हम हर बार आपसे यही सवाल करते हैं कि पराधीन और स्वाधीन भारत में आपको क्या-क्या फर्क नजर आता है?
एक वो दौर था जब पराधीनता की बेड़ियों में जकड़ा भारत खुद को ‘हिन्दुस्तान’ कहने में भी हिचकता था, अंग्रेजों के चंगुल में फंसे हम भारतीय और हमारा देश भारत, अपनी एक-एक सांस घुटन में ले रहा था। एक दौर आज का है जब अंग्रेजों की हुकुमत से तो छुटकारा मिल गया है लेकिन सियासत और ताकत के खेल के बीच सामान्य जनता पिसकर रह गई है।
सरकारें तो हर पांच साल में बदलती हैं लेकिन देश की तकदीर, उसके हालात कितने बदले हैं यह सत्ताधारी नहीं बल्कि जमीन से जुड़ी जनता ज्यादा बेहतर बता सकती है। तो फिर देर किस बात की जागरण जंक्शन मंच अपने पाठकों को मौका दे रहा है आजाद और स्वाधीन भारत से जुड़े अपने-अपने अनुभव बांटने का, अपनी अपेक्षाएं, अपनी उम्मीदें साझा करने का। अगर आप भी इस मुहिम का हिस्सा बनना चाहते हैं तो लिखिए अपना स्वतंत्र ब्लॉग और बताइए kyaक्या बदली है तकदीर ‘आजाद’ भारत की !!
नोट: अपना ब्लॉग लिखते समय इतना अवश्य ध्यान रखें कि आपके शब्द और विचार अभद्र, अश्लील और अशोभनीय ना हों तथा किसी की भावनाओं को चोट ना पहुंचाते हों।
धन्यवाद
जागरण जंक्शन परिवार
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