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“काहे को तूने मेरा माखन चुराया
काहे को तूने मेरी गगरी गिराई”
वृंदावन की गलियों में आज भी कन्हैया हर दिल में बसा है। नटखट कान्हा का बाल रूप हर किसी को पसंद है। कन्हैया, कान्हा, मुरली मनोहर, माखनचोर जैसे नामों से सुशोभित कृष्ण का बाल रूप हर किसी के मन को हरने वाला है। जीवन भर अपनी जन्मदात्री माता से अधिक यशोदा माता को मान देने वाले कृष्ण ने दुनिया के सामने यह उदाहरण पेश किया कि कर्म हमेशा ज्यादा उपासक होता है।
जन्माष्टमी पर्व कृष्ण की उपासना का पर्व है। इस अवसर पर हम कृष्ण के बाल रूप की वंदना करते हुए उनके आशीर्वाद की कामना करते हैं। कृष्ण के बाल रूप से लेकर उनका पूरा जीवन कर्म की प्रधानता को ही लक्षित करता है। अपने मामा कंस का वध कर कृष्ण ने यह उदाहरण पेश किया कि रिश्तों से बड़ा कर्तव्य होता है। कर्तव्य परायणता की यही सीख कृष्ण ने रणभूमि में अर्जुन को भी दी जो अपनों के निर्बाध वध से आहत होकर अपने कर्तव्य से विमुख हो चले थे। गीता आज भी हमारे धर्मग्रंथों में सर्वोत्तम ग्रंथ है जो जीवन के झंझावात में, आपके हर सवाल का जवाब देती है। कृष्ण हमारी तमाम अन्य धार्मिक उपासनाओं से इस प्रकार अलग हैं कि कृष्ण के उपदेश आज के व्यावहारिक जीवन के अनुरूप और व्यावहारिक लगते हैं।
इस अवसर की महत्ता को समझते हुए जागरण जंक्शन मंच आप सभी सम्मानित सदस्यों को कृष्ण से संबंधित अपने ब्लॉग लिखने के लिए आमंत्रित करता है। आप कृष्ण से संबंधित अनेकानेक आख्यानों, उपदेशों, गीता की महत्ता, पौराणिक मान्यताओं और उनके कृतीत्वों की सार्वभौमिकता या अन्य संबंधित तथ्यों को अपने आलेख के माध्यम से पूरी दुनिया के साथ साझा कर सकते हैं।
!! जन्माष्टमी के पावन पर्व पर जागरण जंक्शन मंच की ओर से आपको हार्दिक शुभकामनाएं !!
नोट: अपना ब्लॉग लिखते समय इतना अवश्य ध्यान रखें कि आपके शब्द और विचार अभद्र, अश्लील और अशोभनीय ना हों तथा किसी की भावनाओं को चोट ना पहुंचाते हों।
धन्यवाद
जागरण जंक्शन परिवार
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