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राजधानी में नर्सरी दाखिले की दौड़ शुरू हो गई है। अब अभिभावकों का भी एक नई ड्यूटी पर लगना शुरू हो जाएगा। वे स्कूलों के बाहर घंटों लाइन में लगकर दाखिला फॉर्म लेंगे। हर अभिभावक की कोशिश होगी कि वो ज्यादा से ज्यादा स्कूलों के फॉर्म भरे, ताकि उसके लाडले की शिक्षा का सफर शुरू हो सके।
दिल्ली में जितनी मशक्कत नर्सरी एडमिशन को लेकर होती है, उनकी शायद विश्वविद्यालयों में एडमिशन लेने के लिए भी नहीं होती होगी। राजधानी में नर्सरी दाखिले को लेकर मारामारी और परेशानी की स्थिति को बॉलीवुड की फिल्म ‘हिंदी मीडियम’ काफी हद तक बयां करती है। हर माता-पिता का सपना होता है कि उनका बच्चा अच्छे स्कूल में पढ़े, इसलिए वे तमाम समस्याओं के बावजूद दाखिले के लिए अपनी पूरी ताकत लगाते हैं।
आप भी अगर अपने बच्चे के नर्सरी दाखिले के लिए प्रयास कर रहे होंगे, तो इन दिक्कतों को करीब से अनुभव करते होंगे। स्कूलों की कुछ गाइडलाइंस से आपको नाराजगी या असहमति होगी। ऐसे हालात देखकर आपको भी लगता होगा कि आखिर इतनी मशक्कत नर्सरी दाखिले को लेकर क्यों होती है। कौन से जरूरी कदम उठाकर इन स्थितियों में सुधार किया जा सकता है। आप अपने इन विचारों को जागरण जंक्शन पर ब्लॉग लिखकर लोगों तक पहुंचा सकते हैं।
नोट- ब्लॉग लिखते समय इतना अवश्य ध्यान रखें कि आपके शब्द और विचार अभद्र, अश्लील व अशोभनीय न हों तथा किसी की भावनाओं को चोट न पहुंचाते हों।
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