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श्रीकृष्ण जन्माष्टमी

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भगवान श्रीकृष्ण के जन्म पर मनाया जाने वाला पावन पर्व जन्माष्टमी भारत भूमि पर मनाया जाने वाला ऐसा त्योहार है जिसे अब सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि विदेशों में कई स्थानों पर बहुत धूमधाम से मनाया जाता है. योगेश्वर कृष्ण के भगवद गीता के उपदेश अनादि काल से जनमानस के लिए जीवन दर्शन प्रस्तुत करते रहे हैं. हिन्‍दुओं का यह त्‍यौहार श्रावण मास(अमूमन जुलाई या अगस्‍त) के कृष्‍ण पक्ष की अष्‍टमी के दिन मनाया जाता है. हिंदू पौराणिक कथा के अनुसार कृष्‍ण का जन्‍म, मथुरा के राजा कंस का अंत करने के लिए हुआ था. कंस श्रीकृष्ण की माता देवकी का सगा भाई था. श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर मथुरा नगरी भक्ति के रंगों से सराबोर हो उठती है.


श्रीकृष्ण जन्माष्टमी में स्त्री-पुरुष बारह बजे तक व्रत रखते हैं. भगवान कृष्ण को झूला झुलाया जाता है और रासलीला का आयोजन होता है. मन्दिरों व घरों को सुन्‍दर तरीके से सजाया जाता व प्रकाशित किया जाता है. वृन्‍दावन के मन्दिरों में इस अवसर पर खर्चीले व रंगारंग समारोह आयोजित किए जाते हैं. कृष्‍ण की जीवन की घटनाओं की याद को ताजा करने व राधा जी के साथ उनके प्रेम का स्‍मरण करने के लिए रास लीला की जाती है. श्रीकृष्ण जन्माष्टमी को कृष्‍णाष्‍टमी अथवा गोकुलाष्‍टमी के नाम से भी जाना जाता है.


इस वर्ष श्रीकृष्ण जन्माष्टमीका पर्व पूरे हर्षोल्लास के साथ 2 सितम्बर को मनाया जाएगा.

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