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प्रिय पाठकों,
“सशक्त नारी को नमन” अभियान में शामिल सभी पाठकों का आभार तथा चयनित श्रेष्ठतम रचनाकारों को हार्दिक बधाई
इंसानी चरित्र कुछ ऐसा है कि कई बार चल रहे माहौल से ही हम उत्साहित या हतोत्साहित होते हैं। अक्सर चल रहे छद्म नकारात्मक माहौल को ही हम असलियत मान बैठते हैं और फिर हमें प्रेरणा की जरूरत पड़ती है। आधी आबादी महिलाओं के लिए सदियों से एक प्रकार का नकारात्मक माहौल बना हुआ है जिसमें महिला का अर्थ ‘कमजोर और अबला’ मान लिया गया है। किंतु इसे तोड़कर जब कुछ महिलाएं अपनी कर्मठ शक्ति और साहस का परिचय देती हैं तो यह न सिर्फ अन्य महिलाओं के लिए वरन् हर महिला-पुरुष के लिए प्रेरणादायी होता है। जरूरी नहीं कि ऐसी महिलाएं हमेशा सामने आएं ही।
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर 5-8 मार्च, 2014 के बीच हमने प्रेरणास्रोत महिलाओं की दास्तां या महिला सशक्तिकरण के बारे में ब्लॉग लिखने का आमंत्रण दिया था। इसका उद्देश्य था सामान्य जीवन में स्व-शक्ति और महिला सशक्तिकरण की प्रतीक महिलाओं को दुनिया के सामने लाना। ऐसी महिलाएं जो बड़े स्तर पर भले ही सक्रिय न रही हों लेकिन अपने जीवन के कठिन हालातों से जूझते हुए जो अपने, अपने परिवार या अपने आस-पड़ोस के लिए बहुत कुछ कर जाती हैं। कभी अपने ही परिवार में, कभी आस-पड़ोस या कभी राह चलते हुए ऐसी कोई महिला कुछ ऐसा सिखा जाती है जो महिलाओं को कमजोर बताने वाले समाज की सभी सोच को गलत बताते हुए साबित करती है कि महिला नाम अबला का नहीं वास्तविक शक्ति का है लेकिन जरूरत होती है उस शक्ति-स्वरूप को अपने अंदर पहचानने की।
मंच की ओर से चुनी गई पांच श्रेष्ठ प्रविष्टियां इस प्रकार हैं:
1. विनय राज मिश्र
2. कविता
3.शिल्पा भारतीय
4. यतींद्रनाथ चतुर्वेदी
इंसानी अस्मिता का अस्तिव है औरत
5. ज्योत्सना सिंह
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