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रक्त की महिमा सभी जानते हैं. रक्त से आपकी जिंदगी तो चलती ही है साथ ही कितने अन्य के जीवन को भी बचाया जा सकता है. भारत में अभी भी बहुत से लोग यह समझते हैं कि रक्तदान से शरीर कमजोर हो जाता है. यहाँ भ्रम इस कदर फैला हुआ है कि लोग रक्तदान का नाम सुनकर ही सिहर उठते हैं. भला बताइए क्या इससे पर्याप्त मात्रा में रक्त की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सकती है?
आज ब्लड बैंकों में कई पेशेवर डोनर्स जब-तब रक्त बेचते हैं. तमाम शराबी, ड्रगिस्ट अपनी लत की भूख मिटाने के लिए थोड़े से पैसे की खातिर कई-कई बार रक्त बेचते हैं. इनमें से अधिकांश गंभीर रोगों से भी ग्रस्त होते है. अब ऐसा रक्त किसी को चढ़ा दिया जाए तो स्वाभाविक है कि वह बचने की बजाय बेमौत मारा जाएगा. लेकिन होता ऐसा ही है.
आज विश्व रक्तदान दिवस है. जागरुक लोगों को इस दिशा में सोचना होगा कि कैसे देश की अधिकांश आबादी को रक्तदान की महिमा समझाई जाए ताकि वे वक्त-हालात को समझ सकें और जब भी जरूरत हो इस परोपकारी कृत्य से पीछे ना हटें.
आम जन को यह पता होना चाहिए कि मनुष्य के शरीर में रक्त बनने की प्रक्रिया हमेशा चलती रहती है और रक्तदान से कोई भी नुकसान नहीं होता बल्कि यह तो बहुत ही कल्याणकारी कार्य है जिसे जब भी अवसर मिले संपन्न करना ही चाहिए.
14 जून को विश्व रक्तदान दिवस घोषित किया गया है. जागरण जंक्शन के सभी पाठकों को भी इस उपलक्ष्य में अपने विचार सामने लाकर जनजागरुकता में योगदान करना चाहिए ताकि रक्तदान के पीछे फैले अफवाहों को दूर कर सच्चाई सामने लायी जा सके.
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