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2008 में जारी कैग की रिपोर्ट के अनुसार तत्कालीन टेलीकॉम मंत्री ए राजा के 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन से देश को 1.76 लाख करोड़ का घाटा हुआ।
आवंटन के आधार
• 2001 की पुरानी कीमतों के आधार पर आवंटन से नौ कंपनियों में से प्रत्येक को देश के सभी हिस्सों के लिए लाइसेंस केवल 1651 करोड़ रुपये में दिए गए। कैग के अनुसार इनमें से प्रत्येक लाइसेंस की कीमत 7442 करोड़ रुपये से 47,912 करोड़ रुपये थी.
• बोली की जगह ‘पहले आओ पहले पाओ’ पर अमल
• नीलामी की प्राप्तियों को मनमाने ढंग से खत्म किया गया
• बेचे गए 122 लाइसेंस में से 85 लाइसेंस उन कंपनियों को दिए गए जो पात्रता शर्तें भी नहीं पूरी करती थीं
• कुछ कंपनियों को कम कीमतों पर दोहरा उपयोग लाइसेंस (अतिरिक्त बैंडबिथ) उपलब्ध कराए गए
• न केवल कानून और वित्त मंत्रालयों की सलाह को ताक पर रखा बल्कि टेलीकॉम नियामक ट्राई की भी उपेक्षा की गई.
ऐसे हुआ घोटाला
• ए राजा के दिशा-निर्देशों, निर्णयों के तहत यूनीटेक और स्वान टेलीकॉम जैसी चहेती कंपनियों को स्पेक्ट्रम का आवंटन किया गया.
• राजा, उनके निजी सचिव चंडोलिया और डॉट सचिव बेहुरा ने चहेती कंपनियों को लाइसेंस देने के लिए बाध्य किया
• यूनीटेक के संजय चंद्रा और स्वान के शाहिद बलवा एवं विनोद गोयनका साजिश में शामिल थे
• रिलायंस के स्वामित्व वाली कंपनी स्वान टेलीकॉम ने लाइसेंस के लिए क्रासहोल्डिंग नियमों का उल्लंघन किया
• टेलीकॉम मंत्रालय ने मनमाने ढंग से लाइसेंस के लिए आवेदन की अंतिम तिथि को एक अक्टूबर 2007 से घटाकर 25 सितंबर 2007 किया। यही नहीं, अपनी चहेती कंपनियों के पक्ष में ‘पहले आओ पहले पाओ’ नीति को भी तोड़ा मरोड़ा गया
• कंपनियों के हितों के साधने के लिए राजा के मंत्रालय ने सूचनाएं लीक की
• स्पेक्ट्रम की कीमतों के मसले पर राजा ने प्रधानमंत्री, ट्राई और कानून मंत्रालय की सिफारिशों को अनदेखा किया
• 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन मामले में देखरेख के लिए मत्रियों के समूह की आवश्यकता वाले कानून मंत्रालय के सुझाव को भी राजा ने दरकिनार किया
• राजा ने न केवल प्रधानमंत्री के सामने गलत तथ्य पेश किए बल्कि धोखेबाजी की पराकाष्ठा के तहत अपने निर्णयों को उचित ठहराया
आरोपियों का मकड़जाल
सीबीआइ की पहली चार्जशीट में आधा दर्जन से अधिक हाईप्रोफाइल लोगों को आरोपी बनाया गया। पूर्व टेलीकॉम मंत्री ए राजा सहित अभी ये लोग न्यायिक हिरासत में हैं.
आरोप: भ्रष्टाचार निवारक अधिनियम के तहत आपराधिक साजिश, धोखेबाजी, जालसाजी और जाली दस्तावेजों को वास्तविक बताकर पेश करना.
रिलायंस एडीएजी के हरि नायर, गौतम दोशी और सुरेंद्र पिपारा के आरोपों का विवरण:
• जाली कंपनियां तैयार करना
• स्वान टेलीकॉम बोर्ड मीटिंग्स की फर्जी कार्यवाही तैयार करना
• पूर्व निर्धारित दिशानिर्देशों की जगह आशय पत्र के आधार पर वरीयता सूची में हेरफेर करना
• स्पेक्ट्रम लाइसेंस की कटऑफ तरीखों में मनमाने ढंग से बदलाव करना.
यूनीटेक के प्रबंध निदेशक संजय चंद्रा पर आरोपों का विवरण:
• गैरकानूनी रूप से लाइसेंस हासिल करने के लिए राजा और चंडोलिया के साथ मिलकर साजिश के तहत डॉट से धोखाधड़ी करना
• लाइसेंस की अस्वीकृति टालने के लिए गंभीर किस्म की जानकारियों को छिपाना
सीबीआइ की दूसरी चार्जशीट में आरोपी-
• कनीमोरी: करुणानिधि की बेटी और डीएमके से राज्यसभा सांसद
• राजीव अग्र्रवाल: कुसेगांव फ्रूट्स एंड विजिटेबल्स प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक (पहले से ही गिरफ्तार)
• करीम मोरानी: सिनेयुग मीडिया इंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक
• शरद कुमार: कलैगनार टीवी के सीईओ.
• आसिफ बलवा: कुसेगांव के निदेशक और डीबी रियल्टी के प्रबंध निदेशक शाहिद बलवा के चचेरे भाई
आरोप: आइपीसी की धारा 120बी के साथ भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम 1988 की धारा 7 व 12 के तहत आरोप दर्ज (आपराधिक षड़यंत्र और सरकारी कर्मचारियों द्वारा कानूनी पारिश्रमिक के अलावा दूसरे लाभों का आनंद लेना)
दूसरी चार्जशीट में आरोपों का विवरण:
• कलैगनार टीवी के कामकाज के पीछे कनीमोरी का ‘सक्रिय दिमाग’
• ए राजा को टेलीकॉम मंत्री बनाने के लिए कनीमोरी ने दबाव बनाया
• राजा और शरद के साथ डीबी ग्र्रुप की मदद की। बदले में डीबी ग्र्रुप से कलैगनार टीवी में 200 करोड़ प्राप्त किए
• सूचना और प्रसारण मंत्रालय में राजा ने कलैगनार टीवी मामले में दबाव बनाया
• डायनामिक्स रियल्टी ने कुसेगांव और सिनेयुग कंपनियों के माध्यम से रकम का भुगतान किया
जांच की आंच
2जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाले में सीबीआइ जांच के अलावा सरकारी धन के अपव्यय को लेकर लोक लेखा समित और संयुक्त संसदीय समिति जांच कर रही है।
लोक लेखा समिति (पीएसी): डा. मुरली मनोहर जोशी की अध्यक्षता वाली लोक लेखा समिति ने 28 अप्रैल को दी अपनी रिपोर्ट में प्रधानमंत्री और उनके कार्यालय को कठघरे में खड़ा किया था। हालांकि इसके एक दिन बाद समिति की निर्णायक बैठक में सत्तारूढ़ खेमे ने इस रिपोर्ट को एक सोची-समझी रणनीति के तहत खारिज कर दिया। इन सदस्यों ने समिति अध्यक्ष पर दुर्भावना से प्रेरित होने व सरकार को अस्थिर करने के भी आरोप लगाए। हालांकि शनिवार को डा. जोशी ने अपनी रिपोर्ट लोकसभा अध्यक्ष को सौंप दी.
संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी): संसद का पूरा शीतकालीन सत्र इस समिति के गठन की मांग का भेंट चढ़ गया।
अन्तत: संसद में प्रधानमंत्री ने 22 फरवरी 2011 को 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति के गठन की घोषणा की। यह समिति भी इस मामले की जांच कर रही है।
नीरा राडिया – कॉरपोरेट लॉबिस्ट नीरा राडिया को भी इस घोटाले में एक गवाह बनाया गया है। सीबीआइ द्वारा पेश की गई पहली चार्जशीट में इन्हें 44वां गवाह बनाया गया है। गौरतलब है कि राडिया के फोन टेपों से राजा की गतिविधियों के बारे में सुराग मिला था। घोटाले की जांच में नीरा के पूर्ण सहयोग ने इसको सही दिशा दी.
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साभार : दैनिक जागरण 1 मई 2011 (रविवार)
नोट – मुद्दा से संबद्ध आलेख दैनिक जागरण के सभी संस्करणों में हर रविवार को प्रकाशित किए जाते हैं.
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