Menu
blogid : 4582 postid : 2451

पहचान खोता इन्सान

मुद्दा
मुद्दा
  • 442 Posts
  • 263 Comments

समाज में कोई भी व्यक्ति स्वयं ही अपनी पहचान होता है। न ‘मैं’ ‘तुम’ हो सकता है और न ही ‘तुम’ मैं बन सकता है। हर आदमी की अपनी अलग और विशिष्ट पहचान होती है। इसी पहचान के आधार पर समाज उसे पहचानता और जानता है। इसी विशिष्ट पहचान के आधार पर उसे उसके अच्छे बुरे कार्यों का प्रतिफल मिलता है। जब तक कोई खुद को नहीं पहचानेगा तब तक नैतिकता, चरित्र, अच्छाई और बुराई की पहचान को लेकर अंधेरे में रहेगा।


Read:न च वित्तेन तर्पणीयो मनुष्य


दुख की बात यही है कि आज के समाज में लोग अपनी पहचान भूलते जा रहे हैं। वे औरों से इतना प्रभावित हैं या प्रभावित होने का दिखावा करते हैं कि अपनी खुद की पहचान का उन्हें इल्म ही नहीं रह गया है। भ्रष्टाचार के खिलाफ अन्ना का आंदोलन शुरू हुआ तो ‘मैं अन्ना हूं’ लिखी टोपी लगाए लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। जंतर-मंतर पर इनके आंदोलनों के दौरान लोग खुद को ‘अन्ना जैसा’ बताने दिखाने को उतावले थे। घटनाक्रम बदला। आंदोलन के केंद्र में आए अरविंद केजरीवाल ने राजनीति में कूदने की घोषणा की। रोज रैलियों और धरना प्रदर्शनों के जरिए क्रांति का रास्ता चुना। इनकी रैलियों में ‘मैं अरविंद हूं’ लिखी टोपी लगाए लोगों की भीड़ दिखी। अपने एक ट्रस्ट में घोटाले के आरोप के बीच सलमान खुर्शीद सामने आते हैं। अरविंद केजरीवाल ने भी इनके खिलाफ मोर्चा खोला हुआ था, लिहाजा कांग्र्रेस के इस नेता के समर्थक भी ‘मैं सलमान हूं’ टोपी लगाए सामने आए। बीच-बीच में ‘मैं आम आदमी हूं’ लिखी टोपियां पहने लोग सामने आए लेकिन शायद वह असर नहीं छोड़ पाए। हाल ही में दिल्ली के रामलीला मैदान में कांग्र्रेस की महारैली में कुछ कांग्र्रेसी समर्थक ‘मैं राहुल हूं’ की टोपी लगाए अपनी प्रतिबद्धता साबित करते दिखे। तेजी से बदलते सामाजिक और राजनीतिक घटनाक्रमों के बीच ऐसा लगता है कि इन्सान अपनी खुद की पहचान खोता जा रहा है। वह कभी मैं ये हूं कभी मैं वो हूं के बीच फंसकर रह गया है। उसने कभी अंतर्मन में झांका ही नहीं या महंगाई,भ्रष्टाचार जैसे जीवन के तमाम झंझावातों ने उसे झांकने का मौका ही नहीं दिया। जिस व्यक्ति के खुद की पहचान का संकट हो वह दूसरों या किसी और चीज की पहचान कैसे कर सकता है। उसे अच्छे बुरे का फर्क कैसे समझ में आएगा। इसलिए सबसे पहले खुद को पहचानना बहुत जरूरी है। इसके बाद ही हम अच्छे-बुरे में भेद कर पाने में समक्ष होंगे और चीजों की पहचान कर पाएंगे। अंधेरे को मिटाने वाले प्रकाशोत्सव दीपावली से बढ़िया और दूसरा मौका नहीं है खुद की पहचान करने का। इसलिए आइए, इस पर्व पर हम अपने अंतर्मन में झांककर खुद की पहचान करें।


Read:समरथ को नहिं दोष गोसाईं


Tags:Salman Khurshid, Anna Hazare, Arvind Kejriwal, Congress, India, सलमान खुर्शिद, अन्ना हज़ारे, कांग्रेस, अर्विन्द केजरिवाल

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh