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बेहतर रास्ता मगर चुनौतियां बड़ी

मुद्दा
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किरीट एस पारिख (चेयरमैन, इंटीग्र्रेटेड रिसर्च एंड एक्शन फॉर डेवलपमेंट)
किरीट एस पारिख (चेयरमैन, इंटीग्र्रेटेड रिसर्च एंड एक्शन फॉर डेवलपमेंट)

सभी का एक बैंक खाता खुलवाना होगा। यह सुनिश्चित करना होगा कि खाद्यान्नों का पैसा उसी मद में खर्च हो रहा है कि नहीं। दुकानों पर खाद्यान्नों की उपलब्धता भी एक समस्या होगी।

एक जनवरी, 2013 से आधार विशिष्ट पहचान संख्या के इस्तेमाल से देश के पचास जिलों में कैश ट्रांसफर स्कीम लागू करने का सरकार का निर्णय स्वागतयोग्य है। यह अच्छी शुरुआत होगी अगर धीरे-धीरे सभी तरह की सब्सिडी को इसके दायरे में लाया जा सके।


यह पहला मौका होगा जब सरकार लाभार्थियों के बैंक खातों में स्कॉलरशिप, पेंशन इत्यादि को नकद के रूप में जमा करेगी जिसे अभी कई बिचौलियों के मार्फत जरूरतमंदों तक पहुंचाया जा रहा है। इस योजना का यह एक लाभ है जिसमें स्नोत और लाभार्थी के बीच कोई बिचौलिया न होने की स्थिति में बिलंब होने की चिंता खत्म होती है। इसके लिए लाभार्थी को एक बैंक खाता खुलवाना होगा। इस प्रक्रिया में बैंकों को अनेक छोटे-छोटे खाते खोलने होंगे। हालांकि इन खातों का बैंकों पर अतिरिक्त बोझ भी पड़ सकता है क्योंकि खाते में जमा की गई राशि को शीघ्र ही निकाल लेने की दशा में बैंक अपनी जमाराशि पर कोई कमाई नहीं कर पाएंगे। ऐसी सूरत में बैंक ग्र्राहकों से न्यूनतम जमाराशि की शर्त रख सकते हैं जिससे कई ग्र्राहक हतोत्साहित होकर खुद को इस प्रक्रिया से अलग कर सकते हैं।


प्रथम चरण की प्रायोगिक योजना इन मसलों के निदान में सहायक होगी और हमें आशा है कि इसके द्वारा आधार पहचान संख्या का ज्यादा उपयोगी इस्तेमाल हो सकेगा। योजना के प्रथम चरण के दौरान सब्सिडी दिए जाने के मौजूदा तरीके में बड़ा बदलाव नहीं किया जाना है। इसमें नकदी का वितरण पुराने तरीके की जगह एक अलग तरीके से किया जाएगा। कैश ट्रांसफर स्कीम गेम चेंजर साबित हो सकती है और यह सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस)के तहत दी जा रही मौजूदा खाद्य और ईंधन सब्सिडी की लागत और सक्षमता में उल्लेखनीय सुधार ला सकती है। सार्वजनिक वितरण प्रणाली में व्यापक रिसाव के चलते अभी खाद्यान्न या केरोसिन सभी लक्षित उपभोक्ताओं तक नहीं पहुंच पाता है। आधार विशिष्ट पहचान संख्या से इन रिसावों को रोका जा सकेगा। आधार कार्ड की यही खूबी है कि इसे फर्जी नहीं तैयार किया जा सकता है क्योंकि इसमें फिंगरप्रिंट और आइरिस का डाटा लिया जाता है।


कोई भी व्यक्ति अपने यूआइडी कार्ड को लेकर दुकान पर जा सकता है। यूआइडी प्रशासन का दावा है कि फिंगरप्रिंट मशीन पर असली नकली उपभोक्ताओं की पहचान पांच सेकंड के भीतर की जा सकेगी। इसी कार्ड के आधार पर यह पहचान हो सकेगी कि उक्त व्यक्ति कितना सामान लेने का हकदार है। असली उपभोक्ता की पहचान होने के बाद दुकान से वह निर्धारित सामग्र्री छूट की दरों पर खरीद सकता है। उसी समय सरकार बाजार मूल्य और सब्सिडी वाली कीमत के अंतर की रकम डीलर के खाते में जमा कर देगी। सामान के बाजार की कीमत हर सप्ताह सरकार घोषित करेगी। इस तरह डीलर के लिए एक निश्चित दाम तय होता रहेगा। वह उससे ज्यादा कीमत नहीं वसूल सकेगा। इससे वह केरोसिन को न तो बाजार में ही बेच सकेगा और न ही गरीब लोगों को उनके हक से वंचित रख सकेगा। यह तरीका कैश ट्रांसफर वाला नहीं है लेकिन सब्सिडी वाली चीजों को पिछले रास्ते से बाजार तक पहुंचने से रोकने और जरुरतमंदों तक उनकी उपलब्धता सुनिश्चित करने का यह एक प्रभावकारी तरीका है। खातों में नकदी जमा करने से भी इसी मकसद की पूर्ति होती है लेकिन इसमें में तीन समस्याएं हैं।


पहली समस्या यह है कि प्रत्येक परिवार का एक बैंक खाता खुलवाना होगा। दूसरी समस्या यह है कि खाद्यान्नों के लिए दिया गया पैसा जरूरी नहीं कि खाद्य पर ही खर्च हो। तीसरी बात अगर कोई व्यक्ति यह रकम खाद्यान्नों पर खर्च करना भी चाहे और यह उचित कीमत पर दुकान पर उपलब्ध न हो। अंतिम समस्या का दूरदराज के इलाकों में असर दिख सकता है। मेक्सिको की तर्ज पर यहां पर भी सामुदायिक रूप से चलाये जाने वाले कोआपरेटिव स्टोर खोले जा सकते हैं।


यह भी ध्यान देने लायक है कि महज आधार से गरीबों की पहचान की समस्या का हल संभव नहीं है। इसके लिए अलग तरीका अपनाया जाना चाहिए। गरीबों की पहचान करने की हमारी क्षमता बहुत कमजोर है। यह कैश ट्रांसफर की स्थिति में बड़ी समस्या बन सकती है जब अपेक्षाकृत समृद्धि व्यक्ति भी खुद को गरीब दिखाना पसंद करेगा।


इस संदर्भ में मेरा सुझाव है कि इस स्कीम को तकरीबन सार्वभौमिक कर उसमें से स्पष्ट रूप से चिह्नित किएजा सकने वाले अमीरों को अलगकर दिया जाए। उदाहरण के लिए वाहनों के मालिक, आयकर दाताओं आदि को इस सूची से अलग किया जा सकता है। बचे हुए लोगों को आधार के इस्तेमाल से प्रभावकारी तरीके से सब्सिडी का कैश ट्रांसफर दिया जा सकता है। कैश ट्रांसफर की व्यापक शुरुआत से पहले बैंक खातों से जुड़ी समस्याएं सुलझाना भी आवश्यक होगा। आशा है कि प्रायोगिक स्कीम में इन दिक्कतों को दूर करने में मदद मिलेगी।



अनुमान


ङ्क्तफर्जी राशन कार्ड की पहचान के जरिए रिसाव को रोक लगाने में मदद मिलेगी।

ङ्क्तकई स्तरों पर बिचौलिए द्वारा लिए जाने वाले कमीशन से छुटकारा मिलेगा

ङ्क्तखाते में नकद भुगतान शीघ्र होने से लाभार्थियों को इस बात पर नहीं आश्रित रहना होगा कि पीडीएस शॉप या सरकारी दुकानों पर केरोसिन, अनाज या उर्वरक उपलब्ध है या नही। नकदी द्वारा इन सभी चीजों को बाजार भाव पर अन्य स्थानों से खरीदने में सहायता मिलेगी। इससे कोटेदार के स्तर पर होने वाले भ्रष्टाचार पर भी लगाम लगेगी।


आशंकाएं


ङ्क्तचीजों की कीमतों में वृद्धि बड़ी आशंका है। लाभार्थियों के खातों में तो पुरानी दर से सब्सिडी का नकद भुगतान किया जाएगा लेकिन उन्हें चीजें बाजार में बढ़ी हुई दरों पर मिलेंगी। ऐसे में देखना होगा कि हमारा सुस्त सरकारी तंत्र कितना चुस्ती दिखा पाता है और कब नए दरों से सब्सिडी खाते में ट्रांसफर कर पाता है।

सब्सिडी के रूप में मिली नकदी को लाभार्थी या उसके परिवार का कोई सदस्य अन्य मद में खर्च कर सकता है। ऐसे में कुपोषण के अंत के लिए दी जा रही सब्सिडी का उद्देश्य खत्म हो जाएगा


अध्ययन


ङ्क्तराजस्थान के अलवर जिले में केरोसिन पर सब्सिडी के कैश ट्रांसफर की शुरुआती योजना चलाई जा रही है।

ङ्क्तलाभार्थियों को केरोसिन 15.25 रुपये प्रति लीटर छूट वाली दर के बजाय बाजार भाव 49.10 रुपये प्रति लीटर के हिसाब से बेचा जा रहा है।

ङ्क्तदामों में इस अंतर को खाते में हर तीसरे माह सीधे तौर पर जमा किया जाना था।

ङ्क्तलाभार्थियों का आरोप है कि एक साल तक कोई रकम नहीं जमा की गई

ङ्क्तइलाके में केरोसिन की बिक्री 70 फीसद घट गई


पी चिदंबरम (वित्तमंत्री)
पी चिदंबरम (वित्तमंत्री)

एक का तीन


लाभार्थियों तक एक रुपया पहुंचाने में अभी सरकार को तीन रुपये खर्च करने पड़ते हैं। बाकी दो रुपया प्रशासनिक खर्च, और भ्रष्टाचार और बर्बाद होने की भेंट चढ़ जाता है।


Tag:bank,सरकार,पीचिदंबरम(वित्तमंत्री),सब्सिडी,pchidabbaram,politics,राजनीति

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