- 442 Posts
- 263 Comments
विशेष दर्जा हमारा हक है। हम इसे लेकर रहेंगे। अब तो केंद्र भी हमारे तर्क व तथ्यों से सहमत है। वह इस मसले पर अपनी सैद्धांतिक सहमति को तुरंत साकार करे। … अगर देश का समेकित, समावेशी विकास करना है और टिकाऊ राष्ट्रीय विकास दर का लक्ष्य हासिल करना है, तो बिहार के अलावा अन्य पिछड़े राज्यों को भी इसमें योगदान लायक बनाना पड़ेगा। … विशेष राज्य के दर्जे का इससे बड़ा आधार और क्या होगा कि प्रति व्यक्ति आय के मसले पर दिल्ली का सातवां हिस्सा बिहार के समतुल्य है। बिहार के लिए तो विशेष पहल करनी ही होगी। इससे निजी निवेश में बढ़ावे के साथ सार्वजनिक निवेश में भी वृद्धि होगी
–नीतीश कुमार (मुख्यमंत्री बिहार)
व्यवस्था
भारतीय गणतांत्रिक प्रणाली के अभिन्न अंग-केंद्र और राज्य। संविधान में दोनों की भूमिका सुस्पष्ट। दोनों के अधिकारों के बंटवारे की उचित और उभरी सीमारेखा। दोनों एक दूसरे के पूरक। व्यवस्थागत प्रावधानों में एक दूसरे के दायित्वों को पूरा करने में अपना सबकुछ अर्पित कर सहयोग देने का मर्म। कई मामलों में दोनों की इस सहभागिता ने इतिहास भी रचा है।
विडंबना
आजादी के कुछ दिन बाद तक तो सबकुछ सामान्य रहा, लेकिन जैसे जैसे क्षेत्रीय राजनीतिक शक्तियां और गठबंधन की राजनीति पुष्पित पल्लवित होती गई, हमारी इस गणतांत्रिक व्यवस्था को दीमक लगने लगा। दोनों अंगों के बीच एक दूसरे के पूरक होने का संतुलन गड़बड़ा गया। लिहाजा हर चीज के बीच निहित स्वार्थ और राजनीति तलाशी जाने लगी। दोनों में जनहित वाले कार्यों का श्रेय लेने की होड़ लग गई। केंद्र के एकाधिकार वाली कुछ व्यवस्थाएं इस राजनीति का शिकार बनने लगीं। इन्हीं में से एक है राज्यों को दिया जाने वाला विशेष दर्जा।
विशेष
केंद्र सरकार पिछड़े राज्य चुनने का पैमाना बदलने जा रही है। इससे राज्यों के बीच खुद को दूसरे से ज्यादा पिछड़ा और दरिद्र साबित करने की प्रतिस्पर्धा शुरू होने वाली है। शाश्वत सत्य है कि समृद्धि किसी की आर्थिक बैसाखियों के नहीं बल्कि खुद के बूते आती और लाई जाती है। विशेष राज्य की चाह वालों को इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। बिहार के विशेष दर्जे की मांग सिरे चढ़ती दिख रही है। ऐसे में मुख्यधारा वाले राज्यों को यह दर्जा दिया जाए या न दिया जाए, इस पर विशेषज्ञों की राय भले ही दोफाड़ हो लेकिन जिस बात पर सभी सहमत हैं वह इस दर्जे को लेकर की जाने वाली राजनीति है। खुद को श्रेष्ठ बताना या इसकी होड़ में शामिल होना हमेशा से सभ्यताओं की निशानी हुआ करती थी, लेकिन सबसे पिछड़ा साबित करने की इस होड़ से केंद्र-राज्य संबंधों में विकार पैदा होने से इंकार नहीं किया जा सकता। ऐसे में गणतांत्रिक मूल्यों की पुनस्र्थापना के तहत केंद्र-राज्यों के बीच स्वाभाविक संबंधों की नींव मजबूत करना व उचित रूप से पिछड़े राज्यों को मुख्यधारा में शामिल कराना आज हम सबके लिए बड़ा मुद्दा है।
केंद्र बिहार की बेहतरी के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है। बिहार के मुख्यमंत्री की मांगों के बारे में प्रधानमंत्री व वित्त मंत्री न सिर्फ जानते हैं, बल्कि विचार भी कर रहे हैं।’ राज्यों की विशेष मदद के लिए पिछड़ा वर्ग अनुदान निधि के तहत योजना आयोग मदद का प्रावधान कर चुका है।
– राजीव शुक्ला (केंद्रीय संसदीय कार्ययोजना राज्यमंत्री)
केंद्र में जब राजग सरकार थी, तब किसी ने बिहार को विशेष राज्य के दर्जे के लिए कुछ नहीं किया। बंटवारे के समय बिहार और बिहारियों को लेकर राजग सरकार
व नीतीश ने बुरा बर्ताव किया। प्रदेश के लोग अब भी यह सब नहीं भूले हैं। इसलिए मुख्यमंत्री को अब इस पर राजनीति नहीं करनी चाहिए।
– शकील अहमद(कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्य)
……………………
आम बनाम खास
वर्तमान में 11 राज्यों को विशेष दर्जा प्राप्त है। इन्हें हर साल छूटों के रूप से केंद्र से भारी भरकम सहायता दी जाती है। हालांकि इन विशेष राज्यों की विकास दर इनको दी जा रही विशेष छूट के सापेक्ष नहीं दिखती है। कई आम राज्यों की प्रति व्यक्ति जीडीपी विकास दर इन खास राज्यों को मात दे रही है। जीएसडीपी (सकल राज्य घरेलू उत्पाद) दर पर एक नजर:
विशेष दर्जा वाले राज्यों की वृद्धि दर (फीसद में)
राज्य | 2006-07 | 2007-08 | 2008-09 | 2009-10 | 2010-11 | 2011-12 | 2012-13 |
अरुणाचल प्रदेश | 5.25 | 12.06 | 8.73 | 9.86 | 1.25 | 10.84 | 4.77 |
असम | 4.65 | 4.82 | 5.72 | 9.00 | 7.89 | 6.47 | 6.88 |
मणिपुर | 2.00 | 5.96 | 6.56 | 6.89 | 5.07 | 6.71 | 7.14 |
मेघालय | 7.74 | 4.51 | 12.94 | 6.55 | 8.72 | 6.31 | 8.90 |
मिजोरम | 4.78 | 10.98 | 13.34 | 12.38 | 7.25 | 10.09 | – |
नागालैंड | 7.80 | 7.31 | 6.34 | 6.90 | 5.46 | 5.09 | 5.25 |
त्रिपुरा | 8.28 | 7.70 | 9.44 | 10.65 | 8.20 | 8.67 | 8.62 |
सिक्किम | 6.02 | 7.61 | 16.39 | 73.61 | 8.13 | 8.17 | – |
हिमाचल प्रदेश | 9.09 | 8.55 | 7.42 | 8.09 | 8.74 | 7.44 | 6.24 |
जम्मू कश्मीर | 5.95 | 6.40 | 6.46 | 4.51 | 5.96 | 6.22 | 7.01 |
उत्तराखंड | 13.59 | 18.12 | 12.65 | 18.13 | 9.94 | 5.28 | 6.87 |
31 मार्च को प्रकाशित मुद्दा से संबद्ध आलेख ‘साडा हक एत्थे रख‘ पढ़ने के लिए क्लिक करें.
31 मार्च को प्रकाशित मुद्दा से संबद्ध आलेख ‘उल्टा चलो रे …’ पढ़ने के लिए क्लिक करें.
Read Comments