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यह भी जानें
बजट की व्युत्पत्ति अंग्रेजी के बोगेट शब्द से हुई है। बोगेट की व्युत्पत्ति फ्रांसीसी शब्द बौऊगेट से हुई है। इसका आशय चमड़े के थैले से होता है
देश में सात अप्रैल, 1860 को पहली बार अंग्रेज सरकार ने बजट पेश किया था। बजट पेश करने वाले सदस्य का नाम जेम्स विल्सन था
शाम पांच बजे बजट पेश करने की घोषणा सर बेसिल ब्लैकेट ने 1924 में की थी। उनके मुताबिक वित्तीय लेखा-जोखा तैयार करने में पूरी रात अधिकारी लगे रहते हैं। इसलिए उनको राहत देने के लिए ऐसा किया गया। यशवंत सिंहा ने 2001 का बजट पेश करने के दौरान बजट भाषण का नया समय 11 बजे सुबह निर्धारित किया
आजाद देश का पहला बजट पहले वित्त मंत्री आरके षणमुखम चेट्टी ने 26 नवंबर, 1947 को शाम पांच बजे पेश किया
आजादी के बाद के पहले बजट में 15 अगस्त, 1947 से लेकर 31 मार्च, 1948 तक के कुल साढ़े सात महीनों को शामिल किया गया था
आरके षणमुखम चेट्टी ने 1948-49 के बजट में पहली बार ‘अंतरिम बजट’ शब्द का प्रयोग किया था। उसके बाद लघु अवधि के बजट के लिए इस शब्द का प्रयोग प्रचलन में आया
भारतीय गणतंत्र का पहला बजट 28 फरवरी, 1950 को जॉन मथाई ने पेश किया। इसी दौरान योजना आयोग भी अस्तित्व में आया
सीडी देशमुख वित्त मंत्री होने के साथ भारतीय रिजर्व बैंक के पहले भारतीय गर्वनर भी थे। उन्होंने 1951-52 में अंतरिम बजट पेश किया था
1955-56 से बजट पेपर हिंदी में भी तैयार किए जाने लगे
कृष्णामाचारी-काल्डोर ने 1957 के बजट में पहली बार एक्टिव आय (वेतन या व्यापार) और पैसिव आय (ब्याज या किराया) को अलग करने का प्रयास किया
जवाहरलाल नेहरू देश में बजट पेश करने वाले देश के पहले प्रधानमंत्री बने। 1958-59 में वित्त मंत्रालय भी उनके पास था इसलिए उस बजट को उन्होंने पेश किया
अब तक सर्वाधिक 10 बार बजट पेश करने का रिकॉर्ड मोरारजी देसाई के नाम है । इसमें उनके दूसरे कार्यकाल में वित्त मंत्री और उपप्रधानमंत्री रहते हुए पांच बार वार्षिक और एक बार अंतरिम बजट पेश करना भी शामिल है। ये अकेले वित्त मंत्री हैं, जिन्होंने दो बार अपने जन्मदिन पर बजट पेश किया। उन्होंने 1964 और 1968 में 29 फरवरी को बजट पेश किया
वित्त मंत्री टीटी कृष्णामाचारी ने 1964-65 में पहली बार वीडीआइएस स्कीम के जरिए छुपे हुए धन को बाहर निकालने की कोशिश की थी
1965-66 के बजट में काले धन निकासी के लिए पहली बार स्कीम लांच की गई
1973-74 के बजट को ‘ब्लैक बजट’ के नाम से भी जाना जाता है। इसमें बजटीय घाटा 550 करोड़ रुपये था
वीपी सिंह ने वित्त मंत्री रहते हुए गरीबों को बहुत रियायतें दी। 1986 के बजट में उन्होंने रेलवे कुलियों, रिक्शा चालकों, चर्मकारों को रियायती दरों पर बैंक लोन की व्यवस्था की। उन्होंने नगरपालिका के सफाई कर्मियों के लिए दुर्घटना इंश्योरेंस स्कीम शुरू की
राष्ट्रपति द्वारा निर्धारित तिथि के दिन संसद में बजट पेश किया जाता है। वित्त मंत्री का बजट भाषण सामान्यतया दो हिस्सों में बंटा होता है। भाग अ में आर्थिक सर्वे और भाग ब में कर प्रस्ताव के बिंदु शामिल रहते हैं
सरकार के कर प्रस्ताव को प्रभावी बनाने वाले आम बजट के तत्काल
बाद वित्त बिल को लोकसभा में लाया जाता है। इस पर विचार किया जाता है और विनियोग बिल के बाद इसे भी पास किया जाता है
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मंत्रियों का मर्म
इंदिरा गांधी देश की एकमात्र महिला वित्त मंत्री हैं। 1970 से 1971 तक उनके पास वित्त मंत्रालय था
आर वेंकटरमन अकेले वित्त मंत्री हैं जो बाद में 1987-92 तक देश के राष्ट्रपति भी रहे
जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा एवं राजीव गांधी ने प्रधानमंत्री रहते हुए बजट भी पेश किया
कारपोरेट टैक्स (वर्तमान न्यूनतम वैकल्पिक कर) को सबसे पहले 1987 के बजट में राजीव गांधी ने पेश किया था
1991-91 में ऐसा पहली बार हुआ जब अंतरिम और पूर्ण बजट दो अलग-अलग दलों के दो मंत्रियों द्वारा पेश किया गया। यशवंत सिंहा ने अंतरिम बजट पेश किया जबकि मनमोहन सिंह ने पूर्ण बजट पेश किया
1996-97 का पूर्ण बजट पी चिदंबरम द्वारा पेश किया गया। तब वे तमिल मनीला कांग्र्रेस पार्टी से जुड़े थे। यह दूसरा मौका था जब अंतरिम और पूर्ण बजट दो अलग दलों के दो मंत्रियों द्वारा पेश किया गया
मनमोहन सिंह द्वारा पेश किए गए नए युग की शुरुआत करने वाले 1992-93 के बजट में आयात शुल्क की 300 फीसदी से अधिक की दर को कम करके 50 फीसदी किया गया। अर्थव्यवस्था में उदारीकरण और विदेशी निवेश को बढ़ावा दिया गया
1994 के बजट में भारतीय अर्थव्यवस्था में तेजी से बढ़ते क्षेत्र का फायदा उठाने के लिए मनमोहन सिंह ने सेवा कर लागू किया
90 के दशक में तीन अंतरिम बजट पेश हुए। 1991-92 और 1998-99 का अंतरिम बजट यशवंत सिंहा ने पेश किया जबकि 1996-97 का अंतरिम बजट डॉ. मनमोहन सिंह ने पेश किया
1997-98 में पी चिदंबरम द्वारा पेश किए गए बजट को ‘ड्रीम बजट’ के नाम से जाना जाता है।
यशवंत सिंहा और मनमोहन सिंह ऐसे दो वित्त मंत्री हैं जिनमें से प्रत्येक को लगातार पांच बजट पेश करने का मौका मिला
2001-02 के बजट में यशवंत सिंहा ने ट्रांसफर प्राइसिंग रेगुलेशंस लागू किया। इस नियम ने देश में क्षरण हो रहे टैक्स बेस को रोकने में अहम भूमिका निभाई
2002 के बजट में यशवंत सिंहा के नाम सबसे ज्यादा रोल बैक करने का रिकॉर्ड जुड़ा है
यशवंत सिंहा द्वारा 1991 का बजट फोरेक्स संकट की पृष्ठभूमि में पेश किया गया। उनके द्वारा पेश 1999 के बजट की पृष्ठभूमि में पोखरन परमाणु विस्फोट था। सिंहा द्वारा पेश किए गए 2000 के बजट की पृष्ठभूमि में जहां कारगिल युद्ध था, वहीं 2001 के बजट की पृष्ठभूमि में गुजरात में आया विनाशकारी भूकंप रहा
2005-06 के बजट में पहली बार राष्ट्रीय ग्र्रामीण स्वास्थ्य अभियान, जेंडर बजट और नरेगा जैसी योजनाएं घोषित की गईं
आर वेंकटरमण और एचएम पटेल में से प्रत्येक ने तीन बजट पेश किए जबकि जसवंत सिंह, वीपी सिंह, सी सुब्रमण्यम, जॉन मथाई और आरके षणमुषम चेट्टी में से प्रत्येक ने दो बजट पेश किए
जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, चरण सिंह, एनडी तिवारी, मधु दंडवते, एसबी चव्हाण और सचिंद्रा चौधरी में से प्रत्येक ने एक बजट पेश किया
बतौर उप प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई ने चार बार बजट भाषण दिया जबकि चरण सिंह को इसका केवल एक बार मौका मिला
16 मार्च, 2012 को वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी 2012-13 का आम बजट
पेश करेंगे। ऐसा करके वे सात पूर्ण बजट पेश करने वाले पी चिदंबरम, यशवंत सिंहा, वाईबी चव्हाण और सीडी देशमुख जैसे वित्त मंत्रियों के क्लब में शामिल हो जाएंगे
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जनमत
क्या पूरी तरह से बदलते आर्थिक परिवेश-परिदृश्य में मौजूदा बजट प्रणाली व्यावहारिक-उपयोगी है?
75% हां
25% नहीं
क्या आम बजट पेश होने के बाद आप उसके ज्यादातर प्रावधानों से खुद को जोड पाते है?
37% हां
63 नहीं
आपकी आवाज
बजट तो वह होता है जो एक वर्ष के लिए बनाया जाए, परंतु यहां तो रोजमर्रा प्रयोग की चीजों के दाम हर महीने बढ़ते जाते हैं- राजू 09023693142@जीमेल.कॉम
बजट परंपरागत रूप से लकीर का फकीर बनता जा रहा हैं. इसमे कुछ सकारात्मक बदलाव की तुरंत जरूरत है- अजय मिश्र. सेमरी@जीमेल.कॉम
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