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राष्ट्रमंडल खेल घोटाला

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राष्ट्रमंडल खेलों के आयोजनकर्ताओं के कृत्य से राष्ट्रमंडल खेलों की तैयारियों के लेकर हुए हर समझौतों और खरीदारी में भ्रष्टाचार की गंध महसूस होती है।

इन घोटालों का अंदाजा केवल इस बात से लगाया जा सकता है कि खेलों के आयोजन की मेजबानी को लेकर 2003 में भारतीय ओलंपिक संघ द्वारा कुल 1620 करोड़ रुपये बजट का अनुमान लगाया गया था। 2006 में जब राष्ट्रमंडल खेलों पर काम शुरू किया गया तो यह बजट बढ़कर 22,000 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। चार साल बाद यानी 2010 में यह बजट 30,000 करोड़ रुपये का हो गया। एक अन्य अनुमान के अनुसार 2010 के राष्ट्रमंडल खेलों की लागत 60 हजार करोड़ रुपये है। यह अब तक का सबसे खर्चीला राष्ट्रमंडल खेल बन गया।

भ्रष्टाचार से बढ़ी लागत

• कैटरिंग से लेकर दूसरे कई मामलों में जानबूझकर देरी की गई जिसके कारण पैसों की लूट हुई
• कैटरिंग, ओवरलेज, टीएसआर, उद्घाटन व समापन समारोह जैसे सभी मामलों में फिजूलखर्ची
• विभिन्न सामानों की खरीद में भी जानबूझकर देरी की और उसका खामियाजा सरकारी खजाने को भुगतना पड़ा।
• हर अनुबंध में 25-35 फीसदी ज्यादा कीमत चुकाई गई। लूट हर ओर मची थी।
• कई मामलों में ठेकेदारों की ओर से कई फर्जी पर्ची देकर घोटाले किए गए

सीबीआइ का शिकंजा

गिरफ्तारी: 15 नवंबर 2010
आरोप: क्वींस बेटन रिले के आयोजन में धोखाधड़ी और जालसाजी का आरोप

गिरफ्तारी: 21 नवंबर 2010
आरोप: क्वींस बेटन रिले आयोजन के दौरान एएम कार एवं वैन के लिए बाजार की दरों से अधिक कीमतों पर फंड जारी की सहमति दी

गिरफ्तारी : 23 फरवरी 2011
आरोप: 141 करोड़ रुपये का बाजार दर से अधिक कीमत पर स्विटजरलैंड की स्विस टाइमिंग कंपनी को टाइमिंग स्कोरिंग रिजल्ट (टीएसआर) सिस्टम खरीदने का ठेका दिया

गिरफ्तारी : 25 अप्रैल 2011
सुरेश कलमाड़ी, आयोजन समिति के बर्खास्त अध्यक्ष

• भ्रष्टाचार, धोखाधड़ी और जालसाजी
• टीएसआर के लिए स्विस कंपनी को 141 करोड़ रुपये का ठेका दिया। आयोजन समिति के अधिकारियों ने निविदा प्रक्रिया में अनियमितता कर अन्य कंपनियों की निविदाओं को रोका
• स्पेन की एमएसएल कंपनी टीएसआर 46 करोड़ में दे रही थी लेकिन इसके बावजूद बाजार दर से अधिक कीमत पर स्विस कंपनी को ठेका दिया गया। स्विस कंपनी को ठेका दिलाने में कलमाड़ी की मुख्य भूमिका रही
• स्विस कंपनी से टीएसआर खरीदने में जानबूझकर देरी की गई

अन्य गिरफ्तारियां: केयूके रेड्डी, सुरजीत लाल, एएसवी प्रसाद, राज सिंह,

जांच की आंच (वी के शुंगलू कमेटी रिपोर्ट)

कलमाड़ी पर – सीधे तौर पर आयोजन समिति के पूर्व अध्यक्ष सुरेश कलमाड़ी को कठघरे में खड़ा करते हुए आयोजन समिति द्वारा लिए गए सभी निर्णयों के लिए उनको जिम्मेदार ठहराया

दिल्ली के उपराज्यपाल तेजिंदर खन्ना पर

• खेल गांव निर्माण का कांट्रेक्ट एम्मार-एमजीएफ बिल्डर को दिलाने में भूमिका रही। बाजार दरों से अधिक कीमतों पर यह गैरजरूरी डील की गई
• इससे सरकार को 230 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ
• दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित पर स्ट्रीट लाइटिंग कांट्रेक्ट और 50-100 करोड़ रुपये के कांट्रेक्ट देने अनियमितता बरती.

कमेटी का आकलन

• सरकारी एजेंसियों को करीब 1600 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ
• गलत ढंग से ठेके देने के कारण 250 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ
• निर्धारित अवधि में निर्माण कार्य न पूरा होने के कारण 800 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ
• 574 करोड़ रुपये का फिजूलखर्च किया गया

केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) रिपोर्ट

• सीवीसी ने अपनी रिपोर्ट में दिल्ली सरकार, डीडीए, सीपीडब्ल्यूडी, एनडीएमसी, एमसीडी और अन्य सरकारी एजेंसियों की भूमिका पर सवाल उठाए हैं। इन संस्थाओं पर राष्ट्रमंडल खेल आयोजन में अनियमितता बरतने का आरोप है
• पीडब्ल्यूडी, एनडीएमसी और एमसीडी द्वारा किए गए निर्माण कार्य घटिया स्तर के रहे

1 मई को प्रकाशित मुद्दा से संबद्ध आलेख “काश! हाईप्रोफाइल दोषियों को भी मिलता सबक” पढ़ने के लिए क्लिक करें

1 मई को प्रकाशित मुद्दा से संबद्ध आलेख “2 जी स्पेक्ट्रम घोटाला” पढ़ने के लिए क्लिक करें

साभार : दैनिक जागरण 1 मई 2011 (रविवार)
नोट – मुद्दा से संबद्ध आलेख दैनिक जागरण के सभी संस्करणों में हर रविवार को प्रकाशित किए जाते हैं.

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