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खेती-बाड़ी की शुरुआत होने के बाद ही अन्य सभी कलाओं का विकास हुआ। इसलिए किसान मानव सभ्यता के निर्माता हैं।
– डेनियल वेब्सटर (अमेरिकी राजनीतिज्ञ और वक्ता)
अन्न यानी जीवन के आधार के निर्माता पिछले 10 हजार सालों से किसान ही हैं। जल, जमीन और उर्वरक जैसी अनेक समस्याओं के बावजूद इस बात की प्रबल संभावना है कि वर्ष 2050 तक दुनिया की नौ अरब आबादी के लिए भोजन जुटाया जा सकेगा। शुरुआती रूप में खेती की पैदावार बढ़ाने और दुनिया के कई देशों में फसलों के नुकसान को कम करने में सफलता पाई जा चुकी है।
हम उन्नत तौर तरीकों की मदद से पादप आनुवांशिकी में सुधार करके अनाज का उत्पादन 0.5-1.0 प्रतिशत से बढ़कर 1.5 करने में सक्षम होंगे। यह उत्पादन सभी की भूख शांत करने के लिए पर्याप्त होगा। पशुओं में आनुवांशिक स्तर पर सुधार कर ‘मवेशी क्रांति’ की जा सकती है। इसके अलावा 2050 तक जनसंख्या वृद्धि के स्तर में भी गिरावट कम होकर लगभग शून्य के स्तर तक पहुंच जाएगी।
दुनिया में स्थिरता या अस्थिरता कायम करने के लिए भोजन गुप्त रूप से सबसे कारगर हथियार है। जार्ज मार्शल ने भी कहा है, ‘भूख और असुरक्षा शांति की सबसे बड़ी दुश्मन हैं।’ वर्ष 2007-08 एवं दूसरी बार 2010-11 में दुनिया के खाद्य बाजारों में मामूली से परिवर्तन की वजह से अनाज की कीमतें आसमान छूने लगीं। जबकि खाद्य कीमतों में बढ़ोतरी अस्थाई कारणों मसलन अंतरराष्ट्रीय बाजार में डॉलर की कीमतों के गिरने से उत्पन्न हुई थी। अधिक कीमतें किसान को उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रेरित करती हैं। इससे उत्पादन बढ़ता है और दुनिया में भूख शांत होती है। लेकिन, ऐसा करके एक तरह से वे उपभोक्ताओं पर कीमतें लाद देते हैं, जिसके परिणामस्वरूप गरीबी और असंतोष बढ़ता है।
आने वाले दिनों में अनाज उत्पादन की दृष्टि से अंतरराष्ट्रीय फलक पर नए चेहरे उभरेंगे। 2050 में दुनिया की नौ अरब आबादी को भोजन उपलब्ध कराने के लिए भौगोलिक-राजनैतिक संघर्षों की धार तेज होगी। पिछले 20 वर्षों में ब्रिक (ब्राजील, रूस, भारत और चीन) देश सफलतापूर्वक बड़े अनाज उत्पादक देश रहे हैं। ये देश विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्ल्यूएफपी) में सहयोग करने में सबसे आगे रहे हैं।
डब्ल्यूएफपी मानवीय संकट की परिस्थितियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। खाद्य बाजार में ब्रिक के बढ़ते प्रभाव के कारण यूरोप किनारे हो जाएगा।
भले ही अनिश्चित राजनीति, जलवायु परिवर्तन, अस्थिर कीमतें और भुखमरी जैसे अनेक कारण खाद्य संकट के लिए जिम्मेदार हों लेकिन इन सबके बावजूद मानवता के इतिहास में पहली बार सभी के लिए पर्याप्त भोजन उपलब्ध होगा। सभी प्रमुख फसलों के जीनोम का क्रम ज्ञात किया जा चुका है, जिनका प्रतिफल भी मिलना शुरू हो गया है। ब्राजील से लेकर वियतनाम तक का उदाहरण बताता है कि यदि सही तकनीक, सही नीतियों और भाग्य ने साथ दिया तो 2050 में दुनिया की आबादी के निवाले के लाले नहीं होंगे।
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साभार : दैनिक जागरण 20 मार्च 2011 (रविवार)
मुद्दा से संबद्ध आलेख दैनिक जागरण के सभी संस्करणों में हर रविवार को प्रकाशित किए जाते हैं.
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