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साजिश की जांच हो
अपनी सेवा के अंतिम समय में कोई व्यक्ति इस प्रकार का कदम नहीं उठाएगा। जहां तक प्रधानमंत्री को पत्र लिखने की बात है तो वह सेनाध्यक्ष का अधिकार है कि वह सरकार को वस्तुस्थिति से अवगत कराए। सेना की ओर से कभी गोपनीय पत्र लीक नहीं होते। संभव है कि पीएमओ अथवा रक्षा मंत्रालय से यह पत्र लीक हुआ हो। यह निश्चित ही किसी की साजिश है। इसकी जांच होनी चाहिए।
विवाद होना दुर्भाग्यपूर्ण है
सरकार और सेनाध्यक्ष के बीच के इस मामले को तूल नहीं दिया जाना चाहिए। इस पत्र को काफी पहले प्रधानमंत्री कार्यालय भेजा गया था। सेनाध्यक्ष का कार्य देश की सुरक्षा की स्थिति से सरकार को अवगत कराना है। यह उनका कर्तव्य बनता था। लीक किसने किया यह पता किया जाना चाहिए। यह बात पब्लिक में नहीं आनी चाहिए थी। इसका हल घर के भीतर ही निकाला जाना चाहिए।’
हथियारों की कमी पूरी की जाए
यह पूरी घटना दुर्भाग्यपूर्ण है। पत्र के लीक होने की जांच होनी चाहिए। जहां तक हथियारों का विषय है तो इसमें घबराने वाली बात नहीं है। इन्हीं हथियारों से हमने 1971 और कारगिल युद्ध जीता है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि नए हथियार नहीं खरीदे जाने चाहिए। कमेटी बनाकर यह कार्य किया जाना चाहिए।’
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भारी पड़ा टकराव
सेना प्रमुख और सरकार के बीच रिश्तों में खटास किसी भी तरह से राष्ट्रहित में नहीं हो सकती। इससे न केवल सेना सहित आम जनमानस का मनोबल कमजोर हो सकता है बल्कि आपके प्रतिद्वंद्वी देश इसका फायदा उठा सकते हैं। लिहाजा जब भी किसी सैन्य प्रमुख ने सार्वजनिक रूप से अनुशासनहीनता का प्रदर्शन किया है, तो उसे अपने पद से जाना पड़ा है।
देश में
एडमिरल विष्णु भागवत
1998 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार की कैबिनेट में तत्कालीन वाइस एडमिरल हरिंदर सिंह को नौसेना उप प्रमुख बनाए जाने का फैसला लिया गया। उस समय नौसेना प्रमुख रहे एडमिरल विष्णु भागवत ने यह फैसला मानने से इन्कार कर दिया। जानबूझकर सरकार को चुनौती देने वाले कृत्य के चलते एडमिरल भागवत को पद से हटा दिया गया।
परदेस में
जनरल मैकआर्थर
जुलाई, 1941 के दौरान सुदूर पूर्व में ये अमेरिकी सेनाओं के बतौर कमांडर नियुक्त थे। प्रशासन के खिलाफ सार्वजनिक रूप से बयानबाजी करने के चलते तत्कालीन राष्ट्रपति हैरी ट्रूमैन ने इन्हें हटा दिया था।
जनरल मैकक्रिस्टल
अमेरिकी सेना में चार सिताराधारी इस जनरल को ओबामा सरकार की आलोचना के चलते वापस बुला लिया गया था। इन्होंने एक साक्षात्कार में खासकर उप राष्ट्रपति जो बिडेन और अन्य पदाधिकारियों की आलोचना की थी।
जनरल सिंगलाब
1977 में ये दक्षिण कोरिया में अमेरिकी सेनाओं के प्रमुख थे। प्रशासन की सार्वजनिक रूप से निंदा करने के चलते तत्कालीन राष्ट्रपति जिमी कार्टर ने इन्हें पद से हटा दिया था। राष्ट्रपति की सत्ता के प्रति असम्मान प्रकट करने के आरोप में ये पदमुक्त हुए।
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चिंता कितनी जायज!
सेनाध्यक्ष जनरल वीके सिंह द्वारा प्रधानमंत्री को लिखे गए लीक पत्र में सैन्य सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त की गई है। इसमें आधुनिक हथियारों की कमी के चलते सेना की क्षमता में कमी का उल्लेख किया गया है। आइए, देखते हैं कि जनरल की चिंता कितनी जायज है?
रात की लड़ाई
चिंता: पैदल सैनिकों के पास रात्रि में लड़ने की क्षमताओं का अभाव
वास्तविकता:
अंधेरे में देखने में सक्षम बनाने वाले चश्मों और टैंकों एवं हथियारों में इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरणों की सेना में घोर कमी
हवाई सुरक्षा में सेंध
चिंता: वायु हमले के 97 फीसद उपकरण पुराने हैं। ये हवाई हमलों के दौरान सुरक्षा प्रदान करने में नाकाम हैं
वास्तविकता: ज्यादातर हवाई रक्षा प्रणाली रूस निर्मित है। चिल्का-जेडएसयू-23बी और जेडयू-23 जैसी विमानभेदी तोपें अब पुरानी हो चली हैं। ये 70 के दशक की निशानी हैं। हालांकि सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों के लिए 17 हजार करोड़ रुपये का समझौता किया जा चुका है। इससें आकाश मिसाइलें प्राप्त करने और शिल्का एंटी एयरक्राफ्ट आर्मर्ड वाहन का उन्नयन शामिल है।
गोला-बारूद की कमी
चिंता: सेना का टैंक बेड़ा गंभीर रूप से गोला-बारूद की कमी से जूझ रहा है
वास्तविकता: हालांकि देश की सशस्त्र सेनाएं मौजूदा हथियारों के भंडार से ही किसी भी युद्ध को अंजाम तक पहुंचाने में सक्षम हैं, लेकिन लंबी अवधि तक चलने वाले युद्ध में हथियारों की कमी की समस्या आ सकती है। इस कमी को पूरा करने के लिए लंबे अर्से से कोई सौदा नहीं किया गया है।
विशेष सैन्य दस्ते
चिंता: देश की इलीट फोर्स कही जाने वाले विशिष्ट दस्ते जरूरी हथियारों से महरूम हैं
वास्तविकता: सेना में असाल्ट राइफल्स, नाइट विजन डिवाइसेज, स्पेशल स्क्रीनिंग डिवाइसेज और संबंधित उपकरणों की भारी कमी है। विशेष सैन्य दस्तों के आधुनिकीकरण की योजना पर अभी तक अमल नहीं किया जा सका है।
सीमा पर तैनाती
चिंता: चीन सीमा पर तैनात भारतीय सेना संतोषजनक नहीं
वास्तविकता: 12वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान भारत-चीन सीमा की सुरक्षा के लिए 90 हजार जवानों की भर्ती की जानी है। इनमें एक स्ट्राइक काप्र्स के अलावा दो नए डिवीजन शामिल हैं। अतिरिक्त जवानों की भर्ती प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, लेकिन इसके पूरे होने में अभी समय लगेगा।
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जनमत
क्या सेनाध्यक्ष और सरकार के बीच मौजूदा विवाद राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में है ?
38% हां
62% नहीं
क्या भारतीय सेनाएं देश की सुरक्षा करने में पूरी तरह से सक्षम हैं ?
54% हां
46% नहीं
आपकी आवाज
सेना के अंदर भ्रष्टाचार गहरी जड़े जमा चुका है। इसमे पूरी सेना अवगत है और परेशान भी। ऐसे में एक बहादुर सेनाध्य़क्ष सेना के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझा और उसके खिलाफ मुहिम छेड़ी। यह सकारात्मक बदलाव का संकेत है। ऐसे सभी बहादुर लोगों को मेरा सलाम– आरकांत बेनीवाल@जीमेल.कॉम
उचित सैन्य साजोसामान के अभाव में सेना से देश की सुरक्षा की उम्मीद मृग मरीचिका के समान है-टाक विथ आर्यन20@जीमेल.कॉम
सेनाध्यक्ष और सरकार के बीच मौजूदा विवाद राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में नहीं है। इससे देश की छवि धूमिल हो रही है– राना इशाक@जीमेल.कॉम
हमारी सेनाएं देश की सुरक्षा करने में पूरी तरह से सक्षम है। इसमें कोई शक नहीं। मतभेद और बयानबाजी अपनी जगह है- शबाना खातून007@याहू.इन
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