Menu
blogid : 4582 postid : 1521

कितने दूर कितने पास

मुद्दा
मुद्दा
  • 442 Posts
  • 263 Comments

दोनों देशों के बीच प्राचीन सभ्यताकालीन संपर्क हैं। हाल के समय में द्विपक्षीय संबंध विकास और विविधता की प्रक्रिया से गुजरते हुए तेजी से बढ़ रहे हैं। आपसी हितों के सहयोग में वृद्धि और साथ ही साथ मतभेदों के समाधान पर ध्यान केंद्रित है..


राजनीतिक संबंध

चीन गणराज्य की स्थापना एक अक्टूबर, 1949 को हुई। भारत पहला गैर कम्युनिस्ट देश था जिसने इसे मान्यता दी। एक अप्रैल, 1950 को दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों की स्थापना हो गई थी। दोनों के बीच संयुक्त रूप से पंचशील पर समझौता 1954 में हुआ। जून, 1954 में चीन के प्रधानमंत्री चाऊ एनलाई जहां भारत दौरे पर आए वहीं, तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू अक्टूबर, 1954 में चीन का दौरा किया।


युद्ध का दंश: 1962 में चीन द्वारा किए गए आक्रमण की परिस्थितियों के कारण द्विपक्षीय संबंधों को गंभीर धक्का लगा। दोनों देशों के बीच खत्म हो चुके राजनयिक संबंध अगस्त, 1976 में बहाल हुए। उच्च स्तर पर राजनीतिक संबंधों का नवीनीकरण तत्कालीन विदेश मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की फरवरी, 1979 के चीन दौरे से हुआ। इस दौरे के बाद 1981 में चीनी विदेश मंत्री ह्वांग हुआ ने भारत की यात्रा की।


मील का पत्थर: दिसंबर, 1988 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी चीन गए। इस दौरे से दोनों पक्षों के बीच सभी क्षेत्रों में द्विपक्षीय संबंधों के विस्तार एवं विकास पर सहमति बनी। सीमा विवाद पर दोनों के बीच निष्पक्ष, उचित एवं पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान के लिए एक संयुक्त कार्यदल और संयुक्त आर्थिक दल के गठन पर भी सहमति हुई।


एलएसी पर सहमति: दिसंबर, 1991 में चीन के प्रधानमंत्री ली पेंग ने भारत दौरा किया। इधर से सितंबर, 1993 में तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिंह राव चीन गए। इस दौरे के चलते दोनों देश सीमा क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर शांति बनाए रखने का समझौता हुआ।


राष्ट्राध्यक्ष दौरों की शुरुआत: मई, 1992 में तत्कालीन राष्ट्रपति आर वेंकटरमण चीन की राजकीय यात्रा पर गए। राष्ट्राध्यक्ष स्तर पर दोनों देशों के बीच यह पहली यात्रा थी। परिणामस्वरूप नवंबर, 1996 में चीनी राष्ट्रपति जियांग जेमिन ने भारत का राजकीय दौरा किया। यह चीन के राष्ट्राध्यक्ष की पहली यात्रा थी। इस यात्रा के दौरान दोनों पक्षों के बीच आपसी विश्वास और सहयोग बढ़ाने के लिए चार महत्वपूर्ण समझौते किए गए।


vajpayeee_zhu_rongji_20061127परमाणु परीक्षण की तपिश: मई, 1998 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार द्वारा पोखरण में परमाणु विस्फोट किया गया। भारत को परमाणु ताकत का आधिकारिक दर्जा देने वाली यह घटना पड़ोसी को नागवार गुजरी। लिहाजा इस घटना पर उसकी तीखी प्रतिक्रिया ने दोनों के बीच संबंधों को करीब झुलसा ही दिया। जून, 1999 में तत्कालीन विदेश मंत्री जसवंत सिंह ने चीन दौरा किया। इस दौरे में दोनों पक्षों ने एक दूसरे को धमकी न देने के वचन को दोहराया। मई-जून, 2010 में तत्कालीन राष्ट्रपति केआर नारायणन की यात्रा से दोनों के बीच उच्च स्तरीय आदान-प्रदान की वापसी हुई। जनवरी, 2002 में चीनी प्रधानमंत्री झू रोंगजी भारत आए।


संबंधों में मजबूती: जून, 2003 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की यात्रा के दौरान दोनों के बीच उच्चतम स्तर पर द्विपक्षीय संबंधों के विकास पर हस्ताक्षर किए गए। सीमा विवाद को सुलझाने के लिए विशेष प्रतिनिधियों की नियुक्ति हुई। अप्रैल, 2005 में चीनी प्रधानमंत्री वेन जियाबाओ की यात्रा के दौरान दोनों देशों के संयुक्त घोषणापत्र पर हस्ताक्षर हुए। नवंबर, 2006 में चीनी राष्ट्रपति हू जिंताओ की भारत यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच कई क्षेत्रों में सहमति का संयुक्त घोषणापत्र जारी किया गया। 13-15 जनवरी, 2008 को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह चीन गए। दोनों देशों ने 21वीं सदी के लिए साझा दृष्टिकोण पर संयुक्त दस्तावेज जारी किया। 26-31 मई, 2010 को राष्ट्रपति ने चीन का राजकीय दौरा किया। 15-17 दिसंबर, 2010 को चीनी प्रधानमंत्री बेन जियाबाओ ने भारत दौरा किया। इस यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच छह समझौतों पर हस्ताक्षर हुए। 2015 तक द्विपक्षीय कारोबार को 100 अरब डॉलर का लक्ष्य निर्धारित किया गया।


30 अक्टूबर को प्रकाशित मुद्दा से संबद्ध आलेख “बड़े व्यापार केंद्रों का उतार-चढ़ाव”  पढ़ने के लिए क्लिक करें.

30 अक्टूबर को प्रकाशित मुद्दा से संबद्ध आलेख “ड्रैगन की चुप्पी में भी शोर”  पढ़ने के लिए क्लिक करें.

30 अक्टूबर को प्रकाशित मुद्दा से संबद्ध आलेख “विवादों की फेहरिस्त: भारत चीन विवाद”  पढ़ने के लिए क्लिक करें.

30 अक्टूबर को प्रकाशित मुद्दा से संबद्ध आलेख “चीन की चुनौती पर कितने तैयार है हम!”  पढ़ने के लिए क्लिक करें.


साभार : दैनिक जागरण 30 अक्टूबर 2011 (रविवार)

नोट मुद्दा से संबद्ध आलेख दैनिक जागरण के सभी संस्करणों में हर रविवार को प्रकाशित किए जाते हैं.

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh