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महात्मा और मसले

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No_Gun

अहिंसा

गांधीजी के विचार

मेरी अहिंसा प्रियजनों को असुरक्षित छोड़कर खतरों से दूर भागने की बात नहीं करती। हिंसा और कायरतापूर्ण लड़ाई में मैं कायरता की बजाय हिंसा को पसंद करूंगा। मैं किसी कायर को अहिंसा का पाठ नहीं पढ़ा सकता वैसे ही जैसे किसी अंधे को लुभावने दृश्यों की ओर प्रलोभित नहीं कर सकता। अहिंसा तो शौर्य का शिखर है। मैं अहिंसा का महत्व तभी समझ सका जब मैंने कायरता को छोड़ना शुरू किया।

मौजूदा हालात

देश में हिंसा का रूप उत्तरोत्तर भयावह होता जा रहा है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़े बताते हैं कि आइपीसी के तहत 1953 में दर्ज किए गए कुल संज्ञेय अपराधों की संख्या 6.01 लाख थी। साल 2009 तक इन अपराधों की संख्या बढ़कर 21.21 लाख पहुंच गई। इस तरह 56 साल की समयावधि में सालाना संज्ञेय अपराधों की संख्या में ढाई सौ फीसदी से अधिक का इजाफा हो चुका है।


Biography of Mahatma Gandhi शिक्षा

गांधीजी के विचार

मैं पाश्चात्य संस्कृति का विरोधी नहीं हूं। मैं अपने घर के खिड़की दरवाजों को खुला रखना चाहता हूं जिससे बाहर की स्वच्छ हवा आ सके, लेकिन विदेशी भाषाओं की ऐसी आंधी न आ जाए कि मैं औंधे मुंह गिर पडूं। भारतीय अंग्रेजी ही क्यों, अन्य भाषाएं भी पढ़ें, परंतु जापान की तरह उनका उपयोग स्वदेश हित में किया जाए।

मौजूदा हालात

6-14 साल के बच्चों के लिए अनिवार्य मुफ्त शिक्षा का प्रबंध किया गया है। 25 प्रतिशत आबादी निरक्षर है। 15 प्रतिशत छात्र ही हाईस्कूल कर पाते हैं और 7 प्रतिशत ही स्नातक कर पाते हैं। देश में 80 प्रतिशत स्कूल सरकारी हैं लेकिन गुणवत्ता परक शिक्षा के लिए 27 प्रतिशत बच्चे निजी स्कूलों में पढ़ते हैं।


businessसामाजिक विषमता

गांधीजी के विचार

समाज में जब तक विषमता रहेगी, हिंसा भी रहेगी। हिंसा को खत्म करने के लिए पहले विषमता को समाप्त करना होगा। विषमता के कारण समृद्ध अपनी समृद्धि के कारण और गरीब अपनी गरीबी में मारा जाएगा। इसलिए ऐसा स्वराज हासिल करना होगा, जिसमें अमीर-गरीब के बीच कोई भेद न रहे।

मौजूदा हालात

दुनिया के 40 प्रतिशत गरीब हमारे देश में हैं। 28 प्रतिशत जनसंख्या गरीबी रेखा से नीचे जीने को मजबूर है। एक तिहाई से भी ज्यादा आबादी की प्रतिदिन की आय पचास रुपये से भी कम है, जबकि 80 प्रतिशत लोग रोजाना सौ रुपये से कम की आय पर गुजर-बसर को मजबूर हैं।


नारी सशक्तीकरण

गांधीजी के विचार

पुरुष को चाहिए स्त्री को उचित स्थान दे। जिस देश अथवा समाज में स्त्री का आदर नहीं होता उसे सुसंस्कृत नहीं कहा जा सकता। त्याग, नम्रता, श्रद्धा, विवेक और स्वेच्छा से कष्ट सहने की साम‌र्थ्य रखने वाली औरत कभी अबला नहीं हो सकती। भाषाएं घोषित करती हैं कि महिला पुरुष की अर्धागिनी है। इसी प्रकार पुरुष भी महिला का अर्धाग है।

मौजूदा हालात

यूनीसेफ की रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया के 40 प्रतिशत बाल विवाह इसी देश में होते हैं। 20-24 साल की विवाहित लड़कियों में से 47 प्रतिशत की शादी कानूनी उम्र से पहले कर दी जाती है। दुनिया में मातृ मृत्यु के मामले में दूसरा स्थान है। कन्या भ्रूण हत्या, घरेलू हिंसा, शारीरिक शोषण और दहेज जैसी समस्याएं अभी बरकरार है।


Gandhi's Vision and Valuesबाल मजदूरी

गांधीजी के विचार

कारखानों में मजदूरों के तौर पर लिए जाने वाले बालकों की उम्र बढ़ा दी जाए। छोटे-छोटे बालक स्कूलों से उठा लिए जाएं और उन्हें पैसा कमाने के लिए मजदूरी के काम में लगा दिया जाए तो यह कार्य राष्ट्रीय पतन की निशानी है।

कोई भी राष्ट्र अपने बालकों का ऐसा दुरुपयोग नहीं कर सकता।



मौजूदा हालात

एक ताजा अध्ययन के मुताबिक देश में करीब 6 करोड़ बाल श्रमिक हैं।


जनमत

chart-1क्या गांधीजी के सिद्धांतों से वर्तमान समस्याओं का निराकरण संभव है?

हां: 64%

नहीं: 36%


chart-2क्या मौजूदा देशकाल, परिस्थितियों में आप गांधीजी के बताए रास्ते पर चलना चाहेंगे?

हां: 71%

नहीं: 29%


आपकी आवाज

हममें धैर्य की कमी होने से हम इन्हें अपनाते नहीं अन्यथा गांधीजी के सिद्धांत लोकतंत्र में हर समस्या का हल हैं। -एचएस.एफजेडडी.सीएल@जीमेल.काम

सत्य अहिंसा के सनातन सिद्धांत सर्वकालीन समस्याओं के निराकरण के लिए उपयोगी हैं। बशर्ते उनके यथार्थ अभिप्राय को समझा जाय। अपरिहार्य स्थिति में लोक हितार्थ युद्ध एवं जनहित में न्यायार्थ कठोर दंड गांधीजी के सिद्धांतों के विरुद्ध नहीं हैं। -गौरीशंकर 1054@रीडिफमेल.काम

आज हमारे देश में महात्मा गांधी के रास्ते पर चलने वाला माहौल नहीं रह गया है। आज जो गांधी जी के बताए रास्ते पर चलता है, उसको बहुत से लोग बेवकूफ कहते हैं। -राजू09023693142@जीमेल.काम

गांधीजी के विचार आज भी उतने ही जीवट व प्रासंगिक है जितने कि पहले थे। उनकी सोच एंव दूरदर्शिता को किसी कालचक्र में नहीं बांधा जा सकता। अन्नाजी का अनशन इसी का उदाहरण था। -मनमोहन कृष्णन263@जीमेल.काम



02 अक्टूबर को प्रकाशित मुद्दा से संबद्ध आलेख “गांधी तुम आज भी जिंदा हो”  पढ़ने के लिए क्लिक करें.

02 अक्टूबर को प्रकाशित मुद्दा से संबद्ध आलेख “राष्ट्रपिता एक रूप अनेक”  पढ़ने के लिए क्लिक करें.

02 अक्टूबर को प्रकाशित मुद्दा से संबद्ध आलेख “वैश्विक कार्यकर्ता”  पढ़ने के लिए क्लिक करें.

02 अक्टूबर को प्रकाशित मुद्दा से संबद्ध आलेख “खुद के बारे में बापू की सोच”  पढ़ने के लिए क्लिक करें.

साभार : दैनिक जागरण 02 अक्टूबर 2011 (रविवार)

नोट – मुद्दा से संबद्ध आलेख दैनिक जागरण के सभी संस्करणों में हर रविवार को प्रकाशित किए जाते हैं.


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