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सरकार द्वारा इस मानसून सत्र में 35 पुराने और 32 नए बिल पेश किए जाने की संभावना है, जिसमें लोकपाल बिल जैसे कई विधेयक बहुचर्चित रहे हैं। पेश है उन खास विधेयकों पर एक नजर जिन पर सबकी निगाहें टिकी होंगी –
लोकपाल बिल: बहुचर्चित लोकपाल बिल को सदन में पेश करना सरकार की पहली प्राथमिकता है। इसको सदन के पहले या दूसरे दिन ही पेश किए जाने की योजना है। सरकारी लोकपाल बिल में प्रधानमंत्री और न्यायपालिका को इसके दायरे से बाहर रखा गया है। जबकि अन्ना हजारे की टीम ने अपने जन लोकपाल बिल में इनको भी शामिल करने की मांग की थी लेकिन सरकार ने इनकी मांग को खारिज कर दिया। सरकारी लोकपाल बिल के विरोध में अन्ना हजारे ने 16 अगस्त से अनशन शुरू करने का ऐलान किया है।
भूमि अधिग्रहण सुधार बिल: 1894 के भूमि अधिग्रहण कानून में सुधार संबंधी इस बिल को पेश करने की योजना है। हालांकि ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने कहा है कि चूंकि भूमि राज्य सूची का मसला है और जमीन अधिग्रहण समवर्ती सूची का मामला है, इसलिए सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों के विचार भी इसमें शामिल किए जाने चाहिए। लिहाजा राज्यों की रायशुमारी पाने के बाद इस बिल को सदन में पेश किया जाएगा। हालांकि वह इसी सत्र के अंत तक इसको पेश करने को लेकर आशान्वित हैं।
खाद्य सुरक्षा बिल: इस बिल में ग्रामीण क्षेत्रों की 75 प्रतिशत आबादी और शहरी क्षेत्रों की 50 प्रतिशत आबादी को सस्ते दरों पर अनाज दिए जाने का प्रावधान किया गया है। इस प्रकार कुल मिलाकर देश की 68 प्रतिशत आबादी को इस बिल के माध्यम से खाद्य सुरक्षा मुहैया कराने की बात कही गई है। इस बिल का ड्राफ्ट भी सोनिया गांधी के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय सलाहकार परिषद ने तैयार किया है। इसको संप्रग सरकार की सबसे महत्वाकांक्षी योजना माना जा रहा है।
राष्ट्रीय खेल विकास विधेयक: इसके माध्यम से तमाम राष्ट्रीय खेल संघों की कार्यप्रणाली को पारदर्शी बनाने का प्रावधान किया गया है।
रीयल एस्टेट बिल: रीयल एस्टेट के नियोजित विकास एवं ग्राहकों के हितों की रक्षा का प्रावधान इस बिल में किया गया है।
ट्राई लॉ संशोधन बिल: इसमें टेलीफोन रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया को सिविल कोर्ट की तरह शक्तियां दिए जाने का प्रावधान है।
न्यूक्लियर रेगुलेटरी अथॉरिटी बिल: एक स्वतंत्र न्यूक्लियर रेगुलेटरी अथॉरिटी के गठन के लिए इस बिल को पेश किया जाएगा।
जनमत
क्या लोकपाल बिल पर आमजन की रायशुमारी से संसद की सर्वोच्चता को आघात पहुंचा है?
हां : 27 %
नहीं : 83 %
क्या सांसदों के व्यक्तिगत आचरण से संसद की छवि प्रभावित होती है?
हां : 97 %
नहीं : 3 %
आपकी आवाज
सांसदों के आचरण से संसद की छवि निश्चितरूप से प्रभावित होती है। इसीलिए अच्छी संसद की उपमा ‘राम दरबार’ से तथा खराब संसद की उपमा ‘दु:शासन की सभा’ से की जाती है। –कमलेश पांडेय, सीतापुर
लोकपाल बिल या किसी भी मुद्दे पर आमजन की रायशुमारी से संसद की सर्वोच्चता को कोई आघात नहीं पहुंच सकता। –गौरीशंकर
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साभार : दैनिक जागरण 31 जुलाई 2011 (रविवार)
नोट – मुद्दा से संबद्ध आलेख दैनिक जागरण के सभी संस्करणों में हर रविवार को प्रकाशित किए जाते हैं.
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