- 442 Posts
- 263 Comments
चुनाव में कोई भी उम्मीदवार अपनी मनमर्जी से खर्च करने के लिए स्वतंत्र नहीं है। कंडक्ट ऑफ इलेक्शन रूल्स, 1961 के नियम 90 में निहित कुल चुनाव खर्च की अधिकतम सीमा से इसे अधिक नहीं होना चाहिए। अगर कोई ऐसा करता है तो लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 123[6] के अधीन यह एक भ्रष्ट आचरण माना जाएगा।
अलग-अलग प्रावधान
फरवरी, 2011 में चुनाव खर्च की सीमा को संशोधित करते हुए सरकार ने इसमें करीब 60 फीसदी की वृद्धि की। अब बड़े राज्यों [उत्तर प्रदेश और पंजाब जैसे] में चुनाव खर्च की अधिकतम सीमा लोकसभा के लिए 40 लाख रुपये और विधानसभा चुनाव के लिए 16 लाख रुपये तथा उत्तराखंड जैसे छोटे राज्यों के लिए यह सीमा क्रमश: 40 लाख और 11 लाख तय की गई है इससे पहले बड़े राज्यों के लिए लोकसभा चुनाव की अधिकतम खर्च सीमा 25 लाख रुपये और विधानसभा चुनावों की खर्च सीमा 10 लाख रुपये तय थी। 1999 में यह खर्च सीमा लोकसभा और विधानसभा के लिए क्रमश: 15 लाख और छह लाख रुपये थी।
खर्च का लेखा-जोखा
लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 77 के अधीन लोकसभा या विधानसभा के चुनाव में प्रत्येक उम्मीदवार को निर्वाचन संबंधी सभी खचरें का विवरण देने का प्रावधान किया गया है। इसमें उम्मीदवार को उसके नामांकन वाले दिन से नतीजे आने तक हुए सभी खर्चे का ब्यौरा देना होता है। सभी उम्मीदवारों को निर्वाचन के परिणाम की घोषणा से 30 दिन के अंदर इस लेखा विवरण की एक सही प्रतिलिपि दाखिल करनी होती है।
सक्षम अधिकारी
उम्मीदवारों द्वारा निर्वाचन व्ययों का लेखा प्रत्येक राज्य में उस जिले के जिला निर्वाचन अधिकारी के पास दाखिल करना होता है जिसमें उस उम्मीदवार का निर्वाचन क्षेत्र पड़ता है। संघ राज्य क्षेत्रों के मामले में ऐसे लेखे संबंधित रिटर्निंग ऑफिसर के पास दाखिल करने होते हैं।
चुनाव खर्च दाखिल न करने पर दंड
लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 10क के अधीन यदि निर्वाचन आयोग इस निष्कर्ष पर पहुंच जाता है कि कोई व्यक्ति चुनाव खर्चों का विवरण समय से और कानून के अनुसार दाखिल करने में असफल रहा है और इस असफलता के लिए उसके पास कोई तर्कसंगत और न्यायोचित कारण नही है तो उसे संसद के दोनों सदनों या किसी राज्य विधानसभा, या विधान परिषद का सदस्य होने या निर्वाचित होने के लिए 3 वर्ष की अवधि के लिए अयोग्य घोषित किया जा सकता है।
15 जनवरी को प्रकाशित मुद्दा से संबद्ध आलेख “सरकारी खर्च पर चुनाव!” पढ़ने के लिए क्लिक करें.
15 जनवरी को प्रकाशित मुद्दा से संबद्ध आलेख “नोट के बदले वोट!” पढ़ने के लिए क्लिक करें.
साभार : दैनिक जागरण 15 जनवरी 2012 (रविवार)
नोट – मुद्दा से संबद्ध आलेख दैनिक जागरण के सभी संस्करणों में हर रविवार को प्रकाशित किए जाते हैं.
Read Comments