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प्रस्तावित नदी जोड़ परियोजना (National River Linking Project)

मुद्दा
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एनडब्लूडीए के नेशनल पर्सपेक्टिव प्लान के तहत हिमालयी और प्रायद्वीपीय क्षेत्र की चिह्नित नदियों एवं स्थानों को कुल 30 नहरों द्वारा आपस में जोड़ा जाना है। इनमें हिमालयी क्षेत्र में 14 और प्रायद्वीपीय क्षेत्र में 16 संयोजक नहरें शामिल हैं.


final mapआनुमानित लागत: इस परियोजना की 2002 में आनुमानित लागत 5 लाख 60 हजार करोड़ रुपये थी। इसमें 16000 करोड़ हर साल के हिसाब से 35 साल तक खर्च किया जाना था। एक दूसरे अनुमान के मुताबिक इस परियोजना में कुल खर्च 5 लाख 56 हजार करोड़ रुपये है। इसमें 3 लाख 30 हजार करोड़ रुपये हिमालयी और प्रायद्वीपीय क्षेत्र की नदियों को आपस में जोड़ने की लागत है.


परियोजना की वर्तमान स्थिति: एनडब्लूडीए तीस अंतरराज्यीय नदी जोड़ (हिमालय भाग की 14 और प्रायद्वीपीय हिस्से की 16) बनाने के लिए व्यवहारिक रिपोर्ट (एफआर) तैयार कर रहा है। इनमें से प्रायद्वीपीय भाग की 14 और हिमालय के 2 लिंक की रिपोर्ट तैयार हो चुकी है.


प्रायद्वीपीय भाग की पांच अंतरराज्यीय नदी जोड़ सरकार की प्राथमिकता सूची में शामिल हैं। इनमें केन-बेतवा, पार्वती-कालीसिंध-चंबल दमनगंगा-पिंजल, पार-तापी-नर्मदा, एवं गोदावरी (पोलावरम)-कृष्णा (विजयवाड़ा) नदी जोड़ से संबंधित विस्तृत प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार की जा रही है .


  • केन-बेतवा नदी जोड़ प्रोजेक्ट का डीपीआर तैयार हो गया है। उसको उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश सरकार के पास विचार के लिए भेजा गया है। इसके अलावा पार-तापी-नर्मदा और दमनगंगा-पिंजल से संबंधित डीपीआर दिसंबर 2011 तक तैयार हो जाने की संभावना है.
  • गोदावरी (पोलावरम)-कृष्णा (विजयवाड़ा) नदी जोड़ के लिए योजना आयोग ने निवेश की अनुमति प्रदान कर दी है
  • एनडब्ल्यूडीए को सात राज्यों महाराष्ट्र, गुजरात, झारखंड, उड़ीसा, बिहार, राजस्थान और तमिलनाडु से 36 अंतरराज्यीय नदी जोड़ के लिए प्रस्ताव मिले हैं। उनमें से 12 प्रोजेक्ट की पूर्व व्यावहारिक रिपोर्ट (प्री-एफआर) का काम एनडब्ल्यूडीए ने पूरा कर लिया है।



हिमालयी क्षेत्र की संयोजक नहरें


1. कोसी-मेकी

2. कोसी-घाघरा

3. गंडक-गंगा

4. घाघरा-यमुना

5. शारदा-यमुना

6. यमुना-राजस्थान

7. राजस्थान-साबरमती

8. चुनार-सोन बैराज

9. सोन बांध-गंगा की दक्षिणी सहायक नदियां

10. ब्रह्मपुत्र-गंगा (मानस-संकोश-तीस्ता-गंगा)

11. ब्रह्मपुत्र-गंगा(जोगीगोपा-तीस्ता-फरक्का)

12. फरक्का-सुंदरवन

13. फरक्का-दामोदर-सुवर्णरेखा

14. सुवर्णरेखा-महानदी



प्रायद्वीपीय क्षेत्र की संयोजक नहरें:


1. महानदी (मणिभद्रा)-गोदावरी (दौलाईस्वरम)

2. गोदावरी (इंचमपाली)-कृष्णा (नागार्जुन सागर)

3. गोदावरी (इंचमपाली लो डैम)-कृष्णा (नागार्जुन टेल पॉंड)

4. गोदावरी (पोलावरम)-कृष्णा (विजयवाड़ा)

5. कृष्णा (अलमाटी)-पेन्नार

6. कृष्णा (श्रीसैलम)-पेन्नार (प्रोडात्तुर)

7. कृष्णा (नागार्जुन सागर)-पेन्नार (स्वर्णशिला)

8. पेन्नार (स्वर्णशिला)-कावेरी (ग्र्रांड आर्नीकट)

9. कावेरी (कट्टई)- वईगई-गुंडुर

10. केन-बेतवा लिंक

11. पार्वती-काली सिंध-चंबल

12. पार-तापी-नर्वदा

13. दमनगंगा-पिंजाल

14. वेदती-वरदा

15. नेत्रावती-हेमावती

16. पम्बा-अचनकोविल-वप्पार


जनमत


chart-1क्या नदियों को आपस में जोड़कर बाढ़ और सुखे पर काबू पाया जा सकता है?


हां : 93%

नहीं : 7%



chart-2क्या नदियों को जोड़ने की योजना प्रकृति और पर्यावरण के विरुद्ध है?


हां : 36%

नहीं : 64%



आपकी आवाज :


नदियों को आपस में जोड़कर सुखे और बाढ़ से मुक्ति ली जा सकती है. सभी राज्यों को इस मामलें में एक दूसरे की सहायता करनी चाहिए. – राजू


नदियों को जोड़ने से प्रकृति और पर्यावरण पर कुछ खास फर्क नहीं पड़ेगा, यह कदम देश की तरक्की में सहायक होगा. – संतोष कुमार (कानपुर)



19 जून को प्रकाशित मुद्दा से संबद्ध आलेख “सफल प्रयोग” पढ़ने के लिए क्लिक करें.


19 जून को प्रकाशित मुद्दा से संबद्ध आलेख “…थम न जाए धारा” पढ़ने के लिए क्लिक करें.


19 जून को प्रकाशित मुद्दा से संबद्ध आलेख “बिन नदियां सब सून” पढ़ने के लिए क्लिक करें.


साभार : दैनिक जागरण 19 जून 2011 (रविवार)


नोट – मुद्दा से संबद्ध आलेख दैनिक जागरण के सभी संस्करणों में हर रविवार को प्रकाशित किए जाते हैं.



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