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पाकिस्तान: खेल के खिलाड़ी

मुद्दा
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पाकिस्तानी सरकार, सेना और न्यायपालिका के बीच आपसी विश्वास की कमी के कारण पिछले कई महीनों से वहां राजनीतिक संकट की स्थिति बनी हुई है। जजों पर राजनीतिक दखलंदाजी का आरोप लग रहा है। वहीं मेमोगेट कांड के कारण सेना खफा है, जिसमें सैन्य तख्तापलट की दशा में अमेरिकी सरकार से सहयोग मांगा गया था। इस संकट के बीच सरकार, विपक्ष और सेना के प्रमुख खिलाड़ियों पर एक नजर :


राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी

पाकिस्तान के सबसे विवादित राजनीतिक शख्सियत माने जाते हैं। पत्नी बेनजीर भुट्टो की हत्या के बाद हुए आम चुनावों में जन सहानुभूति के सहारे सितंबर 2008 में सत्ता में आए। भ्रष्टाचार के कई आरोपों के कारण इनको मिस्टर टेन पर्सेंट भी कहा जाता है। सुप्रीम कोर्ट भी उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले को दोबारा खोलने के लिए कह रहा है। ओसामा बिन लादेन की मौत के बाद सैन्य तख्तापलट की दशा में अमेरिका से सैनिक मदद मांगने वाले मेमो में भी उनकी हाथ माना जाता है।


जनरल अशफाक परवेज कियानी

इनके कार्यकाल में सेना अब तक के सबसे कठिन दौर में गुजर रही है। ओसामा बिन लादेन की मौत, बढ़ता आतंकी खतरा और अमेरिकी ड्रोन

हमलों के कारण जनता में बढ़ते गुस्से का सामना सेना को करना पड़ रहा है। मेमोगेट कांड के उजागर होने के बाद सरकार से रिश्ते खराब हो गए। कयास लगाए जा रहे हैं कि अगला तख्तापलट कभी भी हो सकता है


नवाज शरीफ

दो बार प्रधानमंत्री रह चुके नवाज शरीफ पाकिस्तान की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज के अध्यक्ष हैं। विश्लेषकों का मानना है कि यदि 2008 के चुनावों में उनके सत्ता में आने की सबसे प्रबल संभावना थी लेकिन बेनजीर भुट्टो की हत्या के कारण जनता की सहानुभूति का लाभ आसिफ अली जरदारी को मिला। मेमोगेट कांड में सुप्रीम कोर्ट का ध्यान खींचने का श्रेय नवाज शरीफ को ही जाता है।


इमरान खान

पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के मुखिया हैं। शहरी मध्यम वर्ग में लोकप्रिय होने के बावजूद इसको वोटों में तब्दील करने में अभी तक कामयाब नहीं रहे हैं।


यूसुफ रजा गिलानी

सेना के खिलाफ उनकी आवाज बुलंद होती जा रही थी। दिसंबर, 2011 में उन्होंने सरकार को अस्थिर करने की कोशिशों में लगे षड़यंत्रकारियों को चेतावनी दी थी। इसको सेना के खिलाफ टिप्पणी के रूप में देखा गया था। जवाब में सेना ने कहा था कि गिलानी को इसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। बदले में गिलानी ने सैन्य सचिव को पद से हटा दिया। कोर्ट ने अप्रैल में अवमानना मामले में प्रतीकात्मक सजा सुनाई थी। अब आश्चर्यजनक निर्णय में उनको अयोग्य ठहरा दिया गया


शुजा पाशा (पूर्व खुफिया प्रमुख)

आइएसआइ के प्रमुख रहे शुजा पाशा पर आरोप है कि उनके कार्यकाल में आइएसआइ आतंकी संगठनों का समर्थन करती रही है।


पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ

2008 में सत्ता से हटने के बाद से स्वेच्छा से निर्वासन में रह रहे हैं। बावजूद इसके पाकिस्तानी राजनीति में महत्वपूर्ण शख्सियत हैं।


चीफ जस्टिस इफ्तिखार चौधरी

जनरल परवेज मुशर्रफ की सत्ता की वैधानिकता पर सवाल खड़े करने वाले इफ्तिखार चौधरी को 2007 में मुशर्रफ ने हटा दिया था। उनको इकलौता जज माना जाता है जो सैन्य शासन के खिलाफ खड़ा हुआ और जीता। हाल में एक बिजनेसमैन ने उनके पुत्र पर रिश्वत लेने का आरोप लगाए जाने के कारण इनकी भूमिका पर भी सवाल खड़े हुए हैं।

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खस्ताहाल पाकिस्तान

प्रति व्यक्ति आये 1254 डॉलर

विदेशी ऋणे 60.116 अरब अमरिकी डॉलर ( वर्ष 2011-11)

क्रेडिट रेटिंगे ऋणात्मक बी (स्टैंडर्ड एंड पुअर्स)

रोजाना 20 घंटेे यहां के कई शहरों में बिजली नहीं रहती है

जीडीपीे 160.9 अरब डॉलर

रक्षा खर्चे जीडीपी का तीन प्रतिशत

मानव विकास सूचकांक (एचडीआइ)े 145 (2011) स्थान

आतंकवाद: पाकिस्तान अपनी जमीन पर पनपने वाले आतंकवाद

से खुद भी परेशान रहा है। वर्ष 2010 में 35 हजार से अधिक पाकिस्तानी नागरिक आतंकवाद का शिकार हुए। वहां की सरकार के अनुसार

आतंकवाद ने देश को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से करीब 68 अरब डॉलर का नुकसान पहुंचाया है


अपराध: अफगानिस्तान से लगी

सीमा के कारण यहां अफीम, हशीश, हेरोइन आदि जैसे मादक पदार्थ

व्यापक रूप में उत्पादित किए जाते हैं। वर्ष 2007 में 2300 एकड़ अफीम की खेती की गई है। विश्व स्वास्थ्य

संगठन के मुताबिक यहां हत्या दर 3.6 प्रति एक लाख है

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विवाद की जड़

सुप्रीम कोर्ट ने गिलानी को राष्ट्रपति जरदारी के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले खोलने के आदेश दिए थे। कोर्ट ने कहा था कि जरदारी और उनकी दिवंगत पत्नी बेनजीर भुट्टो को स्विस अदालत ने 2003 में करोड़ो डॉलर की हेरा-फेरी के जिन मामलों में दोषी ठहराया था उनको दोबारा खोला जाए। गिलानी ने एनआरओ का हवाला देते हुए ऐसा नहीं किया। विवाद के जड़ एनआरओ पर एक नजर :


नेशनल रिकांसिलिएशन आर्डिनेंस (एनआरओ)

’पांच अक्टूबर, 2007 को तत्कालीन राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ द्वारा जारी किया गया विवादित अध्यादेश था। इसके द्वारा राजनेताओं और नौकरशाहों पर लगे तमाम आरोपों से उनको मुक्त किया गया

’अध्यादेश के मुताबिक 1986-1999 की अवधि के बीच इन लोगों पर

लगे भ्रष्टाचार, मनी लॉड्रिंग, गबन, हत्या, आतंकवाद के मामलों को बंद कर दिया गया

’ऐसा माना जाता है कि उस वक्त निर्वासन में जीवन बिता रही बेनजीर भुट्टो को पाकिस्तान वापस लौटने में मदद के लिए यह अध्यादेश लाया गया था। उनके पति आसिफ अली जरदारी पर भी भ्रष्टाचार के कई मामले चल रहे थे। इनकी वजह से बेनजीर भुट्टो के देश लौटने पर उन पर कानूनी कार्रवाई हो सकती थी। एनआरओ लागू होने के उन पर चल रहे सारे मामले खत्म हो गए


मिली राहत

अध्यादेश से लाभ पाने वाले लोगों की सूची अक्टूबर, 2009 में जारी की गई। इसमें 34 राजनेताओं समेत 8,041 व्यक्तियों को उन पर चल रहे आरोपों से मुक्त कर दिया गया। राहत पाने वालों में राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी भी शामिल हैं


बदलता घटनाक्रम

’जस्टिस इफ्तिखार चौधरी की अगुआई में 17 सदस्यों की पूर्ण पीठ ने 16 नवंबर, 2009 को एनआरओ को अवैध ठहरा दिया। साथ ही यह भी आदेश दिया गया कि 2007 में अध्यादेश लागू होने से पहले चल रहे केसों को दोबारा चालू किया जाए

’दो साल से अधिक समय बीतने के बावजूद सरकार द्वारा इस दिशा में कदम नहीं उठाए जाने के कारण  गिलानी को अदालत ने 26 अप्रैल को कोर्ट की अवमानना का दोषी ठहराया। 19 जून को कोर्ट ने उनको पद से अयोग्य ठहरा दिया.

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