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हरि देव शौरी
हरिदेव शौरी (1911-2005) ने आम जनता के अधिकारों के लिए ‘कॉमन कॉज’ नामक संगठन की स्थापना की। उपभोक्ताओं के अधिकारों की लड़ाई के लिए जनहित याचिकाओं को कारगर हथियार बनाने में हरि देव का अहम योगदान है। उन्होंने इन याचिकाओं का इस्तेमाल कर कई महत्वपूर्ण केस लड़े जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने लैंडमार्क निर्णय दिए। उनके उल्लेखनीय कार्यों के लिए उन्हें पद्म विभूषण सम्मान से नवाजा गया। उनको लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड्स ने ‘पीपुल ऑफ द ईयर’ चुना। पूर्व केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ पत्रकार अरुण शौरी उनके पुत्र हैं।
जी आर खैरनार
ब्रहनमुंबईम्युनिसपल कारपोरेशन के डिप्टी कमिश्नर रह चुके जी आर खैरनार (69) को मुंबई में ‘वन मैन डिमोलिशन आर्मी’ के तौर पर जाना जाता है। उनकी मुंबई में अवैध रूप से निर्मित इमारतों को गिराने में अहम भूमिका रही। यहां तक कि 1985 में महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री वसंत दादा पाटिल के पुत्र के होटल को ढहा दिया था। मध्यम वर्ग की पृष्ठभूमि से ताल्लुक रखने वाले खैरनार ने 1993 में तत्कालीन मुख्यमंत्री शरद पवार की सार्वजनिक तौर पर आलोचना की थी। हालांकि उनको राजनैतिक कोपभाजन का शिकार भी बनना पड़ा। उनको निलंबित करते हुए कई केस भी उनके खिलाफ दर्ज करवाए गए। बावजूद इसके खैरनार किसी के आगे नहीं झुके और अंतत: कोर्ट की लड़ाई में विजयी हुए
एम सी मेहता
पेशेसे वकील पर्यावरणविद महेश चंद्र मेहता (1946) ने पर्यावरणीय हितों की सुरक्षा के लिए मिशन चला रखा है। उन्होंने पर्यावरण संबंधी मामलों की कई जंग लड़ी। मेहता ने 1984 में आगरा के ताजमहल को वायु प्रदूषण से बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की। वर्षों की कानूनी लड़ाई के बाद 1996 में सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए ताजमहल के आसपास प्रदूषण फैलाने वाली औद्योगिक इकाइयों को बंद करने का आदेश दिया। इसके अलावा उन्होंने कानूनी लड़ाई के द्वारा स्वस्थ पर्यावरण के अधिकार की मांग, गंगा नदी में प्रदूषण फैलाने वाली औद्योगिक इकाइयों पर प्रतिबंध, दिल्ली में सीसा रहित पेट्रोल की बिक्री, दिल्ली के आसपास की पहाड़ियों को संरक्षित वन घोषित करवाने में कामयाबी पाई है। उनके उल्लेखनीय कार्यों की वजह से कई अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों समेत 1997 में सामुदायिक सेवा के लिए प्रतिष्ठित रमन मैग्सेसे पुरस्कार से उनको सम्मानित किया गया।
डॉ मार्टिन लूथर किंग जूनियर
अफ्रीकन –अमेरिकन नागरिक अधिकार आंदोलन के नेता मॉर्टिन लूथर किंग (1929) को अमेरिका समेत पूरी दुनिया में नागरिक अधिकार आंदोलन का प्रमुख नेता माना जाता है। महात्मा गांधी के अनुयायी मार्टिन लूथर ने अहिंसक रास्ता अख्तियार करते हुए अमेरिका में प्रजातीय भेदभाव और पृथक्करण के खिलाफ सविनय अवज्ञा आंदोलन चलाया।
उनकेप्रसिद्ध भाषण ‘आइ हेव ए ड्रीम’ ने अमेरिकी इतिहास में उनको सबसे श्रेष्ठ वक्ताओं की श्रेणी में शामिल कर दिया। 1964 में सबसे कम उम्र में नोबेल पुरस्कार हासिल करने वाले वह पहले शख्स बने। 1968 में उनकी हत्या कर दी गई।
12 जून को प्रकाशित मुद्दा से संबद्ध आलेख “बाबा का वार-अन्ना का प्रहार” पढ़ने के लिए क्लिक करें
साभार : दैनिक जागरण 12 जून 2011 (रविवार)
नोट – मुद्दा से संबद्ध आलेख दैनिक जागरण के सभी संस्करणों में हर रविवार को प्रकाशित किए जाते हैं.
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