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गरीबी रेखा से नीचे के परिवारों को खाद्य, उर्वरक और ईंधन पर दी जा रही सब्सिडी के बदले सालाना 30 हजार से 40 हजार रुपये उनके बैंक खाते में डालने की योजना है। इन मदों में सालाना करीब चार लाख करोड़ रुपये कुल लाभार्थियों के बैंक खातों में पहुंचाए जाएंगे। गरीबी रेखा से ऊपर के परिवारों को भी कुकिंग गैस की सब्सिडी का नकद भुगतान किया जाएगा।
कैसे काम करेगी योजना
सब्सिडी, पेंशन, छात्रवृत्ति इत्यादि के हकदार को आधार कार्ड के माध्यम से सीधे उनके बैंक खातों में नकद भुगतान किया जाएगा।
योजना का दायरा
कुकिंग गैस सब्सिडी के साथ इस योजना की शुरुआत होनी है। बाद में राज्यों द्वारा खाद्य सब्सिडी के लिए शुरुआती योजना शुरू किया जाना है। उर्वरक पर दी जाने वाली सब्सिडी पर भी काम चल रहा है। एक जनवरी, 2013 से इस योजना के दायरे में 29 स्कीमों के तहत दी जा रही सब्सिडी को लाया जाएगा। धीरे-धीरे सभी तरह की सब्सिडी को इसके दायरे में लाए जाने की योजना है। सरकार द्वारा इस तरह की चलाई जाने वाली स्कीमों की संख्या 42 है।
कब होगी शुरुआत
केरोसिन पर दी जाने वाले सब्सिडी के कैश ट्रांसफर को लेकर राजस्थान के अलवर जिले में एक शुरुआती योजना चलाई जा रही है। मैसूर में कुकिंग गैस की सब्सिडी पर भी एक ऐसी ही प्रायोगिक योजना चलाई जा रही है। एक जनवरी, 2013 यानी अगले साल से ऐसे 51 जिलों में कैश ट्रांसफर योजना को चलाया जाएगा जहां अधिकांश लोगों के आधार कार्ड बनाए जा चुके हैं। दिसंबर, 2013 से इसे पूरे देश में लागू किया जाएगा।
तरीके में बदलाव क्यों
सब्सिडी के मौजूदा तरीके में कई खामियों के चलते यह नया तरीका अपनाया जा रहा है। अभी प्रणाली में लीकेज बहुत है। लाभार्थियों को उनका हक सीधा उनके बैंक खाते में नकदी के रूप में पहुंचाने के लिए इसे जरूरी बताया जा रहा है।
योजना में पेंच
इस योजना में जिस आधारकार्ड का महती भूमिका होगी उसके बनने की रफ्तार बहुत सुस्त है। 120 करोड़ लोगों में से केवल 21 करोड़ आधारकार्ड ही अभी तक बनाए जा सके हैं। गरीबी रेखा के नीचे के अधिकांश परिवारों का बैंक में खाता नहीं है। कई गांवों में बैंक की कोई शाखाएं नहीं हैं।
परदेश का अनुभव
लोगों के सामाजिक, आर्थिक और स्वास्थ्य स्तर को बेहतर बनाने के लिए दुनिया में कई देशों ने नकद के रूप में सब्सिडी देने की पहल की है। कुछ देशों में इस नकद भुगतान को सशर्त दिया जाता है यानि इसके लिए लाभार्थियों को कोई शर्त पूरी करने की बाध्यता होती है। मसलन जब तक बच्चा स्कूल जाता रहे या ऐसा ही कुछ और। कई देशों में इस नकदी भुगतान के लिए कोई शर्त नहीं रखी जाती है। इनमें ब्राजील, चिली, कोलंबिया, होंडुरास, जमैका, इंडोनेशिया, मेक्सिको, ग्वाटेमाला, निकारागुआ, पनामा, फिलीपींस, पेरू, तुर्की, मिस्न, अमेरिका, बांग्लादेश और कंबोडिया जैसे देश शामिल हैं।
प्रमुख प्रावधान
ब्राजील: खाद्य, स्कूल और स्वास्थ्य सेवाओं तक अति गरीब और पिछड़े वर्ग की पहुंच बनाने के लिए यहां प्रत्यक्ष नकद हस्तांतरण का प्रावधान है। संयुक्त राष्ट्र विकास कोष के मुताबिक यहां के गरीबों के स्वास्थ्य और शैक्षिक स्तर में सुधार भी दिख रहा है। संस्था का मानना है कि ऐसा इसी योजना के चलते संभव हो सका है।
दक्षिण अफ्रीका: गरीबों पर सबसे ज्यादा खर्च करने वाले देशों में शामिल यह अपनी जीडीपी का 3.5 प्रतिशत 85 प्रतिशत बुजुर्गों की पेंशन के लिए आवंटित करता है। 55 प्रतिशत बच्चों को 27 डॉलर प्रति माह के हिसाब से नकदी लाभ भी दिया जाता है। अध्ययन बताते हैं कि इस योजना के शुरू होने के बाद पैदा हुए बच्चे इससे पहले पैदा हुए बच्चों से ज्यादा स्वस्थ हैं।
मिस्न: सशर्त नकदी हस्तांतरण पर विचार हो रहा है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य लंबे समय से गरीबी के दलदल में फंसे लोगों को निकालना है।
इंडोनेशिया: 2005 में बिना शर्त नकदी हस्तांतरण योजना शुरू की गई। 1.92 करोड़ गरीब लोगों को शुरुआती तौर पर ईंधन की बढ़ी कीमतों की क्षतिपूर्ति के लिए ऐसा किया जा रहा है।
फिलीपींस: जनवरी, 2007 में 20 जिलों के लिए सशर्त कैश ट्रांसफर कार्यक्रम शुरू किया है। इस कार्यक्रम के तहत 33-35 डॉलर प्रति माह चयनित परिवारों के बैंक खातों में डाला जाता है।
बांग्लादेश: इस देश में कई फूड ट्रांसफर कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। हालांकि अब सरकार शिक्षा के क्षेत्र में सशर्त कैश ट्रांसफर योजना पर विचार कर रही है।
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