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सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश सहित चार अन्य वरिष्ठतम न्यायाधीशों से गठित कॉलीजियम किसी जज की नियुक्ति के लिए अनुशंसा करता है। इसे विचार और स्वीकृति हेतु प्रधानमंत्री व राष्ट्रपति के पास भेजा जाता है।
एक माह: नियुक्ति प्रक्रिया में लगने वाला औसत समय
हाई कोर्ट
हाई कोर्ट में जजों की रिक्तियों को भरने के लिए संबंधित हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश कॉलीजियम से सलाह के बाद प्रस्ताव को राज्य सरकार के पास भेजते हैं। राज्य सरकार अपनी टिप्पणी के साथ इस प्रस्ताव को केंद्र सरकार के पास भेजती है। तत्पश्चात प्रस्ताव को मुख्य न्यायाधीश के पास भेजा जाता है। बाद में इसे प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के पास विचारार्थ एवं स्वीकृति हेतु भेजा जाता है।
6 माह: नियुक्ति प्रक्रिया में लगने वाला औसत समय
प्रक्रिया में बदलाव की जरूरत
1958विधि आयोग की 14वीं रिपोर्ट में नियुक्ति प्रक्रिया के निर्धारण की सिफारिश
1973 बार एसोसिएशन द्वारा जजों की नियुक्ति का फार्मूला लागू करने की मांग। प्रशासनिक सुधार आयोग ने विधि आयोग की 14वीं रिपोर्ट से सहमति जताई.
1987 विधि आयोग की 121वीं रिपोर्ट न्यू फोरम फॉर ज्यूडीशियल अप्वाइंटमेंट में नेशनल ज्यूडीशियल सर्विस कमीशन की सिफारिश। नेशनल ज्यूडीशियल सर्विस कमीशन विधेयक लाया गया.
1993 सुप्रीम कोर्ट का फैसला, नियुक्ति में सरकार का दखल समाप्त.
1998 सुप्रीम कोर्ट ने अपने पूर्व फैसले पर मुहर लगाते हुए कॉलीजियम व्यवस्था लागू की.
2011 न्यायिक मानदंड एंव जवाबदेही विधेयक-2010 पर संसद की स्थायी समिति ने नियुक्ति प्रक्रिया में बदलाव की सिफारिश की.
परदेस
अमेरिका: यहां नियुक्ति प्रक्रिया के तहत डिपार्टमेंट आफ जस्टिस द्वारा न्यायिक चुनाव प्रक्रिया के लिए एक प्रस्ताव लाया जाता है। उम्मीदवार की योग्यता और प्रतिष्ठा से जुड़े तथ्यों के प्राथमिक मूल्यांकन के लिए इनको फेडरल ब्यूरो आफ इनवेस्टीगेशन और अमेरिकन बार एसोसिएशन (एबीए) के पास भेज दिया जाता है। एबीए की रेटिंग सकारात्मक और एफबीआइ की रिपोर्ट संतोषजनक होने पर ही इस सिफारिश को अटार्नी जनरल के पास भेजा जाता है। केवल इसके बाद ही अटार्नी जनरल राष्ट्रपति द्वारा मनोनयन के लिए औपचारिक सिफारिश करता है।
मनोनयन पर राष्ट्रपति की स्वीकृति मिल जाने के बाद इसे सीनेट के पास भेजा जाता है। इस पर सीनेट की सलाह और सहमति आवश्यक होती है। सीनेट इस मसले को अपनी 18 सदस्यीय कमेटी आन ज्यूडिशियरी के पास भेजती है। सुनवाई से पहले समिति मनोनीत व्यक्ति की पृष्ठभूमि की जांच करके फाइल की समीक्षा करती है। इसके बाद गृह-राज्य के सीनेटरों से परामर्श करके मनोनीत व्यक्ति का फोन पर साक्षात्कार लिया जाता है। यदि कमेटी इस मनोनयन को अस्वीकार करती है तो यह राष्ट्रपति के पास वापस चला जाता है। इस तरह यह मनोनयन यहीं समाप्त हो जाता है। केवल वही मनोनयन जिनको कमेटी स्वीकृत करती है, पुष्टिकरण के लिए सीनेट में रखा जाता है।
न्यूजीलैंड: सुयोग्य अटार्नी द्वारा पद के इच्छुक अभ्यर्थियों के लिए विज्ञापन देकर प्रार्थना पत्र मंगाए जाते हैं। हाईकोर्ट के जजों की नियुक्ति के लिए चार जरूरी कदम 1-संभावित उम्मीदवारों की एक विस्तृत सूची 2- नियुक्तियों के लिए सुयोग्य तय किए गए उम्मीदवारों की लंबी सूची 3- चीफ जस्टिस, सॉलीसिटर जनरल और न्यायपालिका के अन्य सदस्यों से सलाह-मशविरा करने के बाद अटार्नी जनरल द्वारा एक छोटी लिस्ट तैयार की जाती है और 4-इसके बाद अटार्नी जनरल योग्य उम्मीदवार का चुनाव करके कैबिनेट को सूचित करता है।
आस्ट्रेलिया: नियुक्तियों के लिए जिम्मेदार कार्यकारी काउंसिल दो कैबिनेट मंत्रियों और अटार्नी जनरल से मिलकर बनती है। ज्युडिशियल कांफ्रेंस, ऑस्ट्रेलियन इंस्टीट्यूट ऑफ ज्युडिशियल एडमिनिस्ट्रेशन और लॉ काउंसिल जैसे संगठनों से सिफारिशों पर सलाह ली जाती है। ज्युडिशियल काउंसिल द्वारा मापदंड इस तरह तय किए जाते हैं।
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साभार : दैनिक जागरण 04 सितंबर 2011 (रविवार)
नोट – मुद्दा से संबद्ध आलेख दैनिक जागरण के सभी संस्करणों में हर रविवार को प्रकाशित किए जाते हैं.
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