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एक नया प्रस्ताव
पुणे स्थित एक टैक्स रिसर्च संस्था अर्थक्रांति ने कर सुधारों के संबंध में बुनियादी टैक्स ढांचे में आमूलचूल बदलाव का सुझाव दिया है। इसको बैंकिंग ट्रांजैक्शन टैक्स (बीटीटी) का नाम दिया गया है। भाजपा के ‘इंडिया विजन 2025’ दस्तावेज के लिए इसको पेश भी किया गया है :
इसके तहत मौजूदा कर प्रणाली के तहत विभिन्न प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष करों को समाप्त करते हुए उनके बजाय एकल टैक्स तंत्र की व्यवस्था लागू की जानी चाहिए। इसमें प्रत्येक बैंक खातों की जमा धनराशि पर दो प्रतिशत का टैक्स लगाने का सुझाव है। इससे कम से कम 30 स्थानीय, राज्य और केंद्र स्तर के करों का खात्मा हो जाएगा। आयकर, बिक्री कर और एक्साइज कर समाप्त हो जाएगा और फ्लैट ट्रांजैक्शन टैक्स की व्यवस्था लागू होगी। इस प्रस्तावित नई व्यवस्था में केवल आयात ड्यूटी को शामिल करने की बात कही गई है। मसलन यदि कोई व्यक्ति 10 लाख रुपये सालाना कमाता है तो उसको 20 हजार रुपये वार्षिक टैक्स देना होगा। अन्य किसी मद में उससे टैक्स नहीं लिया जाएगा। इसी तरह यदि कोई व्यक्ति 10 करोड़ रुपये कमाता है तो कोई उच्च स्लैब सिस्टम नहीं होने की स्थिति में उसको 20 लाख रुपये सालाना टैक्स देना होगा प्रयोग : 1984 में दक्षिण अमेरिकी देश अर्जेंटीना में बीटीटी लागू किया गया था। 1992 में इसको समाप्त कर दिया गया 1993 में ब्राजील ने इसी तरह के एक सीपीएमएफ तंत्र को क्रियान्वित किया था। उसमें स्वास्थ्य ढांचे में निवेश के लिए 0.25-0.38 प्रतिशत के बीच टैक्स दर लगाई गई थी। यह टैक्स 2007 तक अस्तित्व में रहा। 2011 के राष्ट्रपति चुनाव में इसको ‘स्वास्थ्य पर सामाजिक अनुदान’ (सीएसएस) नाम से दोबारा चालू करने पर भी वहां बहस हुई। गणित : इस प्रस्ताव के मुताबिक दो प्रतिशत टैक्स से 40 लाख करोड़ रुपये राजस्व की प्राप्ति होगी। यद्यपि कुछ अर्थशास्त्रियों के अनुसार इससे केवल 14 लाख करोड़ रुपये की प्राप्ति होगी। लेकिन, यह केंद्र के मौजूदा कुल कर राजस्व से ज्यादा होगी। मौजूदा वित्तीय वर्ष में यह कर राजस्व 10,38,037 करोड़ रुपये है। इसके समर्थकों का भी यह कहना है कि बैंकिंग ट्रांजेक्शन चार्ज दो प्रतिशत लगाया जाए तो मौजूदा 10 लाख करोड़ की तुलना में कम से कम 15 लाख करोड़ रुपये राजस्व की प्राप्ति तो होगी।
विरोध : इसके आलोचकों का कहना है कि फ्लैट टैक्स की इस व्यवस्था से अमीरों को अधिक लाभ मिलेगा। उनके मुताबिक अमीरों और गरीबों पर एक ही दर से टैक्स नहीं लगाया जा सकता। काले धन से मुक्ति : इस वक्त देश में बैंकिंग ट्रांजैक्शन केवल 20 प्रतिशत हैं। इसके समर्थकों का मानना है कि फ्लैट टैक्स की इस प्रणाली से अधिक से अधिक लोग बैंक ट्रांजैक्शन के लिए प्रोत्साहित होंगे। इससे कालांतर में काले धन की समस्या से मुक्ति मिलेगी।
फ्लैट टैक्स : बिना कोई आय समूह बनाए प्रत्येक टैक्स दाता पर एकसमान टैक्स की दर को फ्लैट टैक्स कहा जाता है। इसमें बिना किसी रियायत या छूट दिए सभी कर दाताओं पर समान टैक्स लागू की जाती है। इस तंत्र के समर्थकों का आग्रह है कि इससे कर दाता अधिक कमाई के लिए प्रोत्साहित होगा क्योंकि उनसे न तो उच्च आय समूह के तहत अधिक कर वसूला जाएगा और न ही वे वास्तविक आय छुपाने के लिए दंडित होंगे। इसको बढ़िया बताने वालों का यह भी मानना है कि इससे बिना आय की गणना किए सभी कर दाताओं पर टैक्स लगाया जा सकेगा।
प्रस्ताव का प्रभाव :अर्थक्रांति संगठन का दावा है कि उसके प्रस्ताव का देश पर बेहद सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा :
अन्य देशों में टैक्स ढांचा
अमेरिका : औद्योगिक देशों में अमेरिका में सबसे प्रोग्रेसिव टैक्स सिस्टम है। व्यक्तियों और कारपोरेशन की शुद्ध आय पर टैक्स लगाया जाता है। संघीय टैक्स दर कर देने वाली आय के 10 प्रतिशत से लेकर 39.6 प्रतिशत के बीच है। राज्य और स्थानीय टैक्स दरें आय पर 0-13.30 प्रतिशत के बीच है। अमेरिका दुनिया का एकमात्र देश है जो अनिवासी नागरिकों की वैश्विक आय पर उसी हिसाब से कर लगाता है जिस दर पर अपने देश के नागरिकों पर टैक्स लगाता है।
चीन : समाजवादी बाजार अर्थव्यवस्था मॉडल के तहत 1994 में टैक्स ढांचे में बड़े पैमाने पर बदलाव किया गया। इस वक्त देश में कुल मिलाकर 26 प्रकार के टैक्स हैं, जिनको आठ प्रकार की श्रेणियों में बांटा जा सकता है। ये प्रमुख रूप से टर्नओवर टैक्स, आयकर, रिसोर्स टैक्स, संपत्ति कर, बिहेवोरियल टैक्स, कृषि कर और कस्टम ड्यूटी की श्रेणियों में हैं।
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