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जल भंडारण
मौजूदा परिदृश्य में जल का प्रबंधन और वितरण सबसे अहम हो गया है। लोगों के सरकारी तंत्र पर आश्रित होने के चलते जल प्रबंधन में सामुदायिक हिस्सेदारी का पतन हो गया। नतीजतन सदियों से देश में चली आ रही रेनवाटर हार्वेस्टिंग (वर्षा जल भंडारण) परंपरा का खात्मा हो गया। दिन प्रतिदिन जल संकट के भयावह रूप धारण करने से अब जल प्रबंधन प्रणाली में सुधार करने और परंपरागत प्रणाली को पुनर्जीवित करने की जरूरत महसूस की जाने लगी है। पंच तत्वों में शामिल पानी सबसे अनमोल प्राकृतिक संसाधन है। कोई भी बिना पानी के जीवित नहीं रह सकता है। मानव के अस्तित्व के लिए जरूरी जल को वही नहीं सुरक्षित रख सका। शायद इसका एक कारण यह रहा हो कि पानी धरती पर प्रचुर मात्रा में उपलब्ध था। लिहाजा पानी के प्रति मानव के गैर जिम्मेदाराना व्यवहार ने जल स्नोतों के खात्मे का रास्ता बना दिया। पानी की मात्रा और गुणवत्ता दोनों में गिरावट शुरू हो गई। अब वह स्थिति आ गई है जब एक बूंद पानी भी खास हो गया है। खैर ‘देर आए दुरुस्त आए’ कहावत पर अमल करते हुए अभी भी समय है। एक-एक बूंद बचाने के लिए बारिश के रूप में प्रकृति द्वारा दिए जाने वाले जल का संचय शुरू कर दें।
पुरानी रीति
भारत में वर्षा जल का संग्र्रह और भविष्य की जरूरतों के लिए उसके संरक्षण पर सदियों से अमल किया जा रहा है। हमारी परंपरागत रेन वाटर हार्वेस्टिंग तकनीक उस जमाने में न केवल ज्ञान और कौशल का परिचायक थी बल्कि जल प्रबंधन प्रणाली के जरिए जल संरक्षण हमारी मुख्य चिंताओं में शामिल था। परंपरागत रूप से देश में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम के तहत बावड़ी, स्टेप वेल, झिरी, लेक, टैंक आदि का इस्तेमाल किया जाता रहा है। ये सब ऐसे जल संग्र्रह निकाय हैं जिनके द्वारा घरेलू और सिंचाई जरूरतों को पूरा किया जाता था। ऐसे जल स्नोतों के रखरखाव खुद लोगों द्वारा किया जाता था जिससे पानी के सर्वाधिक उपयोग द्वारा जरूरतों को पूरा किया जाता था।
रेन वाटर हार्वेस्टिंग
सतह के रिसाव से भू जल का स्तर प्राकृतिक रूप से रिचार्ज होता रहता है। आधुनिक दौर में अंधाधुंध विकास और तेजी से होते शहरीकरण से धरती का ज्यादातर हिस्सा पक्का (कंक्रीट) हो गया है। इसके चलते बारिश का जल स्वत: रिसकर धरती की कोख तक नहीं पहुंच पाता। भू जल का दोहन और बढ़ गया है लिहाजा रिचार्ज न होने की स्थिति में भू जल स्तर में लगातार गिरावट आ रही है। रेन वाटर हार्वेस्टिंग के तहत हम कृत्रिम तरीके से इन बारिश के पानी को धरती के अंदर पहुंचाते हैं जिससे हमारा भू जल भंडार ऊपर उठता है। गांवों और शहरों में बारिश के पानी को बहकर बेकार होने से रोककर उसे घरेलू जरूरतों और सिंचाई आदि में इस्तेमाल करना रेन वाटर हार्वेस्टिंग कहलाता है।
जरूरी प्रक्रिया
’गिरते भू जल स्तर को रोकने और उसे बढ़ाने में सहायक
’धरती के जलवाही स्तर (एक्वीफर्स) के जल की गुणवत्ता में वृद्धिकारक
’मृदा अपरदन (भूमि कटाव) रोकने
में कारगर
’मानसूनी बारिश के पानी का संरक्षण
’जल संरक्षण की संस्कृति को लोगों के मन-मस्तिष्क में बैठाने में सहायक
तरीका
मुख्यतया इसके दो तरीके हैं।
सरफेस रनऑफ हार्वेस्टिंग: शहरी क्षेत्रों में सतह के माध्यम से पानी बहकर बेकार हो जाता है। इस बहते जल को एकत्र करके कई माध्यम से धरती के जलवाही स्तर को रिचार्ज किया जाता है।
रूफ टॉप रेनवाटर हार्वेस्टिंग: इस प्रणाली के तहत बारिश का पानी जहां गिरता है वहीं उसे एकत्र कर लिया जाता है। रूफ टॉप हार्वेस्टिंग में घर की छत ही कैचमेंट क्षेत्र का काम करती है। बारिश के पानी को घर की छत पर ही एकत्र किया जाता है। इस पानी को या तो टैंक में संग्र्रह किया जाता है या फिर इसे कृत्रिम रिचार्ज प्रणाली में भेजा जाता है। यह तरीका कम खर्चीला और अधिक प्रभावकारी है।
ऐसे करें रूफ टॉप हार्वेस्टिंग: वह सतह जहां बारिश का पानी सीधे गिरता है उसे रेनवाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम का कैचमेंट कहते हैं। यह किसी मकान की छत, आंगन या कच्चा या पक्का खुली सतह भी हो सकती है।
ट्रांसपोर्टेशन: छत के पानी को पाइपों के माध्यम से नीचे स्टोरेज/ हार्वेस्टिंग सिस्टम तक पहुंचाया जाता है।
फस्र्ट फ्लश: यह पहली बारिश के पानी को बाहर निकालने वाला उपकरण होता है। पहली बारिश में वायुमंडल और छत के प्रदूषक तत्व मौजूद हो सकते हैं। इसलिए इस पानी को बाहर निकालना होता है।
फिल्टर: रूफ टॉप हार्वेस्टिंग सिस्टम में यह शंका उठती है कि कहीं बारिश का पानी भू जल को प्रदूषित न कर दें। लिहाजा इससे बचने के लिए फिल्टर का इस्तेमाल किया जाता है। पहली बार होने वाली बारिश के पानी को बाहर निकालने के बाद के होने वाली सभी बारिश के पानी को छानने के लिए फिल्टर का प्रयोग किया जाता है।
ऐसे करें हार्वेस्टिंग
छत के पानी को पाइपों के सहारे स्टोरेज टैंक में ले जाया जाता है। सभी पाइप के प्रवेश द्वार पर पतले तार की जाली लगी होती है। इसके बाद इसमें फ्लश डिवाइस और फिल्टर जुड़े होते हैं। सभी स्टोरेज टैंक में ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए जिससे पानी अधिक होने पर उसे रिचार्ज सिस्टम तक पहुंचाया जा सके। स्टोरेज टैंक के पानी का इस्तेमाल द्वितीयक उद्देश्यों की पूर्ति (कपड़े धोने या पौधों को पानी देने) के लिए किया जा सकता है।
साड़ी से वर्षा जल संचय
कर्नाटक के उडुपी जिले में महिलाएं बारिश के पानी के सहेजने के लिए अपनी साड़ी का इस्तेमाल करती हैं। यह साड़ी एक तरीके से पानी का कैचमेंट एरिया की तरह काम करती है। इससे न केवल पानी का शुद्धीकरण होता है बल्कि यह बेहद आसान प्रणाली भी है। इससे बिना एक धेला निवेश किए ये महिलाएं अपनी रोजाना पानी की जरूरत वर्षा जल के रूप में संचित करती हैं। यहां बढ़ते जल संकट के चलते लोगों ने यह तकनीक ईजाद की। इस पद्धति का इस्तेमाल पड़ोसी राज्य केरल में भी किया जाता है।
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