Menu
blogid : 4582 postid : 202

बदल सकता है निजाम!

मुद्दा
मुद्दा
  • 442 Posts
  • 263 Comments

Pr. Ghosh-प्रो.साधन कुमार घोष

(यादवपुर विश्वविद्यालय के सेंटर फार क्वालिटी मैनेजमेंट सिस्टम के प्रमुख एवं राजनीतिक विश्लेषक)

बंगाल विधानसभा चुनाव प्रदेश ही नहीं देश की राजनीति का ‘टर्निंग प्वाइंट’ साबित हो सकता है। मुद्दे वही हैं, लेकिन इनकी शक्ल बदली है। बदलाव की बयार महसूस की जा रही है, तो सत्ता से नाराजगी का फैक्टर पहली बार प्रभावी दिख रहा है। राजनीतिक हिंसा अलग तरह का कारक बनकर सामने खड़ी है। भ्रष्टाचार और महंगाई जैसे देशव्यापी मुद्दे यहां भी जरूर हैं, किन्तु स्थानीय मुद्दे इनसे भारी दिखाई पड़ रहे हैं।

चुनाव में एक तरफ वाम सरकार के 35 वर्षों का शासन है, तो दूसरी तरफ तृणमूल अध्यक्ष ममता बनर्जी द्वारा सत्ता परिवर्तन पर दिखाए जाने वाले सपने हैं। इन्हीं दो विकल्पों में मतदाताओं को अपने लिए एक का चयन करना है। कभी देश में नवजागरण लाने के लिए जाना जाने वाला बंगाल आज कहां है? ममता इस पर ही मूल रूप से प्रकाश डाल रही हैं। पर, सर्वहारा सरकार के मुखिया बुद्धदेव भट्टाचार्य के पास यह कहने के लिए नहीं है कि उन्होंने राज्य का कायाकल्प कर दिया। स्वास्थ्य, शिक्षा, प्रशासन से लेकर साहित्य में भी माकपाकरण के आरोप लगाए जा रहे हैं। लगभग एक करोड़ बेकारों की संख्या सच बताने को पर्याप्त है।

सिंगुर व नंदीग्राम में जो विकास की धारा वाम सरकार बहाना चाहती थी, वह तो ममता ने रोक दी। पर, उसका क्या, जो पिछले 35 वर्षों में लगभग 56 हजार छोटे-बड़े कल-कारखाने बंद हो गए। सरकार सांप्रदायिक शांति, भूमि सुधार व आमलोगों को अधिकार देने के लिए पंचायत विकेन्द्रीकरण की सफलता को चुनावी मुद्दा बना रही है। आइटी क्षेत्र में तरक्की, 50 हजार नए शिक्षकों की नियुक्ति जैसी उपलब्धियों को भी गिना रही है। वैसे, औद्योगिक पिछड़ेपन के साथ ही पेयजल, बिजली और सड़कों का मुद्दा वाम मोर्चे को परेशान कर सकता है। राजनीतिक हिंसा रोकने व सुशासन पर विपक्षी दल जोर दे रहे हैं। रेल सहित मेट्रो रेल विस्तार को तृणमूल भुना रही है, तो पहली बार मतदाता बने 12 लाख युवाओं को देख माकपा उत्साहित है। लेकिन, कांग्रेस-तृणमूल का चुनावी जोट वाम मोर्चे की चिंता का अहम कारण है।

west bengalक्षत्रप

वाम मोर्चा: सीपीएम के नेतृत्व वाला गठबंधन मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य की अगुआई में चुनाव मैदान में उतरेगा.

तृणमूल-कांग्र्रेस गठबंधन: सहयोगी दल कांग्र्रेस के साथ तृणमूल मुखिया ममता बनर्जी वाम दलों के इस गढ़ को भेदने की जुगत में हैं.

मौजूदा गठबंधन: वाम मोर्चा: सीपीएम, सीपीआइ, एआइएफबी, सीपीआइ (एमएल) (एल), आरएसपी, तृणमूल कांग्रेस- कांग्रेस.

प्रमुख चुनावी मुद्दे: वाम दल जहां महंगाई, संप्रग सरकार पर भ्रष्टाचार और ममता के तृणमूल का माओवादियों के सहयोग करने को मुद्दा बना सकते हैं वहीं विपक्षी सरकार के निरंकुश शासन, जंगलमहल इलाके में हरमद कैंप और राजरहाट, नंदीग्र्राम व सिंगुर में जबरदस्ती भूमि अधिग्र्रहण मामलों को उठा सकते हैं ।

रकबा: 88752 वर्ग किमी
आबादी: 3,87,10,212 (देश की कुल आबादी में 7.79 फीसदी हिस्सेदारी) 2001 की जनगणना के अनुसार
लिंगानुपात: 934
जनसंख्या घनत्व: 903 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी
साक्षरता दर: 68.64
छात्र शिक्षक अनुपात: 62
शिशु मृत्युदर: 38
प्रति व्यक्ति आय: 20,595 रुपये
गरीबी रेखा से नीचे कुल आबादी: 27.02 फीसदी

06 मार्च को प्रकाशित मुद्दा से संबद्ध आलेख “बह रही बदलाव की बयार!” पढ़ने के लिए क्लिक करें

06 मार्च को प्रकाशित मुद्दा से संबद्ध आलेख “द्रमुक की कठिन डगर” पढ़ने के लिए क्लिक करें

06 मार्च को प्रकाशित मुद्दा से संबद्ध आलेख “पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में भ्रष्टाचार और महंगाई के मुद्दे” पढ़ने के लिए क्लिक करें

साभार : दैनिक जागरण 06 मार्च 2011 (रविवार)
मुद्दा से संबद्ध आलेख दैनिक जागरण के सभी संस्करणों में हर रविवार को प्रकाशित किए जाते हैं.

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh