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अर्थव्यवस्था
बॉलीवुड का बोलबाला
यदि साल 2011 कॉमेडी, जीवनवृत्ता और प्रयोगधर्मी सिनेमा का साक्षी रहा तो इस साल कुछ एक्शन मसाला फिल्में परदे पर दिख सकती हैं। इस साल दर्शकों को रुपहले पर्दे पर सीक्वेल फिल्मों की बाढ़ भी देखने को मिलेगी। कुल मिलाकर मनोरंजन जगत हर दृष्टि से आपका ध्यान रखने को तैयार खड़ा दिखता है। साल की शुरुआत फिल्म ‘प्लेयर्स’ के रिलीज होने से होगी। अब्बास मस्तान की यह मल्टी स्टारर फिल्म छह जनवरी को रिलीज होगी। पिता बनने के बाद जूनियर बच्चन की यह पहली फिल्म रिलीज होने जा रही है। देखना दिलचस्प होगी कि बिग बेबी अभिषेक की इस फिल्म के लिए कितनी लकी साबित होती है। जनवरी महीने में ही चर्चित अभिनेत्री विद्या बालन की फिल्म ‘कहानी’ और करण जौहर की फिल्म अग्निपथ रिलीज होगी। गणतंत्र दिवस पर रिलीज हो रही अग्निपथ को अमिताभ बच्चन की इसी नाम की फिल्म का आधुनिक संस्करण बताया जा रहा है। ऋतिक रोशन और प्रियंका चोपड़ा की मुख्य भूमिका से सजी इस फिल्म में कट्रीना पर फिल्माया गाना चिकनी चमेली पहले से ही लोगों की जुबां पर चढ़ चुका है। फरवरी में इमरान खान और करीना की फिल्म ‘एक मै और एक तू’ रिलीज होगी। मार्च में ब्लडमनी, अप्रैल में हाउसफुल-2, जून महीने में रोडी राठौड़ रिलीज हो सकती हैं। जुलाई में बोल बच्चन के साथ रोहित शेट्टी एक बार फिल्म धमाल कर सकते हैं। अगस्त में निर्देशक विक्रम भ˜ राज-3 को नए अवतार में पेश करेंगे। 3 डी में बनी इस फिल्म में इमरान हाशमी मुख्य भूमिका निभा रहे हैं। नवंबर में अब्बास मस्तान अपनी एक्शन थ्रिलर फिल्म रेस का सीक्वेल ‘रेस-2’ के साथ हाजिर होंगे। दिसंबर में सलमान खान ब्लॉकबस्टर फिल्म दबंग की सीक्वेल ‘दबंग-2’ में एक्शन दिखाते नजर आएंगे.
अरब जगत
पिछले साल अरब जगत में बदलाव की आंधी में ट्यूनीशिया, मिस्र, लीबिया और यमन में सत्तासीन तानाशाहों की सत्ता धूल धूसरित हो गई। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह साल सीरिया के शासक बशर-अल-असद के शासन का अंतिम वर्ष है। यद्यपि अंतरराष्ट्रीय जगत में यह भी चिंता सताने लगी है कि जिन देशों में तानाशाही का अंत हुआ है वहां इस्लामिक पार्टियों को अच्छा समर्थन मिल रहा है। मिस्र में होस्नी मुबारक की सत्ता से विदाई के बाद कट्टरपंथी सलाफी को अच्छा समर्थन मिला। इराक से अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद शिया और सुन्नी के बीच वैमनस्य बढ़ सकता है।
उपभोक्ता खर्च
महंगाई और घर से लेकर कार तक के ऋणों पर उच्च ब्याजदरों ने लोगों की मनचाही वस्तुओं की खरीदारी पर अंकुश लगा रखा है। अभी वे मन मसोसकर जरूरी चीज भी खरीदने से परहेज कर रहे हैं और अपनी गाढ़ी कमाई को बुरे दिन के लिए संभाल कर रख रहे हैं। इंडस्ट्री के विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले दिनों में परिस्थितियां बदलने जा रही हैं। लोग इलेक्ट्रॉनिक्स, कपड़े और एसेसरीज की खरीदारी से खुद को ज्यादा दिन नहीं रोक पाएंगे। इस उपभोक्तावाद के बढ़ने के पीछे सबसे मजबूत कारण हमारे पास एक बड़े मध्यवर्ग को बताया जा रहा है। 40 करोड़ से अधिक आबादी वाला एक मजबूत मध्यवर्ग और एक युवा देश जहां कि दो तिहाई आबादी की आयु अभी 35 साल से कम है। ये दोनों कारक खपत को बढ़ाने में अहम भूमिका निभाने जा रहे हैं। साल में कई बार छुट्टियां मनाने जाने वाले भारतीयों की संख्या बढ़ रही है। सप्ताहांत पर भी सैर सपाटे पर जाने वाले भारतीय परिवारों की प्रवृत्तिमें इजाफा दिख रहा है। जानकारों का मानना है कि दबाव वाली इस परिस्थिति के बदलते ही उपभोक्ताओं के खर्च में बढ़ोतरी देखी जा सकेगी।
टेक्नोलॉजी पूर्वानुमान
इस साल एपल नया टीवी सेट लांच करेगी। अमेजन ने वर्ष 2011 के अंत में अमेरिकी बाजार में किंडल फायर को लांच किया है। इस साल के अंत तक इसके नए संस्करण को अमेरिका के बाहर अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी लांच किया जा सकता है। बहुप्रतीक्षित इंटरनेट से जुड़े टीवी सेट टॉप बॉक्स यू-व्यू बाजार में आएगा। सोशल नेटवर्क की दुनिया में फेसबुक और ट्विटर का प्रभुत्व बना रहेगा। गूगल प्लस भी अपनी मजबूत उपस्थिति देगा। वह शीर्ष स्थान पर काबिज फेसबुक को पीछे करने की हर कोशिश कर सकता है। गूगल क्रोम की धमक बरकरार रहेगी और वह साल का लोकप्रिय वेब ब्राउजर बन सकता है।
चुनावी साल
ऑनलाइन कारोबार
देश में इंटरनेट उपभोक्ताओं की संख्या 10 करोड़ तक पहुंचने में 15 साल से अधिक का समय लग गया। अब यह बड़े विस्तार की ओर उन्मुख है। इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया से लेकर बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप तक कई संस्थाओं द्वारा किए गए आकलन के अनुसार अगले तीन साल में देश की इंटरनेट इकोनॉमी में यूजर संख्या 30 करोड़ तक पहुंच सकती है। इस क्षेत्र में दिनोंदिन निवेश बढ़ रहा है। गत साल इस क्षेत्र में 35 करोड़ डॉलर का निवेश किया गया जबकि 300 करोड़ डॉलर का ऑनलाइन कारोबार हुआ। लोगों का ऑनलाइन खरीदारी की तरफ रुझान बढ़ रहा है। आज 12-15 फीसदी खरीदारी इसी माध्यम से की जा रही है। ऑनलाइन खरीदारी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 2002 में जब भारतीय रेलवे ने ऑनलाइन टिकटों की बिक्री शुरु की तो पहले दिन महज 27 टिकट ही खरीदे गए। आज आइआरसीटीसी की वेबसाइट से रोजाना चार लाख टिकट बुक किए जा रहे हैं। इतना ही नहीं, इंटरनेट रजिस्ट्री संस्था वेरीसाइन के अनुसार 26 लाख डॉट इन और डॉट कॉम कंपनियां देश से बाहर पंजीकृत हैं।
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साभार : दैनिक जागरण 01 जनवरी 2012 (रविवार)
नोट – मुद्दा से संबद्ध आलेख दैनिक जागरण के सभी संस्करणों में हर रविवार को प्रकाशित किए जाते हैं.
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