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तकनीकी रूप से बूंदों के रूप में संघनित जलवाष्प के बादल को कोहरा कहा जाता है। यह वायुमंडल में जमीन की सतह के थोड़ा ऊपर ही फैला रहता है। किसी घने कोहरे में दृश्यता एक किमी से भी कम हो जाती है। इससे अधिक दूरी पर स्थिति चीजें धुंधली दिखाई पड़ने लगती हैं।
ड्यू प्वाइंट
तापमान की वह अवस्था जिस पर हवा में मौजूद जल वाष्प संतृप्त होकर संघनित होना शुरू करती है। हवा में जलवाष्प की कुछ मात्रा मौजूद रहती है जिसे आर्द्रता या नमी कहा जाता है। हवा में जलवाष्प की यह मात्रा ताप और वायुदाब पर निर्भर करती है। एक निश्चित वायुदाब और ताप पर हवा में मौजूद जलवाष्प की मात्रा निर्धारित होती है।
कैसे बनता है कोहरा
सापेक्षिक आर्द्रता शत प्रतिशत होने पर हवा में जलवाष्प की मात्रा स्थिर हो जाती है। इससे अतिरिक्त जलवाष्प के शामिल होने से या तापमान के कम होने से संघनन शुरू हो जाता है। जलवाष्प से संघनित छोटी पानी की बूंदे वायुमंडल में कोहरे के रूप में फैल जाती हैं।
अन्य प्रभाव
केवल आर्द्रता, ताप और दाब ही कोहरे के निर्माण के लिए काफी नहीं होते हैं। जैसा कि हम जानते हैं कि गैस से द्रव में बदलने के लिए पानी को गैसरहित सतह की जरूरत होती है। और यह सतह इनको मिलती है पानी के एक बूंद के सौवें भाग से। इन शूक्ष्म हिस्सों को संघनन न्यूक्लियाई या क्लाउड सीड कहते हैं। धूल मिट्टी, एरोसाल और तमाम प्रदूषक तत्व मिलकर संघनन न्यूक्लियाई या क्लाउड सीड का निर्माण करते हैं। यदि वायुमंडल में ये शूक्ष्म कण बड़ी संख्या में मौजूद होते हैं तो सापेक्षिक आर्द्रता 100 फीसदी से कम होने के बावजूद जलवाष्प का संघनन होना शुरू हो जाता है।
उत्तर भारत में कोहरे की चादर
दिल्ली, उत्तरी हरियाणा, दक्षिणी पंजाब, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और उत्तरी बिहार देश के सबसे कोहरा प्रभावित क्षेत्र हैं। इन क्षेत्रों में प्रदूषण, भू प्रयोग तरीके और कोहरे की आवृत्ति में सीधा संबंध स्पष्ट दिखाई देता है। दिल्ली जैसे शहरी परिवेश में हवा के अंदर भारी मात्रा में प्रदूषक तत्व संघनन के बाद जलवाष्प को कोहरा निर्माण के लिए प्रचुर सतह मुहैया कराते हैं। वहीं ग्रामीण इलाकों में खेतों की सिंचाई कोहरे के लिए जरूरत से ज्यादा नमी उपलब्ध कराती है। भौगोलिक और मौसमीय दशाओं के अलावा इलाके में भारी प्रदूषण कोहरे और धुंध के लिए सहायक साबित होता है।
बदलता मिजाज
साल दर साल कोहरे के दिनों की संख्या के साथ इसका घनापन भी बढ़ रहा है।
* 80 के दशक की जनवरी में प्रतिदिन घने कोहरे का औसत समय: 30 मिनट
* 1995 में औसत समय: 1 घंटा
* 1995 के बाद से प्रतिदिन घने कोहरे का औसत समय: 2-3 घंटा
* 1965 से उत्तर भारत के सिंचित क्षेत्र में इजाफा: 20 गुना
समुद्रीय कोहरा क्या है
तटीय वायुमंडल में लवणीय कणों की मौजूदगी से बनता है समुद्रीय कोहरा। समुद्र में तेजी से आती लहरें इसके तटीय इलाकों में लवण के कणों का घनत्व बढ़ा देती हैं। 70 फीसदी नमी पर भी इन कणों का संघनन शुरू हो जाता है।
सबसे अधिक कोहरे वाला क्षेत्र
कनाडा के न्यूफाउंडलैंड के दक्षिण-पश्चिम में द ग्रांड बैंक इलाके को सर्वाधिक कोहरे से प्रभावित क्षेत्र माना जाता है। गल्फ स्ट्रीम की गर्म धारा और लैब्राडोर की ठंडी धारा से निकली हवा के मिलने के परिणाम स्वरुप यहां घना कोहरा छाया रहता है। अर्जेटीना , कनाडा के न्यूफाउंडलैंड और लैब्राडोर और कैलीफोर्निया का प्वाइंट रेज इलाकों में साल के 200 दिन घने कोहरे वाले होते हैं।
जनमत
क्या दिनों दिन बढ़ते कोहरे के लिए हम लोग भी जिम्मेदार हैं?
हां: 82%
नहीं: 18%
क्या कोहरे से निपटने में सक्षम तंत्र विकसित करने के प्रति सरकार का रवैया उचित है?
हां: 83%
नहीं: 17%
आपकी आवाज
लगता है सरकार को भारी जान-माल का नुकसान मंजूर है लेकिन वह कोहरे से निपटने में सक्षम तंत्र को विकसित नहीं करना चाहती. – नारायण दत्त
हम लोग ही जिम्मेदार हैं और हमें ही इसके दुष्परिणामों को भुगतने के लिए तैयार रहना होगा. – दूबे
27 नवंबर को प्रकाशित मुद्दा से संबद्ध आलेख “कोहरे का बढ़ता कहर” पढ़ने के लिए क्लिक करें.
साभार : दैनिक जागरण 27 नवंबर 2011 (रविवार)
नोट – मुद्दा से संबद्ध आलेख दैनिक जागरण के सभी संस्करणों में हर रविवार को प्रकाशित किए जाते हैं.
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