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संसदीय कार्यवाही किसी भी लोकतंत्र की साख का प्रतीक है। इस कार्यवाही द्वारा देश और आम नागरिक के हित में नीतियों एवं कानूनों का सूत्रपात किया जाता है। इसके लिए दोनों सदनों में किसी भी मसले पर स्वस्थ बहस करने का प्रावधान है। आंकड़ें गवाह है कि इन दिनों संसदीय बहसों की न केवल समयावधि कम हुई है बल्कि बहस के दौरान सदस्यों का आचरण भी हैरान कर देने वाला रहा है। इससे कहीं न कहीं संसद की साख को बट्टा लगता है। बतौर नमूना पेश है संसद के गत शीतकालीन सत्र का ब्योरा:
निष्क्रिय शीतकालीन सत्र
जो होना था:
-संसद का यह सत्र नौ नवंबर 2010 से 14 दिसंबर 2010 तक चला।
-इस सत्र के दौरान कुल 23 बैठकों में 138 घंटे संसदीय कामकाज के लिए तय किए गए थे।
बिल पेश किए जाने थे– 36
बिल पारित किए जाने थे– 35
जो हुआ
लोकसभा में हुए कुल कामकाज की अवधि- 7 घंटे 37 मिनट
निर्धारित समय में से लोकसभा में कार्यवाही की हिस्सेदारी- 5.5 फीसदी
बिल पेश किए गए– 13
लोकसभा में दो मिनट के अंदर पारित होने वाले विनियोग बिल की संख्या- 4
राज्यसभा में हुए कामकाज की अवधि- 2 घंटे 44 मिनट
उपलब्ध समय में से राज्यसभा में कार्यवाही की हिस्सेदारी- 2.4 फीसदी
बिल ही पारित हो सके– 4
राज्यसभा में बिना बहस के पारित होने वाले विनियोग बिल की संख्या- 4
पूरे सत्र के दौरान एक महीने से अधिक चले हंगामे की भेंट चढ़े संसद की कार्यवाही का मौद्रिक मूल्य- 172 करोड़ रुपये
-लोकसभा सदस्यों के निजी बिल पर नहीं हो सकी बहस
-लोकसभा में दो बार ही प्रश्नकाल चल सका। इसमें 480 तारांकित प्रश्नों में से केवल चार के जवाब दिए जा सके। 476 प्रश्नों के लिखित जवाब देने के लिए चिज्जित या गया।
– राज्यसभा में किसी प्रश्न का मौखिक जवाब नहीं दिया गया।
घटती बैठकें
साल – संख्या
1953 – 137
1956 – 151
1963 – 122
1973 – 120
1976 – 98
1985 – 109
1999 – 51
2008 – 50 से कम
बढ़ता खर्च (रुपये में)(प्रति मिनट लोकसभा की कार्यवाही पर होने वाला खर्च)
2006-07 : 22,089
2007-08 : 24,632
2008-09 : 26,000
बर्बाद समय
11वीं – 5.28
12वीं – 10.66
13वीं – 18.96
14वीं – 21.00
* ऐसे सत्र जिसमें लोकसभा पांच दिन से कम बैठी हो, इन आंकड़ों में नहीं शामिल किया गया है।
31 जुलाई को प्रकाशित मुद्दा से संबद्ध आलेख “खास है यह मानसून सत्र” पढ़ने के लिए क्लिक करें.
31 जुलाई को प्रकाशित मुद्दा से संबद्ध आलेख “संसद भवन का इतिहास” पढ़ने के लिए क्लिक करें.
31 जुलाई को प्रकाशित मुद्दा से संबद्ध आलेख “संसदीय गरिमा का सवाल!” पढ़ने के लिए क्लिक करें.
साभार : दैनिक जागरण 31 जुलाई 2011 (रविवार)
नोट – मुद्दा से संबद्ध आलेख दैनिक जागरण के सभी संस्करणों में हर रविवार को प्रकाशित किए जाते हैं.
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