Menu
blogid : 4582 postid : 2370

अनशन का अस्त्र

मुद्दा
मुद्दा
  • 442 Posts
  • 263 Comments

अनशन का अस्त्र

व्यवस्था परिवर्तन के लिए समय-समय पर बड़े आंदोलन चलते रहे हैं। इन आंदोलनों में व्यवस्था के खिलाफ रोष प्रकट करने का अपना तरीका रहा है। इतिहास गवाह है कि कई जनहित वाले कार्यों और नीतियों को लागू कराने के लिए इन तरीकों को अपनाया गया। विरोध दर्ज कराने के ऐसे ही प्रमुख तरीकों पर एक नजर


क्या है विरोध

किसी स्थिति, हालात या घटनाक्रम पर तीखी प्रतिक्रिया विरोध कहलाती है। सामान्यतया अब विरोध शब्द का प्रयोग किसी चीज के खिलाफ प्रतिक्रिया के लिए किया जाता है। पहले इस शब्द का मतलब किसी चीज के लिए प्रतिक्रिया करने से भी लगाया जाता था। विरोध दर्ज कराने के लिए प्रदर्शनकारी सार्वजनिक रूप में एक धरने का आयोजन करते हैैं। जनता की राय या सरकारी नीतियों को प्रभावित करने के प्रयास में ये लोग मजबूती से अपनी बात रखते हैैं। ये लोग मनोवांछित बदलाव के लिए सीधे अपने कदम भी उठा सकते है।


विरोध के तरीके

जन प्रदर्शन या राजनीतिक रैली: इस अहिंसक विरोध के तरीके में विरोध मार्च किया जाता है। इसके अलावा घटनास्थल पर लोगों द्वारा एकत्र होकर धरना देना भी एक तरीका है। हाथ में झंडे, बैनर इत्यादि लेकर सड़कों पर मार्च करना, झंडे बैनर को शरीर में लपेट कर जमीन पर लेट जाना भी इसके तरीकों में शामिल है। पश्चिमी देशों में विरोध गीत और दक्षिण अफ्रीकी देशों में एक खास तरह का नृत्य विरोध दर्ज कराने के सशक्त तरीकों में शुमार किए जाते है।


लिखित प्रदर्शन: जनहित के मुद्दों के लिए लिखित आवेदन, पत्र, याचिका मंगाना भी विरोध का एक तरीका है। लिखित प्रदर्शन वाले माध्यमों की बड़ी संख्या राजनीतिक सत्ता पर दबाव बनाने में कारगर होती है।


सविनय अवज्ञा प्रदर्शन: सरकार के नियम कानूनों की अवज्ञा करके विरोध दर्ज करने के तरीके सविनय अवज्ञा आंदोलन या सिविल नाफरमानी की श्रेणी में आते है।


ऑनलाइन तरीके: अब लोग ऑनलाइन अपने विरोध और शिकायतों को दर्ज कराते हैैं। इसके द्वारा अपने विचारों, भावों और खबरों को दुनिया भर में शीघ्रता से पहुंचाया जा सकता है।


भूख हड़ताल

अहिंसक विरोध या दबाव का यह एक तरीका है। इसमें शामिल लोग राजनीतिक विरोध या दूसरों में अपराध की भावना को बलवती करने के लिए उपवास रखते है। सामान्यतया अनशन के इस अस्त्र का प्रयोग किसी खास लक्ष्य की प्राप्ति जैसे सरकारी नीतियों में बदलाव के लिए किया जाता है। अधिकांश भूख हड़तालों में शामिल लोग केवल तरल पदार्थों का उपयोग करते है। खाद्य पदार्थों का सेवन न करने से कभी-कभी यह अनशन आत्मघाती भी साबित होता है।


इतिहास:

परदेस: ईसा से पहले आयरलैड में अन्याय के प्रति विरोध दर्ज कराने के लिए उपवास रखा जाता था। यह विरोध अन्याय करने वाले के दरवाजे पर किया जाता था।


देश: भूख हड़ताल का जिक्र ईसा से 400-750 साल पहले मिलता है। वाल्मीकि रामायण के अनुसार वनवास पर गए मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम को वापस अयोध्या लाने के लिए भरत वन जाते है। वहां अपने बड़े भइया राम से वापस लौटने के लिए बहुत अनुनय विनय करते हैैं लेकिन श्रीराम इस प्रस्ताव को स्वीकार नहीं करते है। अंत में भरत भूख हड़ताल करने की ठानते हैैं जिसे राम ब्राह्मणों का कार्य बताकर उन्हें ऐसा करने से रोकते है।

………………………………………………………


महत्वपूर्ण क्रांतियां

अरब क्रांति (2010…)

अरब जगत के कई मुल्कों में लंबे समय से व्याप्त तानाशाही, भ्रष्टाचार के खिलाफ लोकतंत्र की गूंज के साथ ट्यूनीशिया से परिवर्तन की बयार चली। इस आंधी के सामने देखते ही देखते वर्षों से सत्ता में काबिज कई हुक्मरानों की सत्ता ताश के पत्तों की तरह ढह गई। अब तक ट्यूनीशिया, मिस्र, लीबिया और यमन में सत्ता परिवर्तन हो चुका है और सीरिया, बहरीन जैसे देशों में नागरिक आंदोलन निर्णायक मुहाने पर है।


ट्यलिप क्रांति (2005)

किरगिस्तान में 1990 से सत्तासीन राष्ट्रपति अस्कर अकायेव के खिलाफ भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद के आरोपों के खिलाफ जनआक्रोश भड़क उठा। राष्ट्रपति को देश छोड़कर भागना पड़ा


सेडार क्रांति (2005)

लेबनान में विपक्षी नेता रफीक हरीरी की हत्या और देश में सीरियाई सेना की मौजूदगी से सरकार के खिलाफ जनआंदोलन हुआ। लिहाजा सीरियाई सेना  और इसकी समर्थक सरकार को सत्ता से हटना पड़ा


ऑरेंज क्रांति (2004)

यूक्रेन के राष्ट्रपति पद के चुनाव में दूसरे दौर की मतगणना में गड़बड़ी कर प्रधानमंत्री विक्टर यानुकोविच को विजेता घोषित कर दिया गया। जनता ने इसके खिलाफ देशव्यापी प्रदर्शन किया लिहाजा दोबारा मतगणना कराई गई और स्वतंत्र उम्मीदवार विक्टर यूशचेंको राष्ट्रपति पद के लिए निर्वाचित हुए


रोज क्रांति (2003)

जॉर्जिया के आम संसदीय चुनावों में सरकार द्वारा धोखाधड़ी करके जीत हासिल करने के गंभीर आरोप लगे। विरोधस्वरूप जनता सड़कों पर उतर आई और राष्ट्रपति एडवर्ड के इस्तीफे की मांग पर अड़ गई। देशव्यापी धरना प्रदर्शनों के कारण राष्ट्रपति को पद छोड़ना पड़ा

असफल आंदोलन

रेड शर्ट आंदोलन (2010)

संसद को भंग करने और सरकार से जल्द चुनाव कराने की मांग को लेकर बैंकाक (थाईलैंड) में करीब चार महीनों तक आंदोलनकारियों ने प्रदर्शन किया। हिंसक रूप धारण करने के बाद सैन्य हस्तक्षेप के जरिए आंदोलन को खत्म करवाया गया


जींस या डेनिम क्रांति (2006)

बेलारूस में 1994 से सत्ता पर काबिज राष्ट्रपति अलेक्जेंडर लुकाशेंको के खिलाफ इस क्रांति को वहां के छात्र समूह जुब्र ने यह नाम दिया था। दरअसल ब्लू रंग की जींस को स्वतंत्रता का वाहक माना जाता है। आंदोलनकारियों ने जींस को फीते की तरह काटकर सार्वजनिक जगहों पर इसको प्रदर्शित किया


ऐतिहासिक क्रांति

चीनी क्रांति (1949)

चांग काई शेक के नेतृत्व वाली नेशनलिस्ट पार्टी और माओत्से तुंग की कम्युनिस्ट पार्टी की सेनाओं के बीच लंबे गृह युद्ध के बाद कम्युनिस्टों की जीत हुई। माओ ने पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना की घोषणा की।


रूसी क्रांति (1917)

उस साल रूस में हुए आंदोलनों की सीरीज के लिए इस शब्द का इस्तेमाल किया जाता है। इसके परिणामस्वरूप रूस में जार शासन का अंत हुआ और सोवियत संघ का दुनिया के नक्शे पर उदय हुआ।


पहला भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष (1857)

10 मई को मेरठ से देश के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की रणभेरी बजी। अंग्रेजों के खिलाफ यह पहला भारतीय प्रतिरोध था जो संगठित तौर पर लड़ा गया था। इसके प्रचार-प्रसार में प्रतीक चिन्ह के रूप में लाल कमल और चपाती को अपनाया गया। बगावत के शुरू होने और इसके प्रसार की सूचना आंदोलनकारियों द्वारा प्रतीक चिन्हों के रूप में दी जाती थी जिसका मतलब था कि विद्रोह का बिगुल बज चुका है। हालांकि तात्कालिक रूप से अंग्रेजों ने इस पर काबू पा लिया लेकिन बगावत के सुर को दबाया नहीं जा सका और कालांतर में यह तीव्र होता चला गया।


फ्रांसीसी क्रांति (1789-1799)

दुनिया में सबसे अधिक सामाजिक-राजनीतिक बदलाव लाने वाली यह क्रांति फ्रांस में हुई। इसने सदियों से राजशाही, कुलीन तंत्र को ध्वस्त कर स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व का नारा देते हुए यूरोप समेत पूरी दुनिया को प्रभावित किया।


Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh