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आम आदमी को ‘मैंगो पीपुल’ कहने वाली कांग्रेस को देश का आम आदमी माफ नहीं करेगा। पिछले नौ साल के दौरान महंगाई और भ्रष्टाचार संप्रग सरकार की पहचान बनी है। मजदूर किसान एवं नौजवान सभी परेशान हैं। प्रधानमंत्री पद पर हैं लेकिन सत्ता में नहीं हैं। इसी राजनीतिक सच्चाई के कारण देश की कोई दिशा नहीं है। नौ साल में इसकी दुर्दशा-दुर्गति हुई। ऐसे में सरकार अगर यह सोचती है कि चुनाव से पहले कोई पासा फेंककर वह लोगों को भरमा लेगी तो यह उसकी गलतफहमी है। पिछली बार किसानों को ऋण माफी का भ्रम फैलाया था। चुनाव जीत गए तो उनको शायद अपनी सफलता का अहसास हुआ। लेकिन इस बार जनता जागरूक है। वह देख चुकी है कि तथाकथित चुनाव जिताऊ कार्यक्रमों में भी संप्रग सरकार केवल भ्रष्टाचार करती है।
हाल ही में सरकार के चार साल पूरे होने पर प्रधानमंत्री ने कहा मुझे आधा खाली गिलास मिला उसे मैं भरने की कोशिश कर रहा हूं। सच्चाई इसके बिल्कुल विपरीत है। 1998 में अटल जी जब सत्ता में आए तब देश के विकास की दर 4.5 प्रतिशत थी। अटल जी ने अपने कुशल नेतृत्व एवं संचालन से 2004 तक विकास दर को 8.5 प्रतिशत तक पहुंचा दिया। मनमोहन जी को भूलना नहीं चाहिए कि उन्हें विरासत में पूरा भरा गिलास मिला था। विदेशी मुद्रा भंडार, रुपये की कीमत, वित्तीय घाटा और विदेश व्यापार का घाटा यानि अर्थव्यवस्था का हर एक पहलू अच्छी हालत में था। महंगाई काबू में थी, रोजगार धड़ल्ले से बढ़ रहे थे। खुद 2004 में वित्त मंत्री चिदंबरम ने अपने बजट भाषण में यह कहा कि हमें विरासत में एक अच्छी अर्थव्यवस्था मिली है, जिसमें अपार संभावनाएं हैं। देश यह नहीं भूला है। सच्चाई यह है कि संप्रग सरकार की शुरुआत राजग द्वारा दी गई 8.5 फीसद विकास दर से हुई और उन्होंने उसे 5 फीसद तक नीचे लाकर खड़ा कर दिया है। मनमोहन जी गिलास आपने खाली किया है। इस सरकार की सबसे बड़ी विफलता महंगाई है। अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री अर्थशास्त्र के संचालन में पूरी तरह फेल हुए हैं। महंगाई को रोकने के लिए अनेकों बार ब्याज दर बढ़ाकर वित्तीय प्रचलन कम करने की कोशिश की गई। आपूर्ति बनाए रखने की जरूरत को नजरअंदाज किया गया। इससे महंगाई और बढ़ी। महंगाई से आम आदमी का जीवन दूभर हो गया। लोगों का असली वेतन घट गया। ऐसे में राहत देने के बजाय सरकार ने पेट्रोल, डीजल, गैस, खाद एवं सभी सरकारी सेवाओं में इजाफा किया।
भ्रष्टाचार के तो सारे रिकार्ड टूट गए। नौ साल के नौ प्रमुख घोटाले हैं। अन्य न जाने कितने घोटाले हुए हैं। यह घोटालों की सरकार है और देश को लूटने का काम नौ साल चला। कांग्र्रेस कहती है कि कैग के आंकड़े काल्पनिक हैं लेकिन वह यह न भूले कि बोफोर्स का घोटाला 64 करोड़ का था, लेकिन देश की जनता ने कांग्रेस को सत्ता से दस साल बाहर रखा। लेकिन अब तो हजारों करोड़ के घोटाले हैं, जिसके लिए जनता सजा देगी।
कांग्रेस कह रही है खाद्य सुरक्षा बिल भाजपा पारित नहीं होने दे रहीं है। यह तो ऐसा हुआ कि उल्टा चोर कोतवाल को डाटे। भाजपा शासित राज्य छत्तीसगढ़ ने खाद्य सुरक्षा बिल पास करके अमल में भी लाया है। केंद्र का प्रस्ताव हर परिवार को पच्चीस किग्र्रा अनाज देने का है। छत्तीसगढ़ पैंतीस किग्र्रा दे रहा है। केंद्र सरकार चावल का दाम तीन रुपये लगाएगी, छत्तीसगढ़ एक रुपया लेता है। केंद्र केवल दो तिहाई लोगों को खाद्य सुरक्षा देगी, छत्तीसगढ़ नब्बे फीसद लोगों को खाद्य सुरक्षा दे रही है। अगर केंद्र को गरीब के लिए जरा भी दर्द है, तो छत्तीसगढ़ के कानून का अनुकरण करे।
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सरकार का दावा
संप्रग सरकार ने अपनी चौथी वर्षगांठ के अवसर पर 79 पेज का जो रिपोर्ट कार्ड पेश किया उसमें सरकार को असहज करने वाले किसी भी मुद्दे को नहीं छुआ गया है। यह इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि रिपोर्ट कार्ड में लगभग सभी सेक्टरों में अपने कार्यकलापों का जिक्र किया गया है :
सामाजिक सेक्टर
1. गेहूं, धान और जूट के न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी
2. 43 लाख लोगों को कुशलता का प्रशिक्षण छह नए एम्स स्थापित किए
3. चीनी नीति का उदारीकरण किया गया
4. पोलियो का कोई नया केस नहीं पाया गया
5. 64.5 लाख मैट्रिक से पूर्व और 7.55 लाख मैट्रिक के बाद स्कॉलरशिप दी गईं
6. कानून एवं व्यवस्था, सुरक्षा
7. यौन अपराधों पर लगाम लगाने के लिए कानून अधिक सख्त किए गए
रक्षा
1. नौसैनिक जहाज, पनडुब्बी, तटीय इलाकों की सुरक्षा के लिए जहाज शामिल किए गए
2. ब्रह्मोस का सफल परीक्षण
आधारभूत ढांचा
1. मनरेगा पर 39 हजार करोड़ रुपये खर्च किए गए
2. प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत 21 हजार किमी का निर्माण किया गया
3. राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत 1.53 लाख लोगों को रोजगार
4. 2,845 किमी राष्ट्रीय राजमार्गों का निर्माण किया गया
ऊर्जा और पर्यावरण
1. कुडनकुलम रिएक्टर के शुरू होने के बाद 1,000 मेगावाट अतिरिक्त परमाणु ऊर्जा प्राप्त होगी
2. 3,152 मेगावाट अतिरिक्त नवीकरण ऊर्जा की प्राप्ति
विज्ञान और तकनीकी
1. नई विज्ञान, तकनीक, नवाचार नीति की घोषणा
2. 100वें अंतरिक्ष मिशन समेत कई लांच किए गए
कैश ट्रांसफर पॉलिसी
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार 2014 के आम चुनावों में सरकार के लिए यह पॉलिसी ‘गेमचेंजर’ साबित हो सकती है। इसके तहत गरीब लोगों को प्रत्यक्ष तौर पर उनके अकाउंट में पैसे भेजे जाएंगे। अभी यह योजना पॉयलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू की गई है।
लोकपाल बिल
27 दिसंबर, 2011 को संसद के शीतकालीन सत्र में लोकपाल और लोकायुक्त बिल, 2011 को पेश किया गया। तमाम रस्साकशी के बाद अभी बिल को पारित कराना शेष खाद्य सुरक्षा कानून यह बिल संसद में लंबित है। नए बिल में 75 प्रतिशत ग्रामीण और 50 प्रतिशत शहरी परिवारों को सस्ती दरों पर खाद्यान्न देने का प्रावधान दिया गया है।
भूमि अधिग्रहण बिल
भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 1894 में सुधार करके नया बिल प्रस्तावित है। सात सितंबर, 2011 को भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुर्नविस्थापन बिल अस्तित्व में आया। 13 दिसंबर, 2012 को कैबिनेट ने इस बिल पर अपनी मुहर लगा दी थी। इस बिल को शीतकालीन सत्र में ही पेश किया जाना था लेकिन सभी दलों के बीच सहमति नहीं बन पा रही है
एनसीटीसी
मुंबई आतंकी हमले के बाद अमेरिकी मॉडल के आधार पर देश में एक संघीय राष्ट्रीय आतंकवाद निरोधक केंद्र (एनसीटीसी) के गठन का प्रस्ताव सरकार के एजेंडे पर था। एनसीटीसी का मकसद आतंकवाद से लड़ने के लिए रियल टाइम खुफिया सूचनाएं एकत्र करने और कार्रवाई करने का था। कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने इस एजेंसी के गठन को संघीय ढांचे का उल्लंघन मानते हुए आपत्तियां दर्ज की है। लिहाजा यह अभी अस्तित्व में नहीं आ पाई है।
वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी)
वस्तुओं एवं सेवाओं पर संघ एवं राज्यों द्वारा लगाए जाने वाले सभी अप्रत्यक्ष करों का स्थान जीएसटी लेगा। यह एक मूल्य वर्धित टैक्स है। तमाम विरोधों के कारण यह टलता जा रहा है।
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