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आशिक की अपनी प्रेमिका से उम्मीद और प्रेमिका का उसके लिए त्याग, बड़ी अविश्वसनीय सी कहानी है फिल्म आशिकी 2 की. लेकिन वो कहते हैं ना कोई भी प्रेम कहानी विश्वसनीय नहीं हो सकती और अगर वो विश्वसनीय है तो उसमें कोई ना कोई कमी जरूर है. आज पर्दे पर आई फिल्म आशिकी 2 के गाने तो पहले ही बहुत लोकप्रिय हो गए थे लेकिन आज दर्शक जो आशिकी फिल्म से इसकी तुलना करने की सोच रहे थे उन्हें भी यह समझ आ गया कि यह फिल्म राहुल रॉय और अनु अग्रवाल की आशिकी से कितनी अलग है.
Story of film Aashiqui 2: आशिकी 2 की कहानी
बैनर: सुपर कैसेट्स इंडस्ट्रीज लिमिटिड
कलाकार: श्रद्धा कपूर (Shraddha Kapoor), आदित्य रॉय कपूर (Aditya Roy Kapoor)
संगीत: मिथुन, जीत गांगुली, अंकित तिवारी
निर्माता: भूषण कुमार, महेश भट्ट, कृष्ण कुमार
निर्देश्क: मोहित सूरी
रेटिंग: ** ( 2 स्टार)
Story of film Aashiqui 2: आशिकी 2 की कहानी
आदित्य रॉय कपूर (Aditya Roy Kapoor) और श्रद्धा कपूर (Shraddha Kapoor) अभिनीत फिल्म आशिकी 2 एक म्यूजिकल फिल्म है, जिसकी पृष्ठभूमि महत्वाकांक्षाओं, प्यार और फिर गलतफहमियों पर आधारित है.
आरोही शिरके एक उभरती हुई गायिका है वहीं राहुल एक बहुत नामीगिरामी गायक है. कुछ मुलाकातों के बाद आरोही और राहुल एक-दूसरे को डेट करना शुरू कर देते हैं, वह एक-दूसरे से प्यार करने लगते हैं. कई परेशानियों, गलतफहमियों के बावजूद ये दोनों एक-दूसरे का साथ नहीं छोड़ते. आरोही की आवाज राहुल से बहुत अच्छी है. राहुल, आरोही से वादा करता है कि वह उसे एक बड़ा गायक बनाकर ही रहेगा. और वह ऐसा करता भी है, लेकिन राहुल का अपना कॅरियर समाप्त होने लगता है. फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे दो प्यार करने वालों के बीच गलतफहमियां होती हैं और कैसे वो एक-दूसरे से अलग होते हैं.
फिल्म समीक्षा
संगीत: वर्ष 1990 में प्रदर्शित हुई फिल्म आशिकी के गाने तो आज भी गुनगुनाए जाते हैं लेकिन आशिकी 2 के गानों को मिश्रित प्रतिक्रियां मिल रही हैं. गाने निश्चित रूप से कर्णप्रिय हैं लेकिन यह भी सच है कि इनकी लॉंग टर्म लोकप्रियता कोई निश्चित नहीं है.
कहानी: फिल्म की कहानी थोड़ी हजम नहीं होती. एक लड़की कैसे एक टॉप सिंगर की गर्लफ्रेंड बन जाती है और वह सिंगर अपने कॅरियर को छोड़ उसके कॅरियर को संवारने लग जाता है और जब गलतफहमियां आने लगती हैं तो लड़की कॅरियर के शीर्ष पर पहुंचने के बाद सब कुछ छोड़कर वापस अपने प्रेमी के पास चली जाती है.
निर्देशन: मोहित सूरी का निर्देशन हम पहले भी अनुभव कर चुके हैं. इंटरवल के बाद वह फिल्म को थाम कर रखने में असफल साबित होते हैं जिसकी वजह से फिल्म की गति धीमी पड़ जाती है और दर्शकों को ऊब महसूस होने लगती है.
क्यों देखें: अगर फैंटेसी और काल्पनिक प्रेम कहानियां पसंद हैं तो.
क्यों ना देखें: अगर प्यार, समर्पण और बलिदान जैसे शब्दों पर विश्वास नहीं है.
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