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बिट्टू बॉस – मॉडर्न कैमरामैन बिट्टू की कहानी [फिल्म समीक्षा]

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bittoo bossक्योंकि सास भी कभी बहु थी यह एक ऐसा कार्यक्रम था जिसने टेलीविजन की दुनियां को एक नया आयाम दे दिया था. इतना ही नहीं शायद यह पहला ऐसा डेली शो था जिसके अधिकांश सितारों ने बहुत ही जल्द लोकप्रियता की ऊंचाइयां छू ली थीं. छोटे पर्दे के क्षेत्र में यह एक क्रांति से कम साबित नहीं हुआ, जिसके परिणामस्वरूप छोटे-पर्दे की दुनियां अब उतनी छोटी नहीं रही जितनी एक समय पहले देखी जाती थी. अब तो फिल्मी सितारों का छोटे पर्दे के प्रति आकर्षित होना और छोटे पर्दे के कलाकारों का फिल्मों में प्रवेश करना एक सामान्य घटनाक्रम बन गया है. इस धारावाहिक में बहुत ही कम समय के लिए दिखाई दिए लक्ष्य विरानी अर्थात पुल्कित सम्राट भी अब सिल्वर स्क्रीन पर अपना जौहर बिखेरने की तैयारी में हैं. आज इनकी पहली फिल्म बिट्टू बॉस सिनेमाघरों में प्रदर्शित हुई है.


मुख्य कलाकार – पुल्कित सम्राट, अमिता पाठक


बैनर – वाइड फ्रेम पिक्चर, वायकॉम 18 मोशन पिक्चर्स


निर्देशक – सुपवित्र बाबुल


संगीत – राघव सच्चर


फिल्म की कहानी – बिट्टू बॉस की कहानी एक ऐसे कैमरामैन के ईर्द-गिर्द घूमती है जो बेहद  खुशमिजाज है और आकर्षक शादियों में वीडियो शूटिंग करता है. वह खुद को ‘सेक्सी वीडियो शूटर’ कहता है. पंजाब के छोटे-से शहर आनंदपुर साहिब का वह स्टार है और वहां की हर शादी में हंसी-खुशी के पलों को कैमरे में कैद करता है. बिट्टू को खुशियां बांटने में विश्वास है. वह जो हसीन लम्हें कैद करता है उन्हें लोग सालों तक देखते रहते हैं और बिट्टू को याद करते हैं. कहानी में मोड़ तब आता है जब वह एक पढ़ी-लिखी और शहरी लड़की के प्यार में पड़ जाता है. वह लड़की उसे इस बात का अहसास दिलाती है कि जिंदगी में सम्मान और पहचान के साथ-साथ आर्थिक सुरक्षा कितनी जरूरी होती है. प्यार में पागल बिट्टू ‍पैसा कमाने के लिए कई शॉर्टकट अपनाता है और इसके बाद शुरू हो जाता है हास्य और मस्ती का मजेदार सफर.


फिल्म समीक्षा – फिल्म के निर्देशक सुपवित्र बाबुल ने बिट्टू की भूमिका के लिए पुलकित सम्राट का चुनाव बिलकुल सही किया है. उच्श्रृंखल स्वभाव के बिट्टू में बैंड बाजा बारात के बिटटू की झलक दिख सकती है, लेकिन ऐसे युवकों के चरित्र में समानता होती ही है. फिल्म में गांव का माहौल और पंजाबी संस्कृति की उत्सवधर्मिता की झलक अच्छी और वास्तविक लगती है.


इस फिल्म के सहयोगी पात्रों का चुनाव भी जबरदस्त है. अमिता पाठक का अभिनय बहुत सीमित है. लेकिन फिर भी वह मेहनत करती दिखाई देती हैं. फिल्म बीच में थोड़ी देर के लिए अटक सी जाती है लेकिन अगर उसे नजरअंदाज कर दें तो बिट्टू बॉस रोचक और मनोरंजक फिल्म है.

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