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Chakravyuh Movie Story and Preview
अगर आप सिनेमा के नाम पर फूहड़ कॉमेडी और दंबग स्टाइल मारधाड़ देखने के शौकीन नहीं है और आपको ऐसी फिल्म देखनी है जो देश की व्यवस्था को सही ढ़ंग से पर्दे पर उतार सके तो इस हफ्ते आपके लिए आर्ट फिल्मों के नए बॉस प्रकाश झा लेकर आएं हैं “चक्रव्यूह”. चक्रव्यूह की कहानी भारतीय समाज के उस वर्ग को लेकर बनाई गई है जिसे लोग लाल क्रांति या नक्सलवाद के नाम से जानती है.
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Chakravyuh’s Story Platform
‘चक्रव्यूह’ समकालीन समाज के कठोर सच को सच्चाई के साथ पेश करती है. साथ ही सावधान भी करती है कि अगर समय रहते निदान नहीं खोजा गया तो देश के 200 जिलों में फैला नक्सलवाद भविष्य में पूरे देश को अपनी चपेट में ले लेगा. इस फिल्म में यह दिखाने की कोशिश की गई है कि नक्सली राजनीतिक भटकाव के शिकार नहीं हैं दरअसल वह असमान विकास में पीछे छूट गए देशवासियों की जमात और आवाज हैं जो हक की लड़ाई लड़ रहे हैं.
Chakravyuh’s Star Cast
कलाकार : अर्जुन रामपाल, अभय देओल, मनोज बाजपेयी, अंजलि पाठक, ईशा गुप्ता, ओम पुरी
निर्माता : सुनील लुल्ला
निर्देशक : प्रकाश झा
गीत : इरशाद कमाल, तरबाज, आशीष साहू, सलीम-सुलेमान
Chakravyuh’s Story in Hindi: चक्रव्यूह की कहानी
‘चक्रव्यूह’ (Chakravyuh) में देश में तेजी से बढ़ रहे अदम्य राजनीतिक और सामाजिक आंदोलन नक्सलवाद पृष्ठभूमि में है. इस आंदोलन की पृष्ठभूमि में कुछ किरदार रचे गए हैं. उन किरदारों को पर्दे पर अर्जुन रामपाल, मनोज बाजपेयी, अभय देओल, ईशा गुप्ता, अंजलि पाटिल और ओम पुरी ने निभाया है. किरदारों के दो समूह हैं. नक्सल किरदारों में राजन (मनोज बाजपेयी), गोविंद सूर्यवंशी (ओम पुरी) और जूही (अंजलि पाटिल) हैं. दूसरी तरफ पुलिस और प्रशासन की तरफ से आदिल खान (अर्जुन रामपाल) और रिया मेनन (ईशा गुप्ता) हैं. इन दोनों के बीच कबीर उर्फ आजाद (अभय देओल) हैं. ‘चक्रव्यूह’ को देखने और समझने की एक कुंजी अभय देओल हैं.
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कबीर को आदिल खान अपने एजेंट के तौर पर नक्सलों के बीच भेजते हैं. शुरू में कबीर आदिल खान की मदद भी करते हैं, लेकिन नक्सलों के साथ दिन-रात बिताने के बाद उन्हें एहसास होता है कि सत्ता के घिनौने स्वार्थ हैं. उसके हाथ निर्दोषों के खून से रंगे हैं. आदिवासियों पर सचमुच अत्याचार और जुल्म हो रहे हैं.
बस यहीं से कबीर पुलिस का साथ छोड़ नक्सलवादियों के साथ हो जाते हैं.
Chakravyuh Preview: फिल्म क्यूं देखें
“चक्रव्यूह” देखने के यूं तो कई कारण हैं लेकिन सबसे बड़ा कारण है प्रकाश झा की मेहनत और मनोज वाजपेयी और अभय देओल की बेहद उम्दा अभिनय की झलक. “चक्रव्यूह” की कहानी को प्रकाश झा ने काफी समय तक रिसर्च करके बनाई है साथ ही फिल्म में उन्होंने नक्सलवादियों की जमीनी हकीकत को दिखाने की सुन्दर कोशिश की है लेकिन हां साथ ही यह कहना भी गलत नहीं होगा कि जो प्रकाश झा कभी आर्ट फिल्मों के नाम पर कोई समझौता नहीं करते थे वह इस फिल्म को जरूर गायब है. फिल्म को कमर्शियल हिट बनाने के लिए प्रकाश झा ने कई जगह अपने वसूलों को ही ताक पर रखा है खासकर फिल्म में ईशा गुप्ता का रोल तो लगता है उन्होंनेमात्र शो पीस के लिए ही लिया है.
Acting in Chakravyuh: अभिनय
चक्रव्यूह में मनोज बाजपेयी एक बार फिर साबित करते हैं कि वे समकालीन अभिनेताओं में सबसे उम्दा और योग्य हैं. सघन चरित्र मिलें तो वे उनकी प्रतिभा खिल उठती है. अभय देओल को मिली भूमिका को लेखक और निर्देशक का पूरा सपोर्ट है. अभय देओल ने भी साबित किया है कि उन्हें चाहे कोई भी रोल दे दिया जाए वह उसमें हिट और फिट हैं.
अर्जुन रामपाल सामान्य है. फिल्म में अंजलि पाटिल चकित करती हैं. उनमें इंटेनसिटी और एक्सप्रेशन है. जूही के किरदार को वह विश्वसनीय बनाती हैं. फिल्म में जूही नक्सलियों के साथ करती है.
Chakravyuh’s Songs
एक सशक्त फिल्म के लिए जो संगीत होना चाहिए वह इस फिल्म में मौजुद है. फिल्म के कुछ गीत तो बेहद बेहतरीन हैं खासकर “महंगाई” वाला गाना तो सबसे ज्यादा शानदार है.
कहीं कुछ गड़बड़ तो नहीं होगी
अगर फिल्म ना देखने की कोई वजह हो सकती है तो वह सिर्फ यही कि कहीं जिस तरह से प्रकाश झा ने अपनी पिछल फिल्मों जैसे राजनीति और आरक्षण ने मूल मुद्दे से हट काफी कुछ दिखने का प्रयास किया वह इसे “चक्रव्यूह” में तो नहीं अपनाएंगे.
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