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एक लंबे समय तक पर्दे से दूर रहने के बाद पंकज कपूर एक बार फिर अपने अभिनय से सजी एक फिल्म के साथ हाजिर हैं. सब टीवी के सबसे लोकप्रिय हास्य शो “ऑफिस-ऑफिस” को इस बार फिल्म के रुप में पेश किया गया है. सब टीवी का यह कॉमेडी शो कभी देश में सबसे प्रसिद्ध कॉमेडी शो था जिसमें एक आदमी सिस्टम से लड़ता हुआ दिखाया जाता था. यह सिर्फ एक शो नहीं बल्कि हमारी सरकारी संस्थाओं और उनके काम करने के तरीके पर चोट करता था. इस शो को 50 से ज्यादा अवार्ड मिले थे.
फिल्म का नाम: चला मुसद्दी ऑफिस ऑफिस
कलाकार : पंकज कपूर, देवेन भोजानी, मनोज पहवा, संजय मिश्रा, हेमंत पांडे, आसावरी जोशी.
निर्देशक : राजीव मेहरा
निर्माता: उमेश मेहरा, राजेश मेहरा, राजीव मेहरा
गीत : गुलजार
संगीत : साजिद-वाजिद
स्टार: ***1/2
फिल्म की कास्ट नाम के साथ
पंकज कपूर (मुसद्दीलाल), देवेन भोजानी (पटेल), मनोज पाहवा (भाटिया जी), संजय मिश्रा (शुक्ला), हेमंत पांडे (पांडेजी) और असावरी जोशी (उषाजी)
इस फिल्म में सरकारी कार्यालयों की लालफीताशाही और भ्रष्टाचार के ताने-बाने में उलझते आम आदमी मुसद्दी लाल त्रिपाठी की मुश्किलों को दिखाया गया है. मुसद्दी की केंद्रीय भूमिका में हैं पंकज कपूर.
फिल्म की कहानी
फिल्म का हीरो यानि मुसद्दीलाल त्रिपाठी एक स्कूल मास्टर है जो रिटायर हो चुका है. उसकी पत्नी हमेशा ही बीमार रहती है. वह उसे अस्पताल ले जाता है जहां डॉक्टरों की लापरवाही और लालच के कारण उसकी पत्नी की मौत हो जाती है. फिर मुसद्दी अपने बेरोजगार बेटे को लेकर अपनी पत्नी की अस्थियों का विसर्जन करने चला जाता है. इसी दौरान उसके घर पेंशन ऑफिसर आता है. घर में किसी को न पाकर वह पड़ोसी गुप्ता से मुसद्दी के बारे में बातचीत करता है. गुप्ता बताता है कि मुसद्दी तो बहुत दूर चले गए हैं. इस बात का मतलब पेंशन ऑफिसर यह निकालता है कि मुसद्दी मर गया है.
बस फिर क्या है. मुसद्दी लाल वापस आता है और यह जानकर चौंक जाता है कि सरकारी फाइलों में उसे मृत घोषित कर दिया गया है. वह पेंशन ऑफिस के स्टाफ को काफी समझाता है लेकिन वो बिना सबूत के मुसद्दी की बात पर भरोसा नहीं करते. इस बात से निराश मुसद्दी सबूतों को जुटाने में लग जाता है, लेकिन पेंशन ऑफिस के कर्मचारियों की लालच के चलते हर बार उसके हाथ नाकामी ही हाथ लगती है.
लेकिन मुसद्दी हार मानने वालों में से नहीं है वह खुद अपने बल पर सरकारी अफसरों को सबक सिखाने का ठान लेता है.
Movie Review of Chala Mussadi Office Office :फिल्म की समीक्षा
इस फिल्म में हास्य के साथ कहीं-कहीं आपको आम आदमी की कराह भी सुनने को मिलेगी जो इस सिस्टम से परेशान हो चुका है. शुरू के कुछ पल आपकी आंखों में गम के आंसू भर देंगे लेकिन बाद के सभी सीन आपको इतना हंसाएंगे कि आपके आंखों में खुशी के आंसू भर जाएंगे. फिल्म के किरदारों ने ठीक वैसा ही अभिनय किया है जैसा बेहतरीन अभिनय वह टेलिविजन पर करते थे. फिल्म के सभी किरदार अपने रंग में हैं. फिल्म में पंकज कपूर ने एक बार फिर साबित किया है कि उन्हें ऐसे ही ड्रामा का उस्ताद नहीं कहा जाता.
फिल्म में कॉमेडी के साथ गानों का कॉकटेल भी है लेकिन फिल्म का संगीत कॉमेडी में कहीं खो सा गया है. फिल्म के गीत गुलजार ने लिखे हैं और संगीत दिया है साजिद-वाजिद ने.
आज आम आदमी मंहगाई और सरकारी सिस्टम से बहुत परेशान हो चुका है. ऐसी परिस्थियों में इस तरह की फिल्में हमें हंसने का एक बेहतरीन मौका देती है. यह एक “मस्ट वॉच” मूवी है. अक्सर यंगस्टर उन फिल्मों को देखने में ज्यादा रुचि नहीं दिखाते जिसमें रोमांस और एक्शन ना हो लेकिन यह फिल्म युवाओं को भी समान रूप से पसंद आएगी.
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